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राधा अष्टमी का त्योहार: कब है, क्या हैं पूजा और व्रत रखने के विधान, आइये जानते है

इस बार राधा अष्टमी का त्योहार 14 सितम्बर यानि कल है। यह त्योहार कृष्ण जन्म अष्टमी की तरह ही मथुरा, वृंदावन और बरसाना में बड़े ही धूमधाम और श्रद्गा से मनाया जाता है। देश के अन्य जगहों पर श्रद्धालु त्योहार को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं। कहा जाता है कि राधा रानी का जन्म इसी दिन हुआ था।

श्री कृष्ण के बिना राधा अधूरी है और राधा के बिना श्री कृष्ण। इसीलिए श्री कृष्ण के नाम से पहले राधा का नाम लिया जाता है। तभी तो कहते है – राधाकृष्ण

इनका नाम लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। बरसाना में हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। बरसाना को राधा का जन्म स्थान माना जाता है। यहाँ पूरी रात चहल पहल रहती है। कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कार्यक्रमों की शुरुआत धार्मिक गीतों और भजनो से होती है। भक्त इस मौके पर उपवास रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि राधा अष्टमी का उपवास रखनेवाले को राधा जी का दर्शन होता है।

पूजन कैसे किया जाता है ;-

सुबह नहाने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पूजा घर में कलश स्थापित करें।कलश पर तांबे का बर्तन रखें। राधा की मूर्ति को पंच अमृत से नहलाएं।

पंच अमृत में दूध, दही, शहद, तुलसी दल और घी को शामिल करें।

राधा जी को नहलाने के बाद सुंदर कपड़े और आभूषण से श्रंगार करें। अब, राधा की मूर्ति को कलश पर रखे बर्तन में रख दें। उसके बाद धूप और बत्ती से आरती करें। अब राधा जी को प्रसाद का भोग लगाएं। पूजा के बाद पूरा दिन उपवास रखें। अगले दिन, खाना और दक्षिणा महिलाओं और ब्राह्मणों को दें।

इस तरह राधा अष्टमी का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।