जल जीवन मिशन से अब तक चार करोड़ लोग लाभांवित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2024 तक देश के ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों में पाइप से पेयजल पहुंचाने के लिए 15 अगस्त 2019 को की गई घोषणा के बाद से अबतक जलजीवन मिशन के अंतर्गत चार करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में पाइप (नल) से पेयजल आपूर्ति का नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है। इस समय कुल ग्रामीण घरों के 1/3 से अधिक (38प्रतिशत) अर्थात 07 करोड़ 24 लाख ग्रामीण घरों में नल का पानी उपलब्ध हो गया है। गोवा देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां शत प्रतिशत ग्रामीण घरों में पाइप से पीने का पानी मिल रहा है। इसके बाद तेलंगाना एवं अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह आते हैं। इन राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के अनथक प्रयासों से जलजीवन मिशन को 56 जिलों के 86,000 से अधिक गावों में रह रहे प्रत्येक परिवार को पेयजल आपूर्ति करना सुनिश्चित हो सका है। अब सभी राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए अपने[अपने लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित कर रहे है कि देश में हर व्यक्ति को सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल मिल सके और ‘कोई भी छूटे नहीं।
आंध्र प्रदेश के वेलीरपद मंडल में दूरस्थ गांव काकीसनूर में घने वनों के बीच 200 से अधिक लोग रहते हैं। यह पहाड़ी क्षेत्र है और सड़क से दूर होने के साथ-साथ यहाँ बिजली भी नहीं है। किन्तु, इस गांव को हाल में ही राज्य /केंद्र शासित प्रदेशों की सहभागिता से भारत सरकार के जलजीवन मिशन के अंतर्गत सप्ताह में सातों दिन 24 घंटे पीने का पानी मिल रहा है। ये सभी प्रयास सभी ग्रामीण घरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने के भारत सरकार के उस संकल्प के अनुरूप हैं जिसमें लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने और उनका जीवन सुगम बनाने पर जोर दिया गया है। काकीसनूर गांव में स्वच्छ पेयजल मिलने का प्रभाव ग्रामीण समाज के निरंतर बेहतर होते स्वास्थ्य में परिलक्षित होता है। इस गांव में हर घर तक पेयजल के चालू नल का संयोजन पहुंचाना निसंदेह एक दुष्कर कार्य था। गोदावरी नदी के किनारे 20 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद आने वाले इस दूरस्थ गांव में हर घर जल योजना लागी करने में जिला प्रशासन के सामने बहुत कठिनाइयाँ आईं । इसके लिए नाव से हाथ से चलने वाली ड्रिलिंग मशीनों को ले जाया गया। स्थानीय जलधाराओं के निकट बोरवेल बनाए गए और सौर उर्जा से चलने वाले दोहरे पम्प लगाए गए। इतना सब करने के बाद ही पूरे गांव को पेयजल आपूर्ति सम्भव हो पाई।