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पहले शिक्षक बेटे की मौत, फिर पैसे निकालने के लिए चक्कर लगाती माँ ने तोड़ा दम

सेवाकाल में शिक्षक पिता की मृत्यु हो गयी लेकिन, शिक्षा विभाग ने मृत शिक्षक के आश्रित को कोई सेवालाभ नहीं दिया। पिता के मृत्यु के पश्चात मां ने पाँच से दस वर्ष के 3 मासूम छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ एक रात चुपके से घर से निकलकर दूसरी जगह शादी कर ली,और दूसरी तरफ बैंक में जमा 10 लाख रुपये भी 5 साल में नहीं मिल सका। बच्चों के एकमाात्र सहारा वृद्ध दादी भी बीते रविवार को दुनिया को अलविदा कहकर हमेशा के लिये चल बसी. 12,10 एवं 6 वर्ष के अबोध तीन भाई-बहन के समक्ष अब खाने की समस्या उत्पन्न हो गयी है। बच्चों का आगंतुकों से बस एक गुहार कि अब मेेरा क्या होगा। यह कोई फिल्म पटकथा नहीं है,बल्कि, बेगूसराय जिल के छौड़ाही प्रखंड का जो मालपुर गांव जो पंचायत भी है।

ग्रामीणों ने भी बच्चों की बात कि लिखित पुष्टिकर जिला अधिकारी तक को भेजा है। छौड़ाही प्रखंड के मालपुर निवासी नियमित शिक्षक गंगा विष्णु यादव जमुई में कार्यरत थे। सेवाकाल में हीं उनकी मौत हो गयी। स्वजनों ने काफी भागदौड़ की लेकिन शिक्षा विभाग के बाबुओं के फेर में आज तक एक रुपया का भी सेवा लाभ शिक्षक के स्वजनों को नहीं मिल सका। पति के मौत के छह माह बाद ही एक रात तीन अबोध बच्चों को छोड़ पत्नी घर से गायब हो दूसरी शादी कर ली। दुसरी तरफ मृत शिक्षक के नाम पर हसनपुर स्टेट बैंक में 10 लाख रुपये जमा है। मृतक के आश्रित सैकड़ों बार बैंक का चक्कर लगा चुके हैं,लेकिन बैंक मैनेजर मृत शिक्षक को ही हाजिर करने की बात कह दावा भुगतान 5 साल बाद भी नहीं कर सके हैं।

मेहनत मजदूरी कर तीन मासूम पोते पोतियो का पालन कर रही वृद्ध दादी 65 वर्षीय साजो देवी की मौत भी रविवार को हो गयी.तीनों बच्चे लिपटकर रो रहे थे। ग्रामीण महिलाएं बच्चों को ढांढस दे खुद भी दहाड़ मार कर रो रही थीं। अबोध बच्चे अन्नु कुुमारी,अमन कुमार(दोनोंं जुुुड़वा भाई बहन) एक छोटा पुत्र रौशन कुमार के मुंह से बस एक आवाज कि शिक्षा विभाग और बैंक के चक्कर में पिता की मौत हो गयी.मां भाग गई,दादी भी चल बसी.घर में खाने का एक दाना नहीं है। कोई देखने वाला नहीं बचा अब हम लोग का क्या होगा?हलांंकि पंचायत सं मुखिया मनीषा देवी,पूूू्र्व मुखिया विजय कुुुमार सिंह,सरपंच विनोद राम, पूर्व सरपंच अमरेंद्र कुमार शर्मा, रंजीत यादव परमानंद यादव,कुंदन कुमार,ब्रह्मानंद यादव,रंजना देवी चंदन कुमार,परशुराम यादव आदि सैकड़ों ग्रामीणों ने आवेदन अंचलाधिकारी एवं डीएम को भेजकर बच्चों के परवरिश की गुहार लगायी है। अधिकारियों को भेजे गये आवेदन में शिक्षा विभाग के प्रेशर में शिक्षक की मौत होने आश्रितों को अब तक सेवा लाभ नहीं देने,बैंक के द्वारा आश्रितों को भुगतान नहीं करने,बच्चों की भुखमरी की स्थिति के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई है। अब इन अनाथ बच्चोंं का सहारा कौन बनता है। वक्त का इंंतजार है।

लेखक – आकाश आनंद पेशे से पत्रकार हैं और प्रभात खबर में कार्यरत हैं


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