किसान आंदोलन में अब तक 11 लोगों की मौत; कितने लोगों की जान की जान लेगी ये निक्कमी सरकार?
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रतिरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले 17 दिनों से किसान भीषण ठंढी में दिल्ली के बॉर्डरों पर जमें हुए हैं। सरकार और किसान के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया है। अब तक इस आंदोलन में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। कुछ किसानों की जान ठंढ में ठिठुरकर हुई तो कुछ किसानों की जान हादसे में गई। किसान के इस हालातों के जिम्मेदार अगर हम केंद्र सरकार को नहीं माने तो किसको माने? पहले इस काले, किसान विरोधी कानून को पास कराया गया, और अब सरकार इसे खारिज न करके अपने अहंकार का प्रदर्शन कर रही है।
कॉर्पोरेट को फायदा पहुँचाने वाला ये कानून पूरी तरीके से भारत के किसानों को बर्बाद कर देगा। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कई जानकार लोगों की माने तो इससे न सिर्फ किसानों के अस्तित्व के लिए खतरा है बल्कि इससे भारत की आर्थिक स्थिति भी ख़राब होगी। इस साल की अगर हम बात करे तो हर सेक्टर में मंदी देखने को मिली। केवल कृषि सेक्टर ने भारत के इकॉनमी की इज्जत थोड़ी बहुत बचाई। अगर ये सरकार किसानी को भी ख़राब कर देगी तो फिर हमारे देश की आर्थिक स्थिति क्या होगी ये सोचने वाली बात है।
निक्कमी सरकार
इस निक्कमी सरकार के पिछले 6 सालों में कई ऐसे फैसले किए जिसे ऐतिहासिक बताया गया। लेकिन इन फैसलों की सार्थकता देखे तो मालूम चल जाएगा कि हर फैसले ने इस देश की कमर तोड़ने का काम किया। नोटबंदी और GST को लेकर भी बड़े – बड़े वादे किए गए लेकिन इनकी असफलता से देश का बच्चा – बच्चा वाक़िफ़ है। यह सरकार सिर्फ हिन्दू मुस्लिम करके देश को तोड़ने का काम कर सकती है। देश चलाना इनके बस की बात नहीं।
कमजोर विपक्ष
कहतें हैं लोकतंत्र की हानि तब होती है जब इसका विपक्ष कमजोर और निराधार हो। भारत के मौजूदा विपक्ष की हालत यही है। कांग्रेस नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को खुद उनकी पार्टी सीरियस नहीं लेती है तो देश की तो बात दूर है। VIP कल्चर में जी रहे विपक्ष जो काम नहीं कर रहा वो काम इस देश के अन्नदाताओं ने कर दिया है। यकीन मानिए भारत ने एक से एक आंदोलन और क्रांति देखे हैं लेकिन इस आंदोलन की तुलना जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन से की जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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