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लॉकडाउन के दौरान भी लोग पीएमजेएवाई पर निर्भर रहे

पीएमजेएवाई [प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना] एक महत्वकांशी कार्यक्रम है और आयुषमान भारत योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारत सरकार द्वारा 2018 में समाज के वंचित एवं कमजोर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरु किया गया था। जिन राज्यों ने इस स्वास्थ्य योजना को अपनाया, उन राज्यों में इसका मजबूत सकारात्मक परिणाम सामने आया है। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश करते हुए यह बात कही।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि पीएमजेएवाई का उपयोग कम मूल्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सामान्य उपयोग के लिये किया जा रहा है। यह भी बताया गया है कि योजना के तहत महामारी और लॉकडाउन के समय भी डायलिसिस जैसी सुविधाएं बिना किसी बाधा के सुचारु रुप से जारी रहीं। सामान्य दवाएं, मुख्य रुप से विशेषज्ञ क्लीनिकल सेवाएं जिनमें लॉकडाउन के दौरान कमी आई थी उसमें वी आकार का सुधार देखा गया है और दिसंबर, 2020 यह पुनः कोविड महामारी से पहले के दौर में पहुंच गई हैं। तथ्यों के अनुसार अब दैनिक दावे भी बढ़ रहे हैं, आर्थिक समीक्षा में विशेष रूप से बताया गया है कि राष्ट्रीय डायलिसिस मिशन को पीएमजेएवाई के साथ मिलाया जा सकता है।

पीएमजेएवाई और स्वास्थ्य निष्कर्ष – भेद-विभेद

आर्थिक समीक्षा में मह्त्वपूर्ण विश्लेषण करते हुए पीएमजेएवाई के स्वास्थ्य निष्कर्ष पर महत्वपूर्ण प्रभाव का अनुमान लगाते हुए इसका भेद-विभेद विश्लेषण किया गया है। पीएमजेएवाई को मार्च, 2018 में लागू किया गया था जिसमें स्वास्थ्य संकेतकों को राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 (2015-16 में) और 5 (2019-20 में) के दौरान मापा गया और जिसके प्रभाव को जांचने के लिए आंकड़े पहले और बाद में उपलब्ध कराए गए। बजट पूर्व समीक्षा में पीएमजेएवाई को अपनाने वाले राज्यों की तुलना उन राज्यों से की गई है जिन्होंने इस योजना को नहीं अपनाया है।

पश्चिम बंगाल की तुलना उसके पड़ोसी राज्यों के साथ

पश्चिम बंगाल राज्य के आंकड़ों की तुलना उसके पड़ोसी राज्यों बिहार, असम और सिक्किम से करते हुए आर्थिक समीक्षा में दर्शाया गया है कि बिहार, असम और सिक्किम में स्वास्थ्य बीमा अपनाने वाले घरों में 2015-16 से लेकर 2019-20 तक 89 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जबकि इसी दौरान पश्चिम बंगाल में 12 प्रतिशत तक की कमी हुई है। इसके अतिरिक्त 2015-16 से 2019-20 तक पश्चिम बंगाल में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। जबकि उसके तीन पड़ोसी राज्यों में 28 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 20 प्रतिशत तक गिरी है जबकि इसके पड़ोसी राज्यों में यह गिरकर यह 27 प्रतिशत हो गई है। आधुनिक गर्भनिरोधक के तरीकों और गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग तीनों राज्यों में क्रमशः 36 प्रतिशत, 22 प्रतिशत और 28 प्रतिशत तक बढ़ा है जबकि पश्चिम बंगाल में इसमें न के बराबर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पश्चिम बंगाल में दो बच्चों के बीच अंतर में कोई महत्वपूर्ण गिरावट नहीं देखी गई है जबकि तीनों पड़ोसी राज्यों में 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। तीनों पड़ोसी राज्यों में माँ और शिशु की देखरेख से संबंधित विभिन्न सूचकों में पश्चिम बंगाल के मुकाबले बढ़ोतरी देखी गई है।

