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किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार की घोषणा को बताया सबसे बड़ा मजाक, जानें क्या है

भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा फसलों की खरीद को सीजन 2022-23 की खरीद को जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है वह किसानों के साथ सबसे बड़ा मजाक है।

कृषि मूल्य आयोग द्वारा पिछले साल गेहूं की पैदावार की लागत बताई गई 1449 जो इस बार घटाकर एक हजार कर दी गई है, इससे बड़ा मजाक कुछ हो नहीं सकता।

राकेश टिकैत ने अपने इंटरनेट एकाउंट ट्विटर पर एक ट्वीट करते हुए लिखा है कि सरकार ने जो बढ़ी हुई एमएसपी घोषित की है वो एक धोखा है। सीजन 2022-23 की खरीद हेतु जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है वह किसानों के साथ सबसे बड़ा मजाक है।

एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य वो रेट है जिस पर सरकारी एजेंसियां किसानों से अनाज को खरीदने का काम करती हैं। केंद्र सरकार ने 9 जून को खरीफ की फसलों के लिए 22 फसलों की एमएसपी की घोषणा की थी। जिसमें धान का रेट 72 रुपये तक बढ़ाया गया था। धान की खरीद अगले माह यानि अक्टूबर महीने से शुरु होगी। सरकार फसलों की बोआई से पहले एमएसपी घोषित करती है, ताकि किसान उसके अनुरूप फसलों की बोआई कर सके।

केंद्र सरकार ने कहा कि साल 2022-23 के लिए रबी की फसलों के लिए एमएसपी में कम से कम 1.5 गुना एमएसपी तय किया है। किसान खेती में जितना खर्च करता है, उसके आधार पर होने वाले लाभ का सरकार को अनुमान है।

राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि मूल्य आयोग द्वारा पिछले साल गेहूं की पैदावार की लागत 1459 रुपए बताई गई थी और इस साल लागत घटाकर 1008 रुपए कर दी गई है। इससे बड़ा मजाक कुछ हो ही नहीं सकता। जो सरकार एमएसपी को बड़ा कदम बता रही है उसने किसानों की जेब को काटने का काम किया है। दूसरी कुछ फसलों में थोड़ी बहुत वृद्धि की गई है लेकिन उन फसलों की खरीद न होने के कारण किसानों की फसल बाजार में सस्ते मूल्य पर खरीदी जाती है।