उपभोक्ता कार्य विभाग ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस), बेंगलुरु के सहयोग से ऑनलाइन गेमिंग के कराण होने वाले विघटनकारी परिणामों पर अनुसंधान करने के लिए चर्चा का आयोजन किया, जो लोगों की कमजोरियों का कारण बन सकते हैं
उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आने वाला उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस), बेंगलुरु के सहयोग से डिजिटल उपयोग के विघटनकारी व्यवहार पैटर्न पर एक शोध का प्रस्ताव रखा है जो लोगों की कमजोरियों का कारण बन सकता है। इस संबंध में उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव, श्री रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में आज एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें उपभोक्ता कार्य विभाग के संयुक्त सचिव श्री अनुपम मिश्रा, निम्हांस की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति और निन्हांस के क्लिनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. मनोज शर्मा भी शामिल हुए।
सचिव श्री रोहित कुमार सिंह कहा कि ऑनलाइन गेमिंग की आदत लोगों को सामाजिक अलगाव और वास्तविक जीवन में उनकी जिम्मेदारियो की उपेक्षा करने वाले मार्ग पर लेकर जाती है। इसमें सामान्य रूप से बाध्यकारी गेमिंग व्यवहार शामिल होता है जिसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। ऑनलाइन गेमिंग के कराण महत्वपूर्ण रूप से समय और धन की क्षति होने की संभावना रहती है, जिससे अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों एवं वित्तीय स्थितियों की उपेक्षा हो सकती है। श्री रोहित कुमार सिंह ने अध्ययन के विचारों को रेखांकित किया जिसका उद्देश्य ज्ञान, उपभोग और प्रथाओं के आधार पर एक जिम्मेदार डिजिटल उपभोग मॉडल तैयार करना है, जो वर्तमान में ऑनलाइन गेमिंग पर केंद्रित है, जिसे बाद में डिजिटल सोशल मीडिया या किसी अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके अलावा, यह शोध ऑनलाइन सामग्री की अत्यधिक खपत के अंतर्निहित उपादानों की भी पहचान करेगा और इनका परीक्षण करने के बाद इनसे निपटने के लिए और इनका मुकाबला करने वाले एक तंत्र के निर्माण के साथ भविष्यवाणी, सतर्क और मध्यवर्तन करने वाली एक रूपरेखा प्रदान करेगा। यह अध्ययन उपभोक्ताओं के लिए प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करने और आर्थिक एवं भौतिक दोनों प्रकार के जोखिमों में कमी लाने वाला मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा।
निमहांस की निदेशक ने डेटा एकत्रित करने, उपभोक्ताओं के आयु समूहों और सामाजिक-आर्थिक स्तर आदि का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न संगठनों/संस्थानों/प्राधिकरणों से आवश्यक सहयोग प्राप्त करने की बात की और कहा कि इससे अत्यधिक उपयोग में हो रही लगातार वृद्धि में कमी लाने वाले कुछ मौजूदा मध्यवर्तनों और निपटारा तंत्र का पता लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, उन्होंने स्वस्थ डिजिटल क्रियाकलापों को बढ़ावा देने और अत्यधिक उपभोग को रोकने के लिए कुछ तंत्र तैयार करने की बात की। डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना समय की आवश्यकता है।
इस शोध के माध्यम से यह निष्कर्ष निकला कि इसमें न केवल ऑनलाइन गेमिंग में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए नीतिगत इनपुट प्रदान किए जाएंगें, बल्कि इनके जोखिमों में कमी लाने के लिए प्रौद्योगिकी के सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए उद्योगों को जानकारी भी प्रदान की जाएगी।