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डॉ. जितेंद्र सिंह ने सरकारी नौकरी की मानसिकता को स्टार्ट-अप संस्कृति के लिए बाधा बताया

केंद्रीय मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी नौकरी की मानसिकता स्टार्टअप संस्कृति के लिए बाधा उत्पन्न कर रही है, विशेष रूप से उत्तर भारत के लिए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भविष्य का विजन स्टार्टअप के लिए पूरा श्रेय दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 2015 में लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में ‘स्टार्टअप इंडिया स्टैंड अप इंडिया’ का आह्वान किया था, जिसने लोगों में जागरुकता उत्पन्न हुई, जिसके परिणामस्वरूप भारत में स्टार्टअप की संख्या 2022 में 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ 77,000 से ज्यादा हो गई है जो 2014 में केवल 350 थी और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने स्टार्टअप की दुनिया में तीसरी रैंकिंग भी प्राप्त की है।

जम्मू में कृषि, अरोमा, डेयरी, फार्मा, आईटी, कंप्यूटर और संचार क्षेत्रों को कवर करते हुए अपनी तरह के पहले स्टार्टअप एक्सपो का उद्घाटन करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्टार्टअप संस्कृति अभी तक दक्षिण भारतीय राज्यों की तुलना में उत्तर भारतीय राज्यो के युवाओं और उद्यमियों की कल्पना से संबद्ध नहीं हो सकी है, जिसने वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की एक श्रृंखला बनाते हुए शानदार बढ़त हासिल की है।

उन्होंने कहा कि कई युवा उद्यमियों के कुछ अनुकरणीय कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिन्होंने अपने स्टार्टअप को शुरू करने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आकर्षक नौकरियों को छोड़ा है, क्योंकि उन युवा उद्यमियों को भविष्य में इस क्षेत्र में ज्यादा संभावनएं नजर आ रही है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्टार्टअप अभियान अपेक्षाकृत धीमा रहा है, भले ही भारत में ‘पर्पल रिवोल्यूशन’ का जन्म जम्मू कश्मीर में ही हुआ था और जम्मू कश्मीर भव्य अरोमा अभियान का जन्मस्थल भी रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि डेयरी और फार्मा के क्षेत्रों के अलावा विभिन्न कृषि आधारित स्टार्टअप के सफलता की कहानियों के माध्यम से इसके सकारात्मक प्रभावों को महसूस किया जाएगा।

सिंह ने बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहरों को भारत में स्टार्टअप का बूम लाने वाली जगहों के रुप में रेखांकित किया और कहा कि 5जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, सेमीकंडक्टर, ब्लॉक, हरित ऊर्जा और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके इनोवेटर्स, इन्क्यूबेटर्स और उद्यमी अपनी वैश्विक पहचान बना रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उनके नेतृत्व में विभिन्न मंत्रालय और विभाग स्टार्टअप उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ तकनीकी सहायता और सुविधाएं दोनों उपलब्ध कराते हुए आकर्षक योगदान दे रहे हैं, जिसमें आजीविका का एक आकर्षक अवसर भी मौजूद है। लेकिन दुर्भाग्यवश, विशेष रूप से इस क्षेत्र के लोग और कई संभावित लाभार्थी इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि उनमें जागरूकता की कमी है, हालांकि सभी जानकारी वेबसाइटों और पोर्टलों पर उपलब्ध है।

सिंह ने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि भले ही स्टार्टअप मोदी सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से एक है लेकिन कुछ क्षेत्र के लोग इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि वे युवाओ को इस ओर लाने की कोशिश करें और युवाओं का मार्गदर्शन करने के लिए सप्ताह में कम से कम एक बार स्टार्टअप की सफलता की कहानियां प्रस्तुत करें।

कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का बहुत ही महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है क्योंकि भारत की 54 प्रतिशत आबादी पूर्ण रुप से इस पर निर्भर है और यह सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर द्वारा जम्मू कश्मीर में ‘अरोमा मिशन ऑफ लैवेंडर’ नामक अभियान के माध्यम से खेती को बढ़ावा देने वाली सफलता की कहानी को अन्य राज्यों में भी लागू किए जाने की आवश्यकता है।

सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में कृषि-तकनीकी स्टार्टअप की एक नई लहर उभरकर सामने आई है और ये स्टार्टअप आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, शीतलन और प्रशीतन, बीज प्रबंधन और वितरण से संबंधित समस्याओं का समाधान कर रहे हैं, इसके अलावा किसानों को बाजारों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंचने में मदद भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा उद्यमी अब आईटी क्षेत्र और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नौकरियां छोड़ रहे हैं और अपना स्टॉटअप स्थापित कर रहे हैं क्योंकि इन युवा उद्यमियों को अब यह समझ आने लगा है कि उनके लिए स्टॉटअप लाभदायक है और कृषि जैसे क्षेत्रों में निवेश करना बहुत ही कम जोखिम वाला और लाभदायक व्यवसाय है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि फसल मूल्यांकन को बढ़ावा देने, भूमि रिकॉर्ड को डिजिटलीकृत करने, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव को बढ़ावा देने के लिए ‘किसान ड्रोन’ को बड़े पैमाने पर अपनाया जा सकता है और उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए इजरायल, चीन और अमेरिका जैसे देशों ने अपने यहां कृषि प्रथाओं को रूपांतरित कर दिया है।