धर्मेंद्र प्रधान ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम-मालवीय मिशन का शुभारंभ किया
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली के कौशल भवन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम – मालवीय मिशन का शुभारंभ किया। उन्होंने कार्यक्रम के पोर्टल का भी उद्घाटन किया और इसकी सूचना विवरणिका जारी की। शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित मालवीय मिशन – शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों के लिए अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराना है। यह कार्यक्रम उच्च शिक्षण संस्थानों में संकाय सदस्यों की क्षमता निर्माण के लिए कार्य करेगा।
उच्च शिक्षा सचिव के. संजय मूर्ति, यूजीसी अध्यक्ष प्रोफेसर ममीडाला जगदेश कुमार, यूजीसी उपाध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार श्रीवास्तव, यूजीसी सचिव प्रो. मनीष जोशी, शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के अधिकारी और कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। पूरे देश से शिक्षक और गणमान्य लोग वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षकों और शिक्षण विधियों में गुणवत्ता और उत्कृष्टता शामिल करके सभी स्तरों पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर जोर दिया। उन्होंने मानव संसाधन विकास केंद्रों (एचआरडीसी) का नाम बदलकर मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र करने की भी घोषणा की। उन्होंने उल्लेख किया कि यह कार्यक्रम निरंतर व्यावसायिक विकास सुनिश्चित करेगा और समयबद्ध तरीके से भारत भर में 111 मालवीय मिशन केंद्रों के माध्यम से एचईआई के 15 लाख शिक्षकों की क्षमता निर्माण में सहायता करेगा।
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हमारे शिक्षकों को भारतीय मूल्यों की गहरी समझ के साथ भविष्य के लिए तैयार करने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य शिक्षकों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करना, शिक्षकों में नेतृत्व कौशल का निर्माण करना और एनईपी के लक्ष्यों को साकार करने में सहायता करना है।
प्रधान ने यह भी बताया कि शिक्षकों के लिए करियर में प्रगति के रास्ते सुनिश्चित करने के लिए मालवीय मिशन के तहत क्षमता निर्माण को क्रेडिट ढांचे में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन केवल शिक्षा के विकास के माध्यम से ही किया जा सकता है और शिक्षक परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विभिन्न विषयों पर प्रकाश डालते हुए प्रधान ने कहा कि विषय-वार प्रशिक्षण सत्र प्रतिभागियों में “समग्रता” को उत्साहित करने में मदद करेंगे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कार्यक्रम के मॉड्यूल में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल किया गया है।
आजीवन सीखने के महत्व पर जोर देते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षकों को आजीवन सीखने वाले बने रहने की आवश्यकता दोहराई जो प्रत्यक्ष रुप से छात्रों के समग्र विकास में योगदान देगा।
के. संजय मूर्ति ने उन तीन मुख्य विषयों का उल्लेख किया जिन पर भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान चर्चा की गई थी: शिक्षा के उपयोग में प्रौद्योगिकी की तैनाती, सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को भी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाना है। उन्होंने सोच-समझकर कार्यक्रमों की योजना बनाने के लिए यूजीसी की सराहना की जिससे देश के शिक्षकों को सशक्त बनाने में सहायता मिलेगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने शिक्षार्थियों के समग्र विकास में शिक्षकों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम उच्च शिक्षा के सभी घटक क्षेत्रों में नवीन शिक्षण विधियों और उच्च स्तरीय संस्थागत सुविधाओं को विकसित करने में मदद करेगा।
दो सप्ताह का ऑनलाइन कार्यक्रम उच्च शिक्षण संस्थानों में संकाय सदस्यों की क्षमता निर्माण के लिए पाठ्यक्रम/सामग्री के लिए पहचाने गए विभिन्न विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा। 8 विषयों में समग्र और बहुविषयक शिक्षा, भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस), अकादमिक नेतृत्व, शासन और प्रबंधन, उच्च शिक्षा और समाज, अनुसंधान और विकास, कौशल विकास, छात्र विविधता और समावेशी शिक्षा और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी शामिल हैं। इस परिवर्तनकारी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए यूजीसी ने क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए पंजीकरण करने के लिए संकाय सदस्यों के लिए एक समर्पित पोर्टल भी स्थापित किया है।