NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
एफएसएसएआई ने अपने वैज्ञानिक पैनलों (एसपी) और वैज्ञानिक समिति का पुनर्गठन किया

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने अपने वैज्ञानिक पैनलों (एसपी) का पुनर्गठन किया है। साथ ही आईसीएमआर, सीएसआईआर, आईसीएआर, एनआईएफटीईएम, आईआईटी और खाद्य सुरक्षा एवं पोषण के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न संस्थानों के करीब 200 वैज्ञानिक विशेषज्ञों को इसके साथ जोड़ा है। ये वैज्ञानिक अगले तीन वर्षों तक एफएसएसएआई के साथ काम करेंगे और एफएसएसएआई को खाद्य सुरक्षा के वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में सुझाव देंगे। यह आगे खाद्य मानकों एवं विनियमों को अधिसूचित करने की राह तैयार करेगा।

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की स्‍थापना देश में मानव उपभोग के लिए सुरक्षित एवं स्वास्थ्यप्रद भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खाद्य पदार्थों के विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करने के लिए की गई थी।

मानकों का विकास एक वैज्ञानिक समिति और 21 वैज्ञानिक पैनल द्वारा किया जाता है, जो खाद्य प्राधिकरण के प्रमुख वैज्ञानिक अंग होते हैं। एफएसएसएआई ने 24 फरवरी 2023 को 9-9 सदस्यों वाले 21 वैज्ञानिक पैनलों का पुनर्गठन किया है। इसके साथ ही एक वैज्ञानिक समिति भी बनी है जिसमें 21 वैज्ञानिक पैनलों के अध्यक्ष और 6 स्वतंत्र सदस्य शामिल हैं। ये 1 मार्च 2023 से प्रभावी है।

मानक तैयार करने और जरूरत के समय खाद्य प्राधिकरण को वैज्ञानिक सलाह/जानकारी प्रदान करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (एफएसएस अधिनियम) की धारा 13 के तहत खाद्य प्राधिकरण ने वैज्ञानिक पैनल गठित किए हैं।

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (एफएसएस अधिनियम) की धारा 14 के तहत खाद्य प्राधिकरण ने वैज्ञानिक समिति (एससी) का गठन किया है। इसमें छह स्वतंत्र विशेषज्ञ (खाद्य प्राधिकरण द्वारा नामित, जो किसी भी एसपी से संबंधित न हों) और सभी एसपी के अध्यक्ष बतौर सदस्य शामिल हैं। वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 27 है। एससी एक वैधानिक संस्था के रूप में एसपी और खाद्य प्राधिकरण के बीच लिंक के रूप में काम करता है। वैज्ञानिक समिति मुख्य रूप से प्रत्येक पैनल की सिफारिशों का अध्ययन करती है और खाद्य प्राधिकरण को मंजूरी के लिए आगे सिफारिश करती है। खाद्य प्राधिकरण को वैज्ञानिक राय देने वाली यह सर्वोच्च संस्था है।

एफएसएसएआई की स्थापना के समय खाद्य प्राधिकरण ने केवल 8 वैज्ञानिक पैनल बनाए थे। इस समय कुल 21 एसपी हैं जिसमें 11 उर्ध्वाधर और 10 क्षैतिज पैनल शामिल हैं।

इनमें से प्रत्येक एसपी को कई अन्य निकायों के साथ समन्वय में सुविधा के लिए क्रमबद्ध किया गया है। सभी उर्ध्वाधर और क्षैतिज एसपी इस प्रकार हैं:

क्षैतिज और उर्ध्वाधर वैज्ञानिक पैनलों की सूची

क्षैतिज पैनल

एसपी-01 खाने में आंशिक मिलावट, सुरुचि कारकों, प्रसंस्करण सहायकों और खाद्य संपर्क की सामग्री

एसपी-02 कीटनाशक अवशिष्ट

एसपी-03 एंटीबायोटिक अवशेष

एसपी-04 आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव और खाद्य पदार्थ

एसपी-06 जैविक खतरा

एसपी-07 खाद्य श्रृंखला में संदूषक

एसपी-08 लेबल लगाना और दावे/विज्ञापन

एसपी-09 नमूने लेने और विश्लेषण का ढंग

एसपी-18 पोषण और सुरक्षा

एसपी-20 पैकेजिंग

उर्ध्वाधर पैनल

एसपी-05 सामान्य पोषण वाले खाद्य पदार्थ, स्वास्थ्यप्रद भोजन, आहार संबंधी उत्पाद और अन्य चीजें

एसपी-10 मछली और मत्स्य उत्पाद

एसपी-11 अनाज, दालें, फलियां और संबंधित उत्पाद (बेकरी सहित)

एसपी-12 फल और सब्जियां, संबंधित उत्पाद (सूखे मेवे सहित)

एसपी-13 पोल्ट्री सहित मांस और अन्य उत्पाद

एसपी-14 दूध और दूध से बने उत्पाद

एसपी-15 तेल और वसा

एसपी-16 मिठाई, केक, चीनी और शहद

एसपी-17 पानी (सुगंधित पानी सहित) और पेय पदार्थ (एल्कोहल नहीं)

एसपी-19 मसाले और जड़ी-बूटियां

एसपी-21 एल्कोहल वाले पेय

मानक तैयार करने की प्रक्रिया खाद्य सुरक्षा के सिद्धांत और उससे जुड़े जोखिम के आकलन से संचालित होती है। कोई मानक सामान्य प्रकृति का भी हो सकता है जो सभी श्रेणियों के उत्पाद पर लागू हो और इसे आमतौर पर क्षैतिज मानक कहा जाता है। क्षैतिज मानक खाने वाली चीजों की सुरक्षा आवश्यकताओं को निर्धारित करते हैं। इन मानकों में खाने में आंशिक रूप से मिलाई गई कोई चीज, संदूषक, विषाक्त चीज, एंटीबायोटिक अवशेष, कीटनाशक अवशेष, जैविक, पैकेजिंग और लेबलिंग संबंधी आवश्यकताएं शामिल होती हैं। इसी तरह से, जो मानक किसी उत्पाद या उत्पाद की श्रेणी से संबंधित होते हैं उसे उर्ध्वाधर मानक कहा जाता है। ये मुख्य रूप से किसी उत्पाद/उत्पाद की श्रेणी की पहचान एवं गुणवत्ता निर्धारित करते हैं। मानकों के निर्धारण में मुख्य रूप से वैज्ञानिक पैनल शामिल होते हैं, जो विचार-विमर्श के बाद एक आधार मानक सामने रखते हैं और इस पर खाद्य प्राधिकरण की मंजूरी से पहले वैज्ञानिक समिति मुहर लगाती है।