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विभिन्न सागरमाला परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए सर्बानंद सोनोवाल ने महाराष्ट्र के उपमुख्‍यमंत्री के साथ संयुक्त समीक्षा बैठक की


महाराष्ट्र में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 1,13,285 करोड़ रुपये की 126 परियोजनाएं हैं

महाराष्ट्र में सागरमाला परियोजनाओं के सफलतापूर्वक पूरा होने से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और समुद्री बुनियादी ढांचा बेहतर होगा: सर्बानंद सोनोवाल

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने परियोजनाओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों को निपटाने और जल्द से जल्द कार्यान्वयन में तेजी लाने का आश्वासन दिया

बैठक में वाधवन एवं मुंबई बंदरगाह से संबंधित मामलों और लोथल के राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर में महाराष्ट्र तटीय राज्य पैविलियन की स्थापना पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

महाराष्ट्र में सागरमाला परियोजनाओं के पूरा होने के बारे में चर्चा करते हुए सोनोवाल ने कहा, ‘महाराष्ट्र में 14 सागरमाला परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कार्य में तेजी लाने पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इन परियोजनाओं में करीब एक साल की देरी हो चुकी है। हम इन कार्य बिंदुओं को प्राथमिकता देते हुए महाराष्ट्र में सागरमाला परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में समुद्री बुनियादी ढांचे को बेहतर करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।’

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 1,13,285 करोड़ रुपये की 126 परियोजनाओं की योजना बनाई गई है। इन 126 परियोजनाओं में से 2,333 करोड़ रुपये की 46 परियोजनाएं आंशिक रूप से पत्‍तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित हैं। इनमें 1,387 करोड़ रुपये की 37 परियोजनाएं महाराष्ट्र सरकार के अधीन हैं। 279 करोड़ रुपये की 9 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 777 करोड़ रुपये की 18 परियोजनाएं कार्यान्वयन चरण में और 331 करोड़ रुपये की 10 परियोजनाएं विकास चरण में हैं।

महाराष्ट्र में रो-रो/ रो-पैक्‍स/ पैसेंजर फेरी के परिचालन के लिए आवश्‍यक बंकर ईंधन पर वैट में छूट/ रियायत देने पर भी विस्तृत चर्चा की गई। फेरी संचालन की कुल ईंधन लागत में इसका योगदान 20 प्रतिशत से अधिक है।

बैठक के दौरान महाराष्ट्र में आगामी वाधवन बंदरगाह के विकास पर भी चर्चा की गई। वाधवन के पास 18 मीटर से अधिक का प्राकृतिक तलछट है जो बंदरगाह पर काफी बड़े कंटेनरों और कार्गो जहाजों की आवाजाही को आसान बनाता है। इससे प्रमुख शिपिंग लाइनों के लिए भारत को एक प्रमुख गंतव्य बनाने के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में कार्गो की वृद्धि को समायोजित करने के लिए आवश्यक क्षमता प्रदान करने में मदद मिलेगी।