डायबिटीज की समस्या से है परेशान? इस दवा का करे सेवन किडनी रोग के इलाज में भी है कारगर
किडनी के पुराने रोगियों के लिए एक राहतभरी खबर है। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक नए शोध में दावा किया गया है कि डायबिटीज के इलाज में उपयोग की जाने वाली एक सामान्य दवा कुछ विशिष्ट क्रानिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के उपचार में भी कारगर हो सकती है। इसके अनुसार, डापाग्लिफ्लोजिन, जो सोडियम ग्लूकोज कोट्रांसपोर्टर-2 (एसजीएलटी-2) इन्हीबिटर्स समूह की दवा है। यह एसजीएलटी2 इन्हीबिटर किडनी में एसजीएलटी2 प्रोटीन को रोकता है। इस प्रोटीन को रोके जाने से किडनी पर दबाव और उसमें सूजन कम होता है। इससे पेशाब में प्रोटीन का रिसाव रोकने के साथ ही रक्त चाप और शरीर का वजन भी कम करने में सहायता मिलती है।
सीकेडी के 4,304 रोगियों पर डापाग्लिफ्लोजिन के क्लिनिकल ट्रायल में पाया गया कि उससे किडनी फंक्शन (कार्यक्षमता) में क्षय की दर कम हुई। ड्रग ट्रायल में प्रतिभागी लोगों को दो ग्रुपों में बांटा गया। इन्हें उचित देखभाल के साथ दिन में एक बार डापाग्लिफ्लोजिन 10 एमजी दवा दी गई। पाया गया कि जिन लोगों को डायबिटीज नहीं भी थी, उनमें भी किडनी फंक्शन के धीमा होने दर गिरावट आई। जबकि डायबिटीज के रोगियों में इसका असर ज्यादा देखा गया है।
बता दें कि सीकेडी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लंबे समय से किडनी अपनी उस क्षमता से काम नहीं कर पाती, जितनी क्षमता से उसे करना चाहिए। शुरुआत में इस बीमारी के कुछ लक्षण तो होते हैं, लेकिन लोगों को उसके बारे में पता नहीं होता है। सीकेडी में हालांकि अक्सर कारणों से किडनी प्रभावित होती है। इनमें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्राल के साथ किडनी में संक्रमण भी शामिल है। इनसे बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली सबसे अहम मानी जाती है।
रोगियों का बढ़ सकता है जीवनकाल
सीकेडी के वजह से वक़्त के साथ स्थिति बिगड़ती जाती है, लेकिन उसका सही इलाज स्थिति को बिगड़ने होने से रोक सकता है या उस प्रोसेस को विलंबित कर सकता है। इस वजह से पीड़ित लोगों का जीवनकाल बढ़ सकता है। हिड्डे ने बताया कि मानक देखभाल के साथ डापाग्लिफ्लोजिन के उपयोग से किडनी फंक्शन के क्षय को काफी कम किया जा सकता है। इससे किडनी के गंभीर बीमारी होने से बचाव होता और कार्डियोवस्कुलर बीमारी पर भी रोक लगता है।