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Good News: कोयला परियोजनाओं ने मिशन मोड के तहत हरित आवरण क्षेत्र को बढ़ाया

एक ओर जहां यह अवधारणा है कि कोयला खनन से उस क्षेत्र में भूमि का क्षरण होता है, वहीं कोयला मंत्रालय के अंतर्गत कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की नई परियोजनाएं न केवल भूमि को पुनः उसके मूल आकार में ला रही हैं, बल्कि अपनी कोयला खनन गतिविधियों के साथ-साथ आस-पास के हरित आवरण क्षेत्र को भी बढ़ा रही हैं।

पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए कोयला खनन संचालन (ओपनकास्ट कोल माइनिंग) के बाद वहां पर खोदी गई भूमि को सघन वृक्षारोपण से एक साथ भरने पर जोर दिया जा रहा है।

ऐसी कई हरित क्षेत्र (ग्रीनफील्ड) परियोजनाओं में मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में जयंत ओपनकास्ट कोयला परियोजना, जो कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सबसे बड़ी परियोजना में से एक है, अब भूमि की बहाली करने के साथ-साथ कोयला खनन से आगे जाकर दिन-ब-दिन हरित आवरण बढ़ाने के मिशन के साथ आगे बढ़ रही है।

इससे प्रदूषण के प्रभाव को काफी हद तक कम करने और कार्बन ऑफसेट को बढ़ाने में भी मदद मिली है। यह परियोजना सीआईएल की सहायक कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) के अधीन है।

दिल्ली में कोयला मंत्रालय के सचिव (कोयला) द्वारा जयंत परियोजना की पर्यावरण और वन मंजूरी की विस्तृत समीक्षा के दौरान, एनसीएल द्वारा प्रस्तुत परियोजना के उपग्रह डेटा ने उस क्षेत्र में पूर्व-खनन वन आवरण की तुलना में अब अधिक हरित आवरण क्षेत्र होने की जानकारी दी है, जो ऐसे किसी बड़े लीजहोल्ड क्षेत्र में संचालित किसी भी बहुत बड़ी (मेगा) कोयला परियोजना के लिए एक उत्कृष्ट उपलब्धि है। आपको बता दें उक्त जानकारी पीआईबी ने प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित कर दी है।