वैज्ञानिक दृष्टि और स्टार्ट-अप प्रोत्साहन के साथ भविष्य का बजट : डॉ. जितेंद्र सिंह
अपने द्वारा देखे जा रहे मंत्रालयों और विभागों पर बजट प्रभावों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग राज्य डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि यदि कोई एक वाक्य में 2022 – 23 के आम बजट की व्याख्या करता है , तो यह कहना उचित होगा कि “ वैज्ञानिक दूरदृष्टि तथा स्टार्ट-अप प्रोत्साहन के साथ यह एक भविष्य का बजट है“।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक ऐसे महत्वपूर्ण दशक की प्रतीक्षा कर रहा है जो मुख्य रूप से दो कारकों (क) अर्थव्यवस्था और (ख) विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार द्वारा निर्धारित किया जाएगा। इन महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक सर्व-समावेशी बजट पेश किया है जो ग्रामीण परिदृश्य, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, स्वच्छता जैसे क्षेत्रों तक पहुँच रहे व्यापक स्पेक्ट्रम को छूता है।
मंत्री ने कहा कि बजट की वस्तुतः पहचान ही यही है कि इसमें परिलक्षित लगभग हर घोषणा या पहल का वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी और नवाचार पर गहरा असर पड़ता है। इस संबंध में उन्होंने प्रौद्योगिकी से जुड़े डिजिटल रुपये, 75 जिलों में डिजिटल बैंकिंग इकाइयों, डिजिटल विश्वविद्यालय और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से जुड़े स्टार्टअप, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आदि जैसी नवीन नई पहलों की घोषणा का उल्लेख किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा घोषित कुछ स्टार्टअप पहलों में आने वाले वर्षों के लिए भविष्य की कार्य योजना (रोडमैप) की झलक भी मिलती है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए इनमें स्टार्टअप्स के लिए गले एक और साल के लिए अर्थात 2024 तक टैक्स में छूट दिया जाना शामिल है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्टार्टअप्स के माध्यम से “ड्रोन शक्ति” सहित ड्रोन पर जोर तथा कृषि क्षेत्र में किसान ड्रोन का उपयोग भारत को दुनिया के अन्य देशों में बढ़त दिलाएगा।
मंत्री महोदय ने आगे बताया कि स्टार्ट – अप्स को बढ़ावा देने के लिए इस बजट में निर्यात प्रोत्साहन और घरेलू उत्पादन प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है।
मंत्री ने इस तथ्य पर विशेष ध्यान दिया कि पृथ्वी विज्ञान जैसे छोटे मंत्रालय को भी 2,653.51 करोड़ रुपये का बजट आबंटित किया गया है जो रुपये के अतिरिक्त है। गहन सागर अभियान (डीप सी मिशन) के लिए इससे पूर्व आबंटित 4,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रधानमंत्री मोदी के उस विश्वास को इंगित करता है कि भविष्य के भारत की अर्थव्यवस्था समुद्र और समुद्री संसाधनों पर अत्यधिक निर्भर रहने वाली है।
इसी तरह, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसी तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए आवंटित बजट 6,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से जैव प्रौद्योगिकी विभाग को 2,581 करोड़ रुपये मिल रहे हैं और यह ऐसा विभाग है जो अभी तक पहले डीएनए वैक्सीन पर और अब नाक के टीके (नेजल वैक्सीन) पर परीक्षण कर रहा है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन (सीओपी) 20 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा व्यक्त की चिंता का उल्लेख करते हुए आज के बजट भाषण में निम्न कार्बन (लो कार्बन) विकास रणनीति की ओर इंगित किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाइड्रोजन मिशन को आगे बढ़ाने के लिए विज्ञान मंत्रालयों को बहुत बढ़ावा दिया है।