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केन्‍द्रीय मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने पानी शुद्ध करने वाले स्‍टार्ट-अप की शुरुआत की

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नवीन प्रौद्योगिकी के माध्यम से जल शोधन के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व छात्रों द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस –एआई) संचालित स्टार्ट-अप शुरू किया। इस सुविधा का उद्देश्य बाजार मूल्य से बहुत ही कम मूल्य पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है।

इस अवसर पर मंत्री ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस – एआई) संचालित स्टार्ट-अप पहल अन्य स्टार्ट-अप के लिए भी प्रेरक बननी चाहिए ।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय – प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) और गुरुग्राम स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व छात्रों द्वारा गुरुग्राम में स्थापित एक तकनीकी स्टार्ट अप कंपनी मैसर्स स्वजल वाटर प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

यह कंपनी मलिन (झुग्गी) बस्तियों, गांवों और उच्च उपयोगिता वाले क्षेत्रों के लिए इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (आईओटी) सक्षम सौर जल शोधन इकाई पर अपनी परियोजना के लिए बहुत ही कम मूल्य पर समाज के विभिन्न वर्गों के लिए विश्वसनीय स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नवीन तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) द्वारा स्वजल को दी गई वित्तीय सहायता का स्वागत किया और कहा कि उनका मंत्रालय कौशल और प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तियों वाले संभावित ऐसे छोटे और व्यवहार्य स्टार्ट-अप तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है जिनके पास संसाधनों की कमी है।

मंत्री ने स्वजल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक, डॉ. विभा त्रिपाठी को इस तकनीक को बढ़ाने के लिए कहा, ताकि 2024 तक सभी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के भारत के उस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सके जैसा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने परिकल्पित किया था।

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) और जल जीवन मिशन जैसी केंद्र की पहल के अलावा निजी क्षेत्र को भी ऐसे लगभग 14 करोड़ घरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए अत्याधुनिक तकनीकी समाधानों के साथ बड़े पैमाने पर आगे आना चाहिए जहां अभी तक स्वच्छ पेय जल नहीं पहुंच पाया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री के 75वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि जल जीवन मिशन के मात्र दो साल में ही साढ़े चार करोड़ से अधिक परिवारों को नलों से पानी मिलना शुरू हो गया है मंत्री महोदय ने कहा कि उनका मंत्रालय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के “हर घर नल से जल” की परिकल्पना और मिशन में सार्थक रूप से योगदान दे रहा है।

यह स्मरणीय है कि डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछले वर्ष अक्टूबर में जोधपुर से केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भू भौतिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनजीआरआई) हैदराबाद द्वारा विकसित भूजल प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक हेली-बोर्न सर्वेक्षण तकनीक का शुभारंभ किया था। इस नवीनतम हेली-बोर्न सर्वेक्षण के लिए सबसे पहले गुजरात, पंजाब और हरियाणा राज्यों को लिया जा रहा है।

गुरुग्राम स्थित कंपनी द्वारा पेटेंट कराई गई प्रणाली, ‘क्लेयरवॉयंट’ शुद्धिकरण प्रणालियों को अनुकूलित करने और संभावित व्यवधानों का पूर्वानुमान लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करती है। इस प्रकार, यह वास्तविक समय में प्रत्येक प्रणाली को दूरस्थ रूप से प्रबंधित करने , अद्यतन करने और उसमे मरम्मत करने की अनुमति देती है। उन्होंने जल (वाटर) एटीएमएस के रूप में स्वच्छ पेयजल समाधान भी विकसित किया है, जो स्वच्छ पेयजल प्रदान करने के लिए सौर ऊर्जा के साथ इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) प्रौद्योगिकी को जोड़ती है।

स्वजल द्वारा प्रस्तावित ये ग्रामीण वाटर एटीएम स्थान विशेष के आधार पर नदियों, कुओं , तालाबों या भूजल से पानी उठाने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करेंगे। इसके बाद इस पानी को पीने के लिए स्वस्थ और शुद्ध बनाने के लिए उपयुक्त तकनीक से उपचारित किया जाएगा । इस नवाचार के साथ शुद्ध पानी के मूल्य को घटा कर 25 पैसे प्रति लीटर तक किया जा सकता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सचिव और प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) अध्यक्ष सचिव डॉ. श्रीवारी चंद्रशेखर ने बताया कि इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (आईओटी), कृत्रिम बुद्दिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को अक्षय सौर ऊर्जा के साथ मिलाकर गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए यह परियोजना नई उभरती प्रौद्योगिकियों का एक संयोजन है।

स्वजल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक, डॉ. विभा त्रिपाठी ने कहा कि “प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड से वित्तीय सहायता के साथ, स्वजल जैसा सामाजिक प्रभाव स्टार्ट-अप चमत्कार कर सकता है। हम भारत में और अधिक राज्यों को इस परियोजना में जल्द से जल्द कवर करने की आशा कर रहे हैं।”