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मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के कलिंगा पट्टीनम में झींगा मछली किसानों से मुलाकात की और कोट्टापलम में ब्रूड मल्टीप्लिकेशन सेंटर का दौरा किया

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने खारे पानी वाली झींगा मछली किसानों की बुनियादी समस्याओं को समझने के लिए आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के कलिंगा पट्टिनम का दौरा किया और वहां झींगा मछली किसानों से बातचीत की।

डॉ. अभिलक्ष लिखी ने झींगा मछली किसानों से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि बड़े और गुणवत्ता वाली झींगा मछली के उत्पादन के लिए बायो-फ्लॉक प्रौद्योगिकी के साथ 4-चरणीय खेती की नई प्रौद्योगिकी अपनाई जा रही है। स्थापित इस नवाचार और उन्नत संवंर्धित प्रणाली में उच्च जैव-सुरक्षित स्थितियों में पूरी तरह से पंक्तिबद्ध तालाबों के साथ-साथ ऑटो फीडर, केंद्रीय जल निकासी/कीचड़ हटाने, आईओटी आधारित जल मापदंडों की निगरानी जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जो उच्च भंडारण घनत्व और कम संवर्धित क्षेत्र से बढ़ी हुई उत्पादकता को लक्षित करने के लिए उच्च-घनत्व गहन कृषि प्रणाली का प्रबंधन करता है।

श्रीकाकुलम जिला भारत में शीर्ष झींगा मछली उत्पादक जिलों में से एक है। यह जिला झींगा मछली की सर्वोत्तम गुणवत्ता बनाए रखने में लगातार सक्षम बना रहा है, क्योंकि पूरा संवर्धित क्षेत्र अन्य इलाकों की तुलना में ऊंचाई में विकसित किया गया है। इस जिले का अन्य देशों को भारत के झींगा मछली निर्यात में एक बड़ा योगदानहै।

कलिंगा पट्टिनम में वर्तमान झींगा मछली संवर्धनक्षेत्र 1000 एकड़ से अधिक है और कई फीड कंपनियों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सभी फार्म उच्च जैव सुरक्षित परिस्थितियों में श्रीकाकुलम सागर तट के पास स्थित हैं। इन फार्मों से प्रति वर्ष लगभग 40,000 टन झींगा मछली, जिनका औसत वजन (प्रति झींगा मछली) 20 ग्राम है, पैदा की जाती है और इससे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की वार्षिक कमाई होती है। इन फार्मों ने लगभग 600 किसानों को रोजगार दिया है और लगभग 5000 लोग अपनी आजीविका के लिए सीधे इन फार्मों पर काम करते हैं।

प्रमुख फार्मों में से एक फार्म ओवजन्या एक्वेटिक्स है, जो आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के गारा मंडल के टोनंगी गांव में स्थितहै,जिसका स्वामित्व प्रगतिशील किसान श्री दतला वेंकट लक्ष्मीपति राजू के पास है,जो1000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में क्लस्टर खेती का काम करते हैं, जिसमें श्रीकाकुलम जिले और इस जिले के आसपाससे आने वाले लगभग 600 किसान शामिल हैं।