डॉ. मनसुख मांडविया ने उत्तर प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन-2023 के पूर्ण सत्र को संबोधित किया
भारत सरकार एक समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्रों में सुधार ला रही है, जिसमें न केवल अधिक गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना बनाने की परिकल्पना की गई है, बल्कि संस्थानों को कुशलतापूर्वक चलाने के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति भी है। स्वास्थ्य को आज विकास से जोड़ा जा रहा है क्योंकि एक स्वस्थ समाज ही एक विकसित समाज बन सकता है।” यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज यहां उत्तर प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मलेन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह की उपस्थिति में कही।
इस सत्र का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में प्रगति तथा प्राथमिकताओं पर चर्चा करना था। इस संवादपरक सत्र में उत्तर प्रदेश सरकार ने निवेशकों को नई चिकित्सा सुविधाओं के बारे में भी जानकारी प्रदान की और राज्य में मेडिकल कॉलेजों, पैरामेडिकल कॉलेजों तथा नैदानिक सुविधाओं में उपलब्ध अवसरों को रेखांकित किया।
इस अवसर पर डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि उत्तर प्रदेश सुश्रुत और चरक की भूमि है। केंद्र में नरेन्द्र मोदी और राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश अवसरों की भूमि है।
राज्य में स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए निवेशकों और व्यवसायों को प्रोत्साहित करते हुए डॉ. मंडाविया ने कहा, “सरकार ने व्यवसायों के विकास के लिए एक अनुकूल ईकोसिस्टम बनाया है और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए दीर्घकालिक नीतियां लाई है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की नीतियों के कारण आज देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।
डॉ. मांडविया ने इस बात को भी रेखांकित किया कि आयुष्मान भारत पहल जैसी सरकारी योजनाओं ने निजी चिकित्सा संस्थानों में गरीब से गरीब व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण उपचार से लाभान्वित करने के लिए सशक्त और सक्षम बनाया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि देश आज चिकित्सा उपकरणों के आयात पर 65 प्रतिशत तक निर्भर है और उन्होंने उद्यमियों से इस उच्च निर्भरता को कम करने का आग्रह किया। यह स्मरण कराते हुए कि भारत ने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण दवाओं के लिए एपीआई की निर्भरता को सफलतापूर्वक कम किया है, उन्होंने उन्हें स्वदेशी रूप से चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन में नवोन्मेषण करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
ब्रजेश पाठक ने इस बात को रेखांकित किया कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 54,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में 17,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि देश स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने निवेशकों से उन ग्रामीण क्षेत्रों में भी निवेश करने का आग्रह किया, जहां तेजी से विकास हो रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी की सीईओ- संगीता सिंह, एबीपीएमजेएवाई और केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।