महाराष्ट्र में 511 प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्रों के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी, उपमुख्यमंत्री भाई देवेंद्र फड़णवीस जी, अजित पवार जी, श्री मंगल प्रभात लोढ़ा जी, राज्य सरकार के अन्य सभी मंत्रिगण, देवियों और सज्जनों।
नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। आज मां के पांचवें स्वरूप, स्कंदमाता की आराधना का दिन है। हर मां की ये कामना होती है कि उसकी संतान को सुख मिले, यश मिले। सुख और यश की ये प्राप्ति शिक्षा और कौशल से ही संभव है। ऐसे पावन समय में महाराष्ट्र के हमारे बेटे-बेटियों के कौशल विकास के लिए इतने बड़े कार्यक्रम का शुभारंभ हो रहा है। और मैं जो लाखों नौजवान मेरे सामने बैठे हैं और जो इस कौशल विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने का सकंल्प लिए हैं, मैं जरूर कहता हूं कि उनके जीवन में आज की ये प्रभात मंगल प्रभात बन गई है। महाराष्ट्र में 511 ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्रों की स्थापना होने जा रही है।
आज पूरी दुनिया में भारत के स्किल्ड युवाओं की डिमांड बढ़ रही है। बहुत से देश ऐसे हैं जहां पर सीनियर सिटिजन्स की संख्या बहुत ज्यादा है, बुजुर्ग की संख्या बढ़ रही है और Trained युवा बड़ी मुश्किल से मिल रहे हैं। इस बारे में किए गए सर्वे ये बताते हैं कि दुनिया के 16 देश करीब-करीब 40 लाख स्किल्ड युवाओं को अपने यहां नौकरी देना चाहते हैं। इन देशों में स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भी, उसकी कमी की वजह से ये देश दूसरे देशों पर निर्भर हैं। Construction सेक्टर, healthcare सेक्टर, टूरिज्म इंडस्ट्री, हॉस्पिटैलिटी, एजुकेशन और ट्रांसपोर्ट जैसे बहुत सारे सेक्टर हैं जहां आज विदेशों में बहुत डिमांड है। इसलिए भारत आज सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी स्किल्ड प्रोफेशनल्स को तैयार कर रहा है।
ये जो नए कौशल विकास केंद्र महाराष्ट्र के गांवों में खुलने जा रहे हैं, ये भी युवाओं को दुनियाभर के अवसरों के लिए तैयार करेंगे। इन केंद्रों में कंस्ट्रक्शन सेक्टर से जुड़े कौशल सिखाए जाएंगे। आधुनिक तौर-तरीके से खेती कैसे हो, इससे जुड़ी स्किल्स सिखाई जाएंगी। महाराष्ट्र में मीडिया और एंटरटेनमेंट का काम, इतना बड़ा काम है। इसके लिए भी स्पेशल ट्रेनिंग देने वाले अनेक केंद्र स्थापित होंगे। आज भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर का बहुत बड़ा हब बन रहा है। ऐसे में दर्जनों केंद्रों पर इस सेक्टर से जुड़ा कौशल भी सिखाया जाएगा। ये महाराष्ट्र के युवाओं को, इस कौशल्य विकास के केंद्रों की मैं बहुत-बहुत बधाई दूंगा, बहुत-बहुत शुभकामनाएं दूंगा।
और मैं सरकार से भी आग्रह करूंगा, शिंदे जी और उनकी पूरी टीम से कि इनके कौशल्य विकास में हमने soft-training की ओर भी थोड़ा समय देना चाहिए। जिसमे अगर ये हमारे नौजवानों को विदेश जाने का मौका मिलता है तो सामान्य व्यवहार की जो बातें होती हैं, जो तजुर्बा होता है, एक 10-20 अच्छे दुनिया में काम में आ जाए, ऐसे वाक्यों का प्रयोग करना हो या AI के माध्यम से उनको interpreter के रूप में language समस्याएं ना आए, तो ये चीजें विदेश में जाने वाले लोगों के लिए बहुत काम आती हैं। और इस प्रकार से जो पहले से तैयार होते हैं, कंपनियां भी उनको जल्दी recruit करती हैं ताकि वो वहां जाकर के तुरंत ही इस काम के लिए योग्य बन जाते हैं। तो मैं चाहूंगा soft-skills के लिए भी कोई ना कोई प्रावधान किया जाए, कोई online modules develop किए जाए, जो बाकी समय online exam देते रहे ये बच्चे, तो हो सकता है कि एक विशेष विधा उनकी develop होगी।
लंबे समय तक सरकारों में स्किल डवलपमेंट को लेकर ना वैसी गंभीरता थी और ना ही वैसी दूरदृष्टि थी। इसका बहुत बड़ा नुकसान हमारे नौजवानों को उठाना पड़ा। इंडस्ट्री में डिमांड होने के बावजूद, नौजवानों में टेलेंट होने के बावजूद, स्किल डवलपमेंट ना होने से युवाओं के लिए नौकरी पाना अत्यंत कठिन हो गया था। ये हमारी सरकार है जिसने युवाओं में स्किल डवलपमेंट की गंभीरता को समझा है। हमने स्किल डवलपमेंट के लिए अलग मंत्रालय बनाया, और भारत में पहली बार स्किल इसी एक विषय के लिए dedicated मंत्रालय है, मतलब की देश के नौजवानों के लिए dedicated एक नया मंत्रालय है। अलग से बजट तय किया और अनेक योजनाएं शुरू कीं। कौशल विकास योजना के तहत अभी तक एक करोड़ 30 लाख से ज्यादा युवाओं को अनेक ट्रेड्स में ट्रेनिंग दी जा चुकी है। सरकार ने देशभर में सैकड़ों प्रधानमंत्री कौशल केंद्र भी स्थापित किए हैं।
स्किल डेवलपमेंट के ऐसे प्रयासों से सामाजिक न्याय को भी बहुत बल मिला है। बाबा साहेब आंबेडकर भी समाज के कमजोर वर्गों के कौशल विकास पर बहुत जोर देते थे। बाबा साहेब का चिंतन जमीनी सच्चाई से जुड़ा हुआ था। वे इस बात से भली-भांति परिचित थे कि हमारे दलित और वंचित भाई-बहनों के पास उतनी जमीनें नहीं है। दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को गरिमापूर्ण जीवन मिले, इसके लिए वो औद्योगीकरण, industrialization उस पर बहुत जोर देते थे। और उद्योगों में काम करने के लिए सबसे अनिवार्य शर्त है- स्किल…कौशल। अतीत में बड़ी संख्या में समाज के यही वर्ग, स्किल्स के अभाव में अच्छे काम, अच्छे रोज़गार से वंचित थे। और आज भारत सरकार की कौशल योजनाओं से सबसे अधिक लाभ गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी परिवारों को ही हो रहा है।
माता सावित्रीबाई फुले ने भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए सामाजिक बंधनों को तोड़ने का मार्ग दिखाया था। उनका अटूट विश्वास था कि जिसके पास ज्ञान औऱ कौशल होता है, वही समाज में परिवर्तन ला सकता है। माता सावित्रीबाई की प्रेरणा से सरकार, बेटियों के शिक्षण और प्रशिक्षण पर भी समान जोर दे रही है। आज गांव-गांव में स्वयं सहायता समूह, self help group के माध्यम से महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। अब देश ड्रोन के माध्यम से खेती और विभिन्न कार्यों को भी प्रोत्साहित कर रहा है। इसके लिए भी गांव की बहनों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी।
हमारे यहां गांव-गांव में ऐसे परिवार हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी अपने हुनर को आगे बढ़ाते हैं। कौन सा गांव ऐसा होगा, जहां बाल काटने वाले, जूते बनाने वाले, कपड़े धोने वाले, राजमिस्त्री, बढ़ई, कुम्हार, लोहार, सुनार, ऐसे हुनरमंद परिवार नहीं हैं। ऐसे परिवारों को सपोर्ट करने के लिए ही अब भारत सरकार ने जिसका अभी उल्लेख अजीत दादा ने भी किया, भारत सरकार ने पीएम विश्वकर्मा योजना भी शुरू की है। इसके तहत ट्रेनिंग से लेकर आधुनिक उपकरण और काम को आगे बढ़ाने के लिए, हर स्तर पर सरकार आर्थिक मदद दे रही है। इस पर केंद्र सरकार 13 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। मुझे बताया गया है कि महाराष्ट्र में बनने जा रहे ये 500 से अधिक ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्र भी पीएम विश्वकर्मा योजना को आगे बढ़ाएंगे। मैं महाराष्ट्र सरकार को इसके लिए विशेष रूप से बधाई दूंगा।
कौशल विकास के इन प्रयासों के बीच, हमें ये भी सोचना होगा कि किन क्षेत्रों में स्किल्स बढ़ाने से देश को ताकत मिलेगी। जैसे आज मैन्युफैक्चरिंग में अच्छी क्वालिटी के प्रॉडक्ट, जीरो डिफेक्ट वाले प्रॉडक्ट, देश की आवश्य़कता है। इंडस्ट्री 4.0 के लिए नई स्किल्स की जरुरत है। सर्विस सेक्टर, नॉलेज इकॉनमी और मॉडर्न technology को ध्यान में रखकर सरकारों को भी नई स्किल पर जोर देना होगा। हमें ये देखना होगा कि किस तरह के उत्पादों का निर्माण, हमें आत्मनिर्भरता की तरफ ले जाएगा। ऐसे उत्पादों के निर्माण के लिए हमें जरुरी स्किल्स को बढ़ावा देना होगा।
भारत के कृषि सेक्टर को भी आज नई स्किल्स की बहुत जरूरत है। केमिकल वाली खेती से हमारी धरती माँ, हमारी इस धरती माँ पर बहुत अत्याचार हो रहा है। धरती को बचाने के लिए नैचुरल फार्मिंग, प्राकृतिक खेती, ये जरुरी है और इसके लिए भी स्किल्स की जरुरत है। खेती में पानी का कैसे संतुलित उपयोग हो, इसके लिए भी नई स्किल्स को जोड़ना आवश्यक है। हमें एग्री प्रोडक्ट की प्रोसेसिंग, उसमें वैल्यू एडिशन, इसकी पैकेजिंग, ब्रैंडिंग और उसे ऑनलाइन वर्ल्ड तक पहुंचाने के लिए भी नई स्किल्स आवश्यक है, जरूरी है। इसलिए देश की विभिन्न सरकारों को स्किल डवलपमेंट का अपना दायरा और बढ़ाना होगा। मुझे विश्वास है, कौशल विकास को लेकर ये चेतना, आजादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगी।
मैं फिर एक बार शिंदे जी और उनकी पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। और जो नौजवान बेटे-बेटियां ये Skill के रास्ते पर आए हैं, सोच रही हैं, जाना चाहती हैं, मैं समझता हूं कि उन्होंने सही रास्ता चुना है। वो अपने इस कौशल के माध्यम से, अपने इस सामर्थ्य के माध्यम से अपने परिवार को भी बहुत कुछ दे सकते हैं, देश को भी बहुत कुछ दे सकते हैं। मेरी तरफ से इन सभी नौजवान बेटे-बेटियों को विशेष रूप से अनेक शुभकामनाएं हैं।
मैं एक अनुभव बताता हूं, मैं एक बार सिंगापुर गया तो सिंगापुर के प्रधानमंत्री उनके साथ जो मेरा कार्यक्रम बना, तो मेरा schedule बहुत व्यस्त था, engagement बहुत ज्यादा ही थी लेकिन उनका आग्रह था कि नहीं कैसे भी करके मेरे लिए कोई समय निकालिए। तो खैर प्रधानमंत्री जी का आग्रह था तो मैंने कहा ठीक है मैं कुछ adjust करता हूं। मैंने, हमारी टीम ने सब workout किया, adjust हुआ और क्या, किसके लिए मांगा, तो वो मुझे जैसे हमारे यहां ITI होती है वैसा जो सिंगापुर का Skill Development Center है वो देखने के लिए ले गए और इतने गर्व से वो मुझे दिखा रहे थे, वो कह रहे थे कि मैंने इसको बड़े मन से बनाया है और एक समय था कि लोगों को इस प्रकार के institute में आने से, सामाजिक रूप से प्रतिष्ठा नहीं मिलती थी, शर्म आती थी, उनको लगता था अच्छा आपका बच्चा कॉलेज में नहीं पढ़ता, ये नहीं करता, यहां जाता है लेकिन जब से बोले मेरा ये Skill Center develop हुआ है बड़े-बड़े परिवार के लोग भी मुझे सिफारिश करते है कि उनके घरों में, उनके परिवारों में भी Skill के लिए इसमें admission मिले। और सचमुच में उन्होंने इतना बढ़िया उसकी तरफ ध्यान दिया लेकिन उसके कारण प्रतिष्ठा बढ़ गई। हमारे देश में भी श्रम को प्रतिष्ठा, ‘श्रमेव जयते’, ये हमारे जो skilled manpower है उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाना ये समाज का भी कर्तव्य है।
मैं फिर एक बार इन सभी नौजवानों को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और मुझे आपके इस कार्यक्रम में आने का अवसर मिला, इन लाखों की तादाद में, मैं देख रहा हूं चारों तरफ नौजवान ही नौजवान नज़र आ रहे हैं। उन सभी नौजवानों के साथ मिलने का मौका दिया। मैं मंगल प्रभात जी का और शिंदे जी की पूरी टीम का ह्दय से धन्यवाद करता हूं।