सरकार ने 60 लाख टन तक चीनी के निर्यात की दी अनुमति
देश में चीनी की मूल्य स्थिरता और चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति को संतुलित करने के एक अन्य उपाय के रूप में, गन्ना उत्पादन के आरंभिक आकलनों के आधार पर, भारत सरकार ने चीनी सीजन 2022-23 के दौरान 60 एलएमटी तक चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। डीजीएफटी पहले ही 31 अक्टूबर, 2023 तक ‘प्रतिबंधित’ श्रेणी के तहत चीनी निर्यात के समावेशन का विस्तार अधिसूचित कर चुका है।
केन्द्र सरकार ने 30.09.2023 तक घरेलू उपभोग के लिए लगभग 275 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) चीनी, इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 50 एलएमटी चीनी की उपलब्धता और लगभग 60 एलएमटी का अंत: शेष रखने को प्राथमिकता दी है। देश में चीनी मिलों द्वारा उत्पादित चीनी की शेष मात्रा की अनुमति निर्यात के लिए दी जाएगी। चूंकि चीनी सीजन 2022-23 के आरंभ से ही, गन्ना उत्पादन के शुरुआती अनुमान उपलब्ध हैं, इसलिए 60 एलएमटी चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। देश में गन्ने के उत्पादन की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी और नवीनतम उपलब्ध आकलनों के आधार पर चीनी निर्यात की मात्रा पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
चीनी सीजन 2021-22 के दौरान, भारत ने 110 एलएमटी चीनी का निर्यात किया और विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया और देश के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये के बराबर की विदेशी मुद्रा अर्जित की। चीनी मिलों के लिए समय पर भुगतान और स्टॉक की कम वहन लागत के परिणामस्वरूप भी किसानों के गन्ना बकाया की शीघ्र निकासी हुई। 31.10.2022 तक, 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गन्ने की रिकॉर्ड खरीद के बावजूद चीनी सीजन 2021-22 के लिए किसानों के 96 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया पहले ही चुका दिया गया था।
चीनी सीजन 2022-23 के लिए चीनी निर्यात नीति में, सरकार ने पिछले तीन वर्षों में चीनी मिलों के औसत उत्पादन और पिछले तीन वर्षों में देश में औसत चीनी उत्पादन के आधार पर एक वस्तुपरक प्रणाली के साथ देश की सभी चीनी मिलों के लिए चीनी मिलवार निर्यात कोटा की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, चीनी निर्यात में तेजी लाने और निर्यात कोटा के निष्पादन में चीनी मिलों को लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए, मिलें आदेश जारी होने की तिथि के 60 दिनों के भीतर कोटा को आंशिक रूप से या पूरी तरह से सरेंडर करने का निर्णय ले सकती हैं या 60 दिनों के भीतर वे घरेलू कोटा के साथ निर्यात कोटा विनिमय कर सकती हैं।
यह प्रणाली देश की लॉजिस्टिक प्रणाली पर कम बोझ सुनिश्चित करेगी क्योंकि विनिमय प्रणाली घरेलू उपभोग के लिए देश के प्रत्येक क्षेत्र में चीनी के निर्यात और आवाजाही के लिए दूर-दराज के स्थानों से बंदरगाहों तक चीनी के परिवहन की आवश्यकता में कमी लाएगी।
इसके अतिरिक्त, विनिमय से सभी मिलों के चीनी स्टॉक का परिसमापन भी सुनिश्चित होगा क्योंकि जो मिलें निर्यात करने में सक्षम नहीं हैं, वे अपने निर्यात कोटा को मुख्य रूप से बंदरगाहों के
आसपास के कारण अधिक निर्यात करने में सक्षम होने की वजह से चीनी मिलों के घरेलू कोटे के साथ विनिमय कर सकती हैं। चीनी सीजन 2022-23 के अंत में, यह उम्मीद की जाती है कि अधिकांश चीनी मिलें अपने उत्पादन को या तो घरेलू बाजार में या अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात के माध्यम से बेच सकने और किसानों के गन्ना बकाया का समय पर भुगतान करने में सक्षम होंगी। इस प्रकार, इस नीति ने देश में चीनी मिलों के लिए समग्र रूप से एक लाभकारी स्थिति सृजित की है।
चीनी निर्यात नीति घरेलू उपभोक्ताओं के हित में चीनी क्षेत्र में मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने पर सरकार के फोकस का एक संकेत है। चीनी के निर्यात को सीमित करने से घरेलू कीमतें नियंत्रण में रहेंगी और घरेलू बाजार में मुद्रास्फीति की कोई बड़ी प्रवृत्ति उत्पन्न नहीं होगी। भारतीय चीनी बाजार में पहले ही बहुत मामूली मूल्य वृद्धि देखी जा चुकी है जो किसानों के लिए गन्ने के एफआरपी में वृद्धि के अनुरूप है।
देश में इथेनॉल का उत्पादन एक अन्य फोकस क्षेत्र है, जो ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने और हरित ऊर्जा की दिशा में बढ़ने के लिए देश के लिए एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। उत्पादकों के लिए इथेनॉल की अधिक कीमतों ने पहले ही डिस्टिलरियों को इथेनॉल की ओर अधिक चीनी को डायवर्ट के लिए प्रोत्साहित किया है। इथेनॉल उत्पादन के लिए पर्याप्त गन्ना/चीनी/शीरा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चीनी निर्यात नीति एक अन्य तंत्र है। ईएसवाई 2022-23 के दौरान इथेनॉल उत्पादन की दिशा में 45-50 एलएमटी चीनी का डायवर्जन होने की उम्मीद है।
चीनी निर्यात की अनुमति देकर, सरकार ने गन्ना किसानों और चीनी मिलों के हितों की भी रक्षा की है क्योंकि मिलें अनुकूल अंतर्राष्ट्रीय चीनी मूल्य परिदृश्य का लाभ लेने और चीनी की बेहतर कीमतों को प्राप्त करने में सक्षम होंगी जिससे कि वर्तमान चीनी सीजन 2022-23 में किसानों के गन्ना बकाया का समय पर भुगतान भी किया जा सकता है और मिलों के पास चीनी स्टॉक के इष्टतम स्तर के कारण उनकी कार्यशील पूंजी लागत में भी कमी आ सकती है।
पिछले 6 वर्षों में, सरकार ने चीनी क्षेत्र में विभिन्न और सही समय पर कई कदम उठाए हैं जिससे कि चीनी मिलें सक्षम हो सकें और एक आत्मनिर्भर क्षेत्र बन सकें। चीनी सीजन 2022-23 के दौरान, चीनी मिलों को चीनी उत्पादन/विपणन के लिए कोई सब्सिडी नहीं दी गई थी और वर्तमान सीजन में भी, भारत सरकार से वित्तीय सहायता के बिना देश के चीनी क्षेत्र द्वारा अच्छा प्रदर्शन किए जाने की उम्मीद है। चीनी को इथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्ट करने तथा उपलब्धता के अनुरूप अधिशेष चीनी के निर्यात को सुगम बनाने के लिए, भारत सरकार ने लगभग 5 करोड़ गन्ना किसान परिवारों के साथ-साथ 5 लाख चीनी मिल श्रमिकों के हितों और इसके अतिरिक्त इथेनॉल डिस्टिलरी सहित चीनी क्षेत्र के पूरे इकोसिस्टम का भी ध्यान रखा है जिससे कि उन्हें विकास पथ पर आगे ले जाया जा सके।