पीएमजेएवाई को अपनाने वाले सभी राज्यों की तुलना इसे न अपनाने वाले राज्यों से

आर्थिक समीक्षा में पीएमजेएवाई को लागू करने वाले राज्यों की तुलना इसे न अपनाने वाले राज्यों से की गई है। जिन राज्यों ने पीएमजेएवाई को लागू किया है वहां इसे न अपनाने वाले राज्यों की तुलना में महत्वपूर्ण रूप से बेहतर स्वास्थ्य निष्कर्ष सामने आए हैं। कई समीक्षाओं में यह पाया गया है कि जिन राज्यों ने पीएमजेएवाई को लागू नहीं किया है उनके मुकाबले इसे अपनाने वाले राज्यों में बेहतर स्वास्थ्य बीमा, शिशुओँ और बच्चों में मृत्यु दर का कम होना, परिवार नियोजन सेवाओँ के बेहतर उपयोग तक पहुंच और एचआईवी / एड्स को लेकर जागरूकता पाई गई है। बीमा के व्यापक कवरेज से देखभाल में मदद मिली है साथ ही इसके चलते स्वास्थ्य संबधी बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। हालांकि इस योजना को लागू हुए अभी बहुत कम समय हुआ है लेकिन इसके प्रभाव जिनकी समीक्षा को रेखांकित करते हुए पहचान की गई है उनमें इस कार्यक्रम की क्षमता महत्वपूर्ण रूप से उजागर हुई है और देश में, विशेष कर वंचित वर्ग के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।

समीक्षा में बताया गया है:

पीएमजेएवाई को अपनाने वाले राज्यों में एनएफएचएस 4 से एनएफएचएस 5 में जीवन बीमा में परिवार के कवर होने वाले सदस्यों की संख्या में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जिन राज्यों ने पीएमजेएवाई को नहीं अपनाया है वहाँ इसमें 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। स्वास्थ्य बीमा कवरेज में इस तरह की बढ़ोत्तरी पीएमजेएवाई की सलता
फलता को दर्शाता है।

शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में गिरावट क्रमशः 20 प्रतिशत और 12 प्रतिशत दर्ज की गई। इस प्रकार पीएमजेएवाई राज्यों में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

दो सर्वेक्षणों के बीच मुख्यतः सभी राज्यों में परिवार नियोजन अपनाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जिन राज्यों में पीएमजेएवाई को अपनाया गया है वहां पर इसमें महत्वपूर्ण रूप से बढ़त देखने को मिली है।

पीएमजेएवाई अपनाने वाले राज्यों में अनियोजित परिवार नियोजन वाली महिलाओँ में 31 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है जबकि पीएमजेएवाई न अपनाने वाले राज्यों में यह कमी केवल 10 प्रतिशत दर्ज की गई।

जन्म देखभाल संकेतकों में सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए पीएमजेएवाई न अपनाने वाले राज्यों में संस्थागत जन्म, सार्वजनिक सुविधा में संस्थागत जन्म और घरों में जन्म के मामले अधिक हैं। जबकि सीजेरियन जन्म देने वालों के मामले पीएमजेएवाई अपनाने वाले राज्यों में इसे न अपनाने वाले राज्यों की तुलना में अधिक है। समीक्षा में बताया गया है कि पीएमजेएवाई में जन्म देखभाल बहुत अधिक प्रभावी नहीं है।
पीएमजेएवाई अपनाने वाले राज्यों की महिलाओं में एचआईवी / एड्स (प्रतिशत) जानकारी विस्तृत है और इसमें 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकी पीएमजेएवाई न अपनाने वाले राज्यों में यह बढ़ोतरी केवल 2 प्रतिशत दर्ज की गई है। दूसरी तरफ इस मामले में पुरुषों में पीएमजेएवाई अपनाने वाले राज्यों में 9 प्रतिशत दर्ज हुई है। जबकि पीएमजेएवाई न अपनाने वाले राज्यों में इसमें 39 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

मार्च, 2018 में भारत सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी – पीएमजेएवाई) को लागू किया था जिससे देश के वंचित वर्ग को बेहतर द्वितीय और तृतीय स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। इसके लाभार्थी 10.74 करोड़ वंचित और गरीब परिवारों के तकरीबन 50 करोड़ लोग थे। योजना ने सार्वजनिक और पैनल में शामिल निजी अस्पतालों में प्रति परिवार 5 लाख रुपये की द्वितीय और तृतीय इलाज की सुविधा प्रदान कराई है। इसमें 23 विशेषज्ञताओं के साथ 1573 प्रक्रियाएं शामिल हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए, 2019) की पीएमजेएवाई पर हालिया जारी वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि 32 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने इस योजना को लागू किया है।

Written by Ankit Anand

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