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एनसीजीजी, मसूरी में आज अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों के लिए सुशासन पर पहले क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत हुई

बांग्लादेश, मालदीव और अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों के लिए दो सप्ताह का क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन आज मसूरी स्थित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) में किया गया। इसमें बांग्लादेश (56वें बैच) के 39 प्रतिभागी, मालदीव (20वें बैच) के 26 प्रतिभागी और अरुणाचल प्रदेश के पहले क्षमता निर्माण कार्यक्रम में 22 प्रतिभागी शामिल हुए। यह कार्यक्रम सिविल सेवकों को उनके ज्ञान और कौशल को उन्नत करने में मदद करेगा, जिससे वे नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में तेजी ला सकें। इस कार्यक्रम को वैज्ञानिक रूप से भागीदारी के रूप में विकसित किया गया है, जिससे सिविल सेवकों को आम लोगों तक निर्बाध सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्थ बनाया जा सके।

कार्यक्रम की अवधारणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के विजन और ‘पड़ोसी पहले’ वाली नीति के अनुरूप है, जिसे आगे बढ़ाते हुए एनसीजीजी ने विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से बांग्लादेश और मालदीव के सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरूआत की है। उत्तर पूर्व और सीमावर्ती राज्यों में शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण में और ज्यादा सुधार लाने के लिए, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने अरूणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्देश दिया है। एनसीजीजी पहले से ही जम्मू और कश्मीर के सिविल सेवकों के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है, जिसे बड़ी सफलता प्राप्त हो रही है। एनसीजीजी ने 2024 तक मालदीव के 1,000 सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए सिविल सेवा आयोग, मालदीव के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है जबकि 2024 तक 1,800 सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। पहली बार, अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों को भी 2022 में हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन के अनुसार एनसीजीजी के क्षमता निर्माण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता भरत लाल, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक ने की। अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रभावी सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने पर बल दिया। उन्होंने एक सक्षम माहौल तैयार करने के लिए सिविल सेवकों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया, जहां प्रत्येक नागरिक के साथ समान रूप से व्यवहार किया जाता है और गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाओं तक उनकी पहुंच होती है। उन्होंने सुशासन मॉडल का भी उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसके माध्यम से नागरिकों को पेयजल, बिजली, स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन तक पहुंच और त्वरित इंटरनेट कनेक्शन जैसी निर्बाध सेवाएं प्रदान करने में सहायता प्राप्त हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस बात को बल देकर रेखांकित किया कि ‘कोई भी न छूटे’। महानिदेशक ने कहा कि सुशासन में नवाचार और नए प्रतिमान स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना और नवाचारों को लाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस कार्यक्रम से प्राप्त शिक्षा का उपयोग करें और अपनी स्वयं की कार्य योजना तैयार करें, जिसे वे संबंधित देशों/ राज्यों में अपने कार्य क्षेत्रों में लागू करना चाहते हैं।

बांग्लादेश, मालदीव और अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों के लिए इस 2 सप्ताह के कार्यक्रमों में, सिविल सेवक विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के साथ बातचीत करेंगे, जैसे शासन के बदलते प्रतिमान, 2047 में भारत का दृष्टिकोण और सिविल सेवकों की भूमिका, विकेंद्रीकृत नगरपालिका, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, शासन को मजबूत करने की दिशा में सरकारी भर्ती एजेंसी की भूमिका, दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, शासन में नैतिक दृष्टिकोण, आपदा प्रबंधन, देश में ग्रामीण विकास का अवलोकन, 2030 तक एसडीजी के लिए दृष्टिकोण, भारत में स्वास्थ्य शासन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर इसका प्रभाव – नीतियां और वैश्विक प्रथाएं, भ्रष्टाचार विरोधी प्रथाएं, लाइफ, परिपत्र अर्थव्यवस्था आदि सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र।

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की स्थापना 2014 में भारत सरकार द्वारा देश के एक शीर्षस्थ संस्थान के रूप में की गई, जिसमे भारत के साथ-साथ अन्य विकासशील देशों के सिविल सेवकों के लिए सुशासन, नीतिगत सुधार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर काम करने का जनादेश प्राप्त है। यह सरकार के थिंक टैंक के रूप में भी काम करता है। विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में, एनसीजीजी ने अब तक 15 देशों के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है, जिसमें बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया शामिल हैं। इसे कंटेंट और वितरण के लिए जाना जाता है, क्षमता निर्माण कार्यक्रम की मांग की जाती है और एनसीजीजी विभिन्न देशों के सिविल सेवकों को ज्यादा से ज्यादा संख्या को समायोजित करने के लिए अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है।

प्रतिभागियों को स्मार्ट सिटी, इंदिरा पर्यावरण भवन: शून्य ऊर्जा भवन, भारतीय संसद, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, प्रधानमंत्री संग्रहालय आदि जैसे विभिन्न संस्थानों का दौरा भी कराया जाएगा।

आज के उद्घाटन में मालदीव के पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉ. ए. पी. सिंह, अरुणाचल प्रदेश के पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉ. बी. एस. बिष्ट, बांग्लादेश के पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉ. मुकेश भंडारी और एनसीजीजी, मसूरी के संकाय डॉ. संजीव शर्मा भी शामिल हुए।