संकष्टी चतुर्थी पर होती है गजानन की पूजा, जानें तारीख और महत्व
हर महीने में आने वाली चतुर्थियों का अपना अलग ही महत्व होता है। गणपति बप्पा की महिमा से जुड़ने के बाद चतुर्थी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। जिसे संकष्टी चतुर्थी बोलते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार संकष्टी चतुर्थी को पूजा और उपवास, संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए की जाती है। कहा जाता है कि जो भी संकष्टी चतुर्थी पर गजानन की पूजा अर्चना करते हैं, विघ्नहर्ता उनकी सभी कामना पूरी करते हैं।
इस बार अगस्त महीने में 25 अगस्त को संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है। जिसे बहुला संकष्टी चतुर्थी भी कहा गया है।
विघ्नहर्ता से जुड़ने के बाद चतुर्थी को संकट हरने वाला दिन भी माना जाता है। इस दिन पूजा पाठ का अपना अलग ही महत्व होता है। चतुर्थी पर पूजा करने से संतान के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
इस दिन माताएं उपवास रखती हैं और विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करते हुए गणेश मंत्र का जाप भी करती हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान करने और फिर पूजा पाठ की तैयारी होती है। माताएं सुबह उठकर स्नान ध्यान के बाद साफ सुथरे कपड़े पहनती हैं और फिर पूजा करती हैं।
पूजन में गजानन को सफेद या लाल रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं साथ ही दूर्वा भी अर्पित की जाती है। सुबह की पूजा के बाद माताएं दिन भर उपवास रखती हैं। इस व्रत में केवल फल और आलू, गाजर या शक्कर कंद ही खाने की परंपरा रही है। दिनभर के उपवास के बाद चांद निकलने पर भी पूजा होती है। चांद के निकलते ही रोली, चंदन और शहद मिले दूध का अर्घ्य दिया जाता है। चांद को अर्घ्य देना भी बहुत जरूरी माना गया है। अर्घ्य देने के बाद ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरा माना जाता है।