NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
आर्थिक समीक्षा : सामाजिक क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक खर्च हुआ

केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश करते हुए कहा कि इस समीक्षा में बताया गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद की प्रतिशत्ता के रूप में संयुक्त (केन्द्र और राज्य) सामाजिक क्षेत्र व्यय में बढ़ोतरी हुई है। सामाजिक सेवाओं (शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक क्षेत्र) में सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में केन्द्र और राज्यों का संयुक्त रूप से व्यय बढ़कर 2020-21 में (आकलन से पूर्व) 8.8 प्रतिशत हो गया है जबकि वर्ष 2019-20 में यह 7.5 प्रतिशत (संशोधित अनुमान) था।

सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए अनेक उपाय किए हैं। सरकार ने मार्च, 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपये के पहले राहत पैकेज की घोषणा की थी और मई, 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के व्यापक प्रोत्साहन एवं राहत पैकेज की भी घोषणा की गई थी। पिछले वर्षों के दौरान सरकार द्वारा लागू की गई विकास एवं कल्याण योजनाओं के साथ-साथ इन राहत उपायों से देश में कोविड-19 महामारी के प्रभाव को दूर करने में मदद मिली और देश की निरंतर तेज (V-शेप) आर्थिक रिकवरी को भी बढ़ावा मिला।

समीक्षा के अनुसार कुल 189 देशों में एचडीआई 2019 में भारत का स्थान 131 दर्ज हुआ, जो वर्ष 2018 में 129 था। एचडीआई संकेतकों के उप-घटक वार कार्य प्रदर्शन को देखते हुए भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (2017 पीपीपी$) बढ़कर 2018 में 6,427 अमरीकी डॉलर तथा 2019 में बढ़कर 6,681 अमरीका डॉलर हो गई। जन्म पर अनुमानित जीवन भी 69.4 वर्ष से बढ़कर 69.7 वर्ष हो गया।

आर्थिक समीक्षा यह बताती है कि कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों की ऑनलाइन शिक्षा भी बड़े पैमाने पर शुरू हुई। डेटा नेटवर्क, कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक पहुंच को ऑनलाइन शिक्षण और रिमोट कामकाज के कारण काफी महत्व मिला। समाज के सभी वर्गों को ऑनलाइन डिजिटल स्कूली शिक्षा के माध्यम के तहत लाने के लिए नवाचारी उपायों को अपनाया गया।

समीक्षा में यह पाया गया है कि वर्ष 2018-19 को एक अच्छे रोजगार पैदा करने वाले वर्ष के रूप में जाना जाता है। इस अवधि के दौरान लगभग 1.64 करोड़ अतिरिक्त रोजगार जुटाए गए, जिसमें 1.22 करोड़ रोजगार ग्रामीण क्षेत्रों में और 0.42 करोड़ रोजगार शहरी क्षेत्रों में जुटाए गए। वर्ष 2017-18 में महिला एलएफपीआर 17.6 प्रतिशत थी, जो 2018-19 में बढ़कर 18.6 प्रतिशत हो गई है।

इस समीक्षा में बताया गया है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन दिया है। मौजूदा केन्द्रीय श्रम कानूनों को युक्तिपूर्ण बनाया गया है और चार श्रम संहिताओं यानी (i) वेतन पर कोड, 2019 (ii) औद्योगिक संबंध कोड, 2020 (iii) पेशेगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कामकाजी शर्तें कोड, 2020 और (iv) सामाजिक सुरक्षा पर कोड, 2020 को सरल बनाया गया है, ताकि इन कानूनों को श्रम बाजार के बदलते हुए रुझानों के अनुरूप बनाया जा सके।

20 दिसंबर, 2020 के अनुसार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) का निवल पे-रोल डेटा यह दर्शाता है कि वर्ष 2019-20 में ईपीएफओ में नये सदस्यों की कुल संख्या बढ़कर 78.58 लाख हो गई है, जो वर्ष 2018-19 में 61.1 लाख थी। शहरी क्षेत्रों को कवर करने वाले त्रैमासिक पीएलएफएस में 2019 की चौथी तिमाही की तुलना में वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में रोजगार की स्थिति में भी सुधार हुआ है।

समीक्षा उल्लेख करती है कि समय उपयोग समीक्षा 2019 में यह दर्शाया गया है कि महिलाएं ने अपने पुरूष समकक्षों की तुलना में बिना किसी भुगतान के अपने परिवार के सदस्यों की घरेलू और देखभाल करने वाली सेवाओं के लिए अनुपातिक रूप से अधिक समय खर्च करती हैं। यह भारत में महिला एलएफपीआर के अपेक्षित रूप से कम स्तर के कारण को दर्शाता है। समीक्षा में यह सिफारिश की गई है कि कार्य स्थलों पर वेतन और करियर प्रगति, कार्य प्रोत्साहन देने में सुधार और महिला कर्मचारियों के लिए अन्य चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा लाभों सहित भेदभाव न करने वाली प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है।

समीक्षा में स्वास्थ्य क्षेत्र में नवजात शिशु मृत्यु दर के साथ एनएफएचएस-5 के परिणामों में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने और स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति में दक्षता लाने का जिक्र किया गया है। एनएफएचएस-4 की तुलना में एनएफएचएस-5 में अधिकांश चुनिंदा राज्यों में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट दर्ज हुई है। मृत्यु दर में यह कमी आयुष्मान भारत के तहत प्रधानमंत्री जन औषधि योजना शुरू करने के कारण आई है।

समीक्षा में यह दर्शाया गया है कि कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में महामारी के खिलाफ लड़ाई में विशेष जरूरतों के लिए आवंटन की बौछार हुई है। लॉकडाउन, सामाजिक दूरी, यात्रा संबंधी परामर्श, हाथ धोने की प्रक्रिया, मास्क पहनने जैसे शुरुआती उपायों से इस बीमारी को फैलने से रोका गया है। देश ने आवश्यक दवाओं, हैंड सेनेटाइजर, मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटरों, कोविड-19 परीक्षण और उपचार सुविधाओं में आत्मनिर्भरता भी हासिल की है। दो स्वदेश निर्मित वैक्सीनों के माध्यम से 16 जनवरी, 2021 से दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है।

समीक्षा में बताया गया है कि मार्च, 2020 में घोषणा की गई पीएमजीकेवाई योजना के तहत दो किस्तों में 1000 रुपये का नकद हस्तांतरण किया गया और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत मौजूदा बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांग लाभार्थियों को पांच-पांच सौ रुपये का भुगतान किया गया। 2.82 करोड़ एनएसएपी लाभार्थियों के लिए 2814.50 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी। पीएम जन-धन योजना में महिला लाभार्थियों के बैंक खातों में तीन महीनों के लिए पांच-पांच सौ रुपये की राशि डिजिटल माध्यम से हस्तांतरित की गई, यह राशि 20.64 करोड़ रुपये की रही। लगभग 8 करोड़ परिवारों को तीन महीनों के लिए मुफ्त गैस सिलेंडर बांटे गए। 63 लाख महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए बिना गिरवी के ऋण की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी गई, जिससे 6.85 करोड़ परिवारों को मदद मिलेगी।

इस समीक्षा में बताया गया है कि 2020-21 के दौरान 21 जनवरी, 2021 तक कुल 311.92 करोड़ मानव-दिवसों का सृजन किया गया और कुल 65.09 लाख व्यक्तिगत लाभार्थियों ने काम किया तथा 3.28 लाख जल संरक्षण से संबंधित कार्य पूरे किए गए। महात्मा गांधी नरेगा के तहत 01 अप्रैल, 2020 से वेतन 20 रुपये बढ़ाकर 182 रुपये से 202 रुपये कर दिया गया, जिससे कामगारों को 2000 रुपये प्रति वर्ष की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी।

Ankit Anand

READ IT TOO- लॉकडाउन के दौरान भी लोग पीएमजेएवाई पर निर्भर रहे