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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, सीमित दायरे में रहकर काम करने का युग समाप्त हो गया है और सभी को एकीकृत थीम आधारित परियोजनाओं के लिए हाथ मिलाना चाहिए

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत सरकार के विभिन्न विज्ञान मंत्रालयों और विभागों को सीमित दायरे में रहकर काम करने की बजाय सामान्य विषयों पर संयुक्त परियोजनाएं शुरू करने के लिए कहा गया है। 05 जनवरी, 2022 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) 2022 की थीम “दीर्घकालिक भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण” का शुभारंभ करते हुए उन्‍होंने यह बातें कहीं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक मुद्दों की सार्वजनिक सराहना को शामिल करने के उद्देश्य से एनएसडी थीम को चुना गया है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण वैज्ञानिक दिवसों का उत्सव एक दिन का आयोजन नहीं होना चाहिए बल्कि इसे नियमित आधार पर मनाने की आवश्यकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी हमारे लिए बहुत महत्‍वपूर्ण हैं, जिनका न केवल विज्ञान के प्रति प्राकृतिक झुकाव है बल्कि पिछले 7-8 वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित पहल तथा परियोजनाओं को समर्थन और बढ़ावा देने में भी आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि “आत्मनिर्भर भारत” के निर्माण में भारत के वैज्ञानिक कौशल की प्रमुख भूमिका होगी।

एकीकृत दृष्टिकोण के विषय पर विचार करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि सीमित दायरों में काम करने का युग समाप्त हो गया है और उन्होंने एकीकृत थीम आधारित परियोजनाओं की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान का एकीकरण चार स्तंभों पर आधारित है और ये हैं : ए) समस्या समाधान के विषय आधारित दृष्टिकोण पर काम करने के लिए सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों का एक साथ आना, बी) विस्तारित विज्ञान एकीकरण तकनीकी, इंजीनियरिंग और चिकित्सा संस्थानों के साथ जुड़ाव, सी) अतिरिक्त विज्ञान एकीकरण जो केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों के साथ जुड़ा है और अंत में डी) दीर्घकालिक भविष्य के लिए अग्रणी उद्योगों और स्टार्ट-अप को शामिल करते हुए विस्तारित विज्ञान संचालित दृष्टिकोण।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि छह साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के हस्तक्षेप पर राष्ट्रीय राजधानी में व्यापक विचार मंथन अभ्यास आयोजित किया गया था, जहां विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधियों ने इसरो तथा अंतरिक्ष विभाग के वैज्ञानिकों के साथ गहनता से बातचीत की थी। उन्होंने कहा कि अभ्यास के पीछे इस उद्देश्य का पता लगाना था कि कैसे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के साथ-साथ ढांचागत विकास के पूरक, सुधार और तेजी लाने के लिए आधुनिक उपकरण के रूप में सर्वोत्तम अंतरिक्ष तकनीकी का उपयोग किया जा सकता है।

मंत्री ने कहा कि वह आने वाले दिनों में केंद्र और सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के विज्ञान मंत्रालयों और विभागों को शामिल करते हुए राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन की योजना बना रहे हैं, ताकि भारत के सामने आने वाली समस्याओं और उसके प्रभावी समाधानों पर चर्चा की जा सके।

एकीकृत दृष्टिकोण की सफलता का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा सहित सभी छह एसएंडटी विभागों द्वारा वैज्ञानिक अनुप्रयोगों और तकनीकी सहायता और समाधान के लिए 33 संबंधित मंत्रालयों/विभागों से 168 प्रस्ताव/आवश्यकताएं प्राप्त हुई थीं।

“रमन प्रभाव” की खोज के उपलक्ष्य में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) मनाया जाता है। भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में नामित किया। इस दिन सर सी. वी. रमन ने “रमन प्रभाव” की खोज की घोषणा की, जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पूरे देश में विषय-वस्तु पर आधारित विज्ञान संचार गतिविधियां की जाती हैं।

कई संस्थान अपनी प्रयोगशालाओं के लिए ओपन हाउस का आयोजन करते हैं और विशेष अनुसंधान प्रयोगशाला/संस्थान में उपलब्ध रोजगार के अवसरों के बारे में छात्रों का मूल्यांकन करते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) पूरे देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़े वैज्ञानिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उत्सव में सहयोग, उत्प्रेरण करने और समन्वय करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी), डीएसटी ने अपने राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों और विभागों को व्याख्यान, प्रश्नोत्तरी, ओपन हाउस आदि कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर अनुदान देकर देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का सहयोग किया है।

डीएसटी ने 1987 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रयासों को प्रोत्साहित करना और उसे पहचानने, मान्यता देने के साथ-साथ लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच को विकसित करने तथा विज्ञान को लोकप्रिय बनाने को लेकर राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना की। ये पुरस्कार हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा एसईआरबी महिला उत्कृष्टता पुरस्कार के साथ प्रदान किए जाते हैं। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का वैधानिक निकाय है जो विज्ञान और अभियांत्रिकी के अग्रणी क्षेत्रों में बुनियादी अनुसंधान का सहयोग करता है।

यह 40 वर्ष से कम आयु की महिला वैज्ञानिकों को अनुदान देता है, जिन्होंने किसी एक या अधिक राष्ट्रीय अकादमियों जैसे कि युवा वैज्ञानिक पदक, युवा सहयोगी आदि से मान्यता प्राप्त की हो। अवसर (एडब्ल्यूएसएआर) पुरस्कार भी उसी दिन दिया जाता है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग डीएसटी भारत सरकार की एक पहल है, जो लोकप्रिय विज्ञान लेखन प्रारूप में पीएचडी विद्वानों और पोस्ट डॉक्टरल फैलो द्वारा अपनाए जा रहे विज्ञान, तकनीकी और नवाचार में भारतीय अनुसंधान के प्रसार को मान्यता देने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।