‘ई-परक्राम्य भंडारण रसीद के आधार पर डिजिटल वित्तपोषण और आगे का रास्ता’ विषय पर सम्मेलन में ‘कारोबार में आसानी’ पर चर्चा हुई
मुंबई स्थित नाबार्ड के प्रधान कार्यालय में ‘ई-परक्राम्य भंडारण रसीद के आधार पर डिजिटल वित्तपोषण और आगे का रास्ता’ विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन का उद्देश्य डब्ल्यूडीआरए द्वारा पंजीकृत भंडारगृहों द्वारा जारी किए गए ई-एनडब्ल्यूआर के आधार पर फसल कटाई के बाद वित्तपोषण सुविधा बढ़ाने के लिए बैंकरों के साथ बातचीत करना और ऐसी व्यवस्था विकसित करना था, जो ‘कारोबार में आसानी’ में सुधार करे। यह फसल कटाई के बाद के वित्तपोषण को मौजूदा स्तरों से बढ़ाने में भी मदद करेगा। उपस्थित बैंकरों ने डब्ल्यूडीआरए द्वारा स्थापित ई-एनडब्ल्यूआर प्रणाली के प्रति अपनी संतुष्टि व्यक्त की, क्योंकि यह उन्हें भंडारगृहों के रसीदों के बदले दिए गए ऋणों के के लिए काफी सुरक्षा और सुविधा प्रदान करती है। पिछले कुछ वर्षों में ई-एनडब्ल्यूआर के आधार पर दिए जाने वाले ऋण में लगातार वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान ऋण का आंकड़ा पहले ही 1500 करोड़ रुपये को पार कर चुका है। भाग लेने वाले बैंकरों ने फसल कटाई के बाद के दिए गए ऋणों के बारे में जानकारी दी और वे ऋण की मात्रा बढ़ाने पर भी सहमत हुए।
यह रेखांकित किया गया कि ई-एनडब्ल्यूआर के बदले डिजिटल वित्तपोषण से बैंकों को परेशानी मुक्त ऋण देने में मदद मिलेगी। इससे नकदी बढ़ाने और किसानों की आय में सुधार करने में मदद मिलेगी। बैंक बिना अतिरिक्त जोखिम के अपने ऋण कारोबार का विस्तार कर सकते हैं। एक पोर्टल के माध्यम से डब्ल्यूडीआरए के भण्डारगृहों के साथ बैंकों की कोर बैंकिंग वित्तीय प्रणाली को एकीकृत करने की परियोजना पर चर्चा की गई। यह सुविधा (गेटवे) जमाकर्ता को ई-एनडब्ल्यूआर के बदले फेसलेस और त्वरित तरीके से ऋण प्राप्ति में सक्षम करेगा।
भंडारण क्षेत्र का नियामक होने के नाते, डब्लूडीआरए देश में वैज्ञानिक भंडारण को बढ़ावा देने के लिए प्रणाली में सुधार करने का हमेशा प्रयास करता है। सभी कमोडिटी के लिए एक परक्राम्य भण्डार रसीद प्रणाली स्थापित करने हेतु डब्ल्यूडीआरए कार्यान्वयन एजेंसी भी है। इसके लिए, डब्ल्यूडीआरए जमाकर्ताओं, भण्डारपालों और वित्तीय संस्थानों सहित हितधारकों के बीच जिम्मेदार विश्वास को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न कदम उठा रहा है।
भंडारण क्षेत्र के नियामक और देश में परक्राम्य भण्डार रसीद (एनडब्ल्यूआर) की स्थापना के लिए एजेंसी के रूप में डब्ल्यूडीआरए ने उपस्थित बैंकरों को आश्वासन दिया कि यह इलेक्ट्रॉनिक एनडब्ल्यूआर के बदले दिए गए ऋण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बैंकरों को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करेगा। उपस्थित सभी लोगों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आम उद्देश्य कृषि उपज के आधार पर फसल कटाई के बाद के ऋण स्तर को बढ़ाना तथा कृषकों की आय में वृद्धि करना है। डब्ल्यूडीआरए के अधिकारियों ने सभी बैंकों से आग्रह किया कि वे कागजी भण्डार रसीदों का उपयोग करने के बजाय ईएनडब्ल्यूआर के माध्यम से भण्डार रसीद वित्तपोषण के डिजिटल मोड को अपनाएँ। यह वित्त क्षेत्र में डिजिटलीकरण को बढ़ाने के सरकार के प्रयासों में भी योगदान देगा।
सम्मेलन में डब्लूडीआरए के अध्यक्ष टीके मनोज कुमार, नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी कुमार केवी, डब्ल्यूडीआरए के सदस्य मुकेश जैन के साथ विभिन्न बैंकों के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण और एमएसएमई प्रभागों के प्रमुखों ने भी भाग लिया।