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सरकार ने इस वर्ष खाद्य सब्सिडी के लिए रिकॉर्ड 125217.62 करोड़ रुपये जारी किए

सरकार ने इस वर्ष खाद्य सब्सिडी के लिए रिकॉर्ड 125217.62 करोड़ रुपये जारी किये हैं। इसी वित्तीय वर्ष के दौरान 297196.52 करोड़ रुपये से अधिक राशि और जारी की जाएगी, जिसमें से पंजाब के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के तहत 116653.96 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत है। इससे हरियाणा के किसानों को लगभग 24841.56 करोड़ रुपये का लाभ होगा।

भुगतान का ई-मोड यह दर्शाता है कि किसान, आढ़तियों, मंडी सहित सभी प्रतिभागी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अपने भुगतान सीधे श्रृंखला में ऑनलाइन प्राप्त करेंगे। इससे किए गए भुगतानों को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है और इससे सभी लाभान्वित होते हैं। यह वर्तमान कृषि उपज मंडी समिति प्रणाली के बदले में नहीं है, बल्कि यह केवल अधिक पारदर्शी तरीकों से भुगतान करने की व्यवस्था को और मजबूत बनाता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य भुगतान का ई-मोड देश में पहले से ही लागू है, भारत सरकार पंजाब और हरियाणा में 2015-16 से इसे सुनिश्चित करने के प्रयास कर रही है।

भारत सरकार के ये प्रयास कृषि कानूनों से पहले के हैं। वित्तीय लाभ हस्तांतरित करने का डिजिटल तरीका या सरकारी एजेंसियों द्वारा लाभार्थियों को भुगतान करना पारदर्शिता का अत्यधिक सफल और सराहनीय माध्यम है, जो लाभ के अंतरण में आने वाली कमियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान का तरीका हरियाणा और पंजाब द्वारा पहले ही आंशिक रूप से अपनाया जा चुका है, जैसे कि धान की खरीद के लिए इस बार के सत्र में भुगतान का एक हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पूरा किया गया था।

किसानों को सीधे ऑनलाइन भुगतान का प्रावधान तीनों कृषि कानूनों से पहले का है। पंजाब और हरियाणा में किसानों को एमएसपी का भुगतान आढ़तियों के माध्यम से किया गया, एफसीआई ने ऑनलाइन मोड के जरिये किसानों के बैंक खातों में सीधे एमएसपी का भुगतान किया, जबकि राज्य की एजेंसियों ने एमएसपी का भुगतान आंशिक रूप से आढ़तियों के द्वारा और आंशिक रूप से सीधे ई-खरीद पोर्टल में किसानों द्वारा चुने गए विकल्प के माध्यम से किसानों के खाते में किया।

सरकार 2015-16 से ही किसानों के खातों में सीधे ऑनलाइन भुगतान सुनिश्चित करने के लिए पंजाब और हरियाणा राज्य सरकार को नियमित रूप से प्रोत्साहित कर रही है। इस बीच दोनों राज्य सरकारें प्रत्यक्ष ऑनलाइन भुगतान पहल के कार्यान्वयन में छूट / समय देने के लिए नियमित रूप से भारत सरकार के संपर्क में हैं। हालांकि भारत सरकार ने राज्य सरकारों या पंजाब और हरियाणा को निर्देश दिया है कि आगामी सत्र से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसानों को ऑनलाइन भुगतान सुनिश्चित किया जाए तथा इस सम्बन्ध में कोई और छूट नहीं दी जाएगी।

राज्य एजेंसियों को भुगतान करते समय सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के व्यय अग्रिम हस्तांतरण मॉड्यूल (ईएटी) का उपयोग भी सुनिश्चित करना है। यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा अनिवार्य किया गया है। राज्य सरकारों को पीएफएमएस के साथ अपनी ऑनलाइन भुगतान प्रणाली को एकीकृत करना होगा। ऑनलाइन भुगतान प्रणाली में आवश्यक रूप से किसानों के ऑनलाइन पंजीकरण और सरकार द्वारा उन्हें ऑनलाइन भुगतान की सुविधा होगी।

वास्तविक खरीद के लिए उचित पंजीकरण और निगरानी के माध्यम से किसानों के लिए पारदर्शिता आएगी तथा सुविधा प्रदान करने के लिए ऑनलाइन खरीद प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा। सभी राज्यों को किसानों से उपज की ऑनलाइन खरीद के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है।

एजेंसियों की खरीद के लिए तैनात ई-प्रोक्योरिंग मