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कलांजली महोत्सव के अंतर्गत जलियांवाला बाग नरसंहार के शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि के तौर पर 15 और 16 अप्रैल को इंडिया गेट पर नाटक प्रस्तुति

स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन देश भर में आयोजित कर रहा है जिसमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय समय – समय पर नाट्य प्रस्तुतियों एवं नाट्य समारोह के माध्यम से आजादी के अकीर्तित नायकों, नायकों को श्रृद्धांजलि अर्पित कर स्वतंत्रता के इस पावन पर्व में देश की जनता के साथ मिलकर अपनी भागीदारी निभाता रहा है इसी निरंतरता को बनाए रखते हुए संकृति मंत्रालय, भारत सरकार के “कलांजलि महोत्सव” के आयोजन के अंतर्गत राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय अपने समारोह “आज़ादी का अमृत महोत्सव- 22 वां भारत रंग महोत्सव (आज़ादी श्रृंखला) में अमृतसर में प्रदर्शित हो चुके और दर्शकों द्वारा सराहे गए दो नाटक “जलियाँवाला बाग़” एवं शहीद ऊधम सिंह आज़ाद” आमंत्रित कर दिल्ली के दर्शकों के लिए 15 एवं 16 अप्रेल को सांय 7:00 बजे सेंट्रल विस्टा, इंडिया गेट पर प्रस्तुत करने जा रहा है |

15 अप्रेल 2023 – जलियांवाला बाग़ – निर्देशक: अशोक बांठिया – नाट्य-दल- मिस्टिक एक्ट, मुंबई, अवधि :01:10 घंटा, भाषा; हिंदी
16 अप्रेल 2023 – शहीद ऊधम सिंह आज़ाद – निर्देशक: सुदेश शर्मा- नाट्य-दल:थिएटर फॉर थिएटर, चंडीगढ़, अवधि :01:10 घंटा, भाषा; हिंदी
इन दोनों ही नाटकों के आमन्त्रण के पीछे एक महत्वपूर्ण मंत्रणा रही | क्यूंकि 13 अप्रेल बैसाखी पर्व के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण दिन है इसी बैसाखी के दिन 1919 को जलियांवाला बाग़ की वह घटना घटित हुई जिसके बारे में पढ़कर, सुनकर आज भी हर व्यक्ति का दिल सिहर उठता है जिसमे अंग्रेजों द्वारा गोली चलाकर सैकड़ों लोगों का नरसंहार कर दिया गया था जिसने स्वतंत्रता सेनानियों और स्वतंत्रता के आन्दोलन को एक ज्वाला में बदल दिया था | इसी घटना पर आधारित है नाटक “जलियांवाला बाग़” |

ऊधम सिंह इस हत्याकांड के चश्मदीद थे, इस हत्याकांड का बदला लेने के लिए उन्होंने इसी जगह पर (जलियांवाला बाग़ में) जनरल डायर को मारने की प्रतिज्ञा ली थी और 13 मार्च 1940 को लन्दन में उन्होंने यह प्रतीज्ञा पूरी की| दूसरा नाटक “शहीद ऊधम सिंह आज़ाद” उनकी इसी यात्रा और बलिदान पर आधारित है |

दोनों ही नाटक एक दुसरे के पूरक हैं जो स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास की कड़ी को जोड़ते हैं | इन दोनों नाटकों को मंचन करते हुए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के साथ मिलकर अपने उन समस्त वीरों को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन करता है जिन्होंने अपने देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी|