अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे तकनीकी छात्र, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया पुस्तकों का विमोचन

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश के छात्रों के लिए सर्वोत्तम विकसित एड-टेक समाधान और पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए एकल मंच प्रौद्योगिकी के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन-एनईएटी-3.0 का शुभारंभ किया। मंत्री ने इस अवसर पर क्षेत्रीय भाषाओं में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद-एआईसीटीई द्वारा निर्धारित तकनीकी पुस्तकों का भी विमोचन किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधान ने कहा कि एनईएटी डिजिटल अंतर को पाटने, विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित छात्रों के बीच और भारत और दुनिया की ज्ञान-आधारित आवश्यकता को पूरा करने में बहुत बड़ा परिवर्तनकारी साबित होगा।

प्रधान ने बताया कि 58 वैश्विक और भारतीय स्टार्ट-अप एड-टेक कंपनियां एनईएटी मंच पर मौजूद हैं और सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने, रोजगार योग्य कौशल विकसित करने और सीखने के नुकसान पर काबू पाने के लिए 100 पाठ्यक्रम और ई-संसाधनों की पेशकश कर रही हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ई-सामग्री और संसाधन और एनईएटी जैसे डिजिटल ढांचे सीखने के नुकसान को कम करने के लिए सही दिशा में एक कदम हैं।

मंत्री ने एआईसीटीई को कौशल भारत के साथ एनईएटी में पाठ्यक्रमों को एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने और भविष्य के लिए हमारे युवाओं को तैयार करने के लिए कौशल के उभरते क्षेत्रों में अवसरों का लाभ उठाया जा सके। उन्होंने एआईसीटीई और एड-टेक कंपनियों से कम से कम संभव लागत में ई-संसाधनों की पेशकश करने का आग्रह किया।

प्रधान ने वैश्विक एड-टेक कंपनियों और भारतीय स्टार्ट-अप्स की सराहना की जो एनईएटी 3.0 का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा को सुलभ और किफ़ायती बनाने के लिए सहयोगी दृष्टिकोण के साथ काम करने के लिए सभी एड-टेक का स्वागत है। उन्होंने कहा कि एड-टेक को यह याद रखना चाहिए कि एकाधिकार और शोषण के लिए कोई जगह नहीं है।

धर्मेंद्र प्रधान ने प्रसन्नता व्यक्त की कि आज 12 लाख से अधिक सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित छात्रों को एनईएटी 3.0 के अंतर्गत 253 करोड़ रुपये से अधिक के मुफ्त एड-टेक कोर्स कूपन प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह नए वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ओर से छात्र समुदाय को दिए गए सबसे बड़े उपहारों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत 21वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करेगा और व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए सबसे पसंदीदा बाजार होगा।

क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पुस्तकों के बारे में प्रधान ने कहा कि हमारी विविध भाषाएं हमारी शक्ति हैं और एक अभिनव समाज के निर्माण के लिए उनका उपयोग करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं में सीखने से महत्वपूर्ण सोच क्षमता का विकास होगा और हमारे युवाओं को वैश्विक नागरिक बनने में सक्षम बनाया जाएगा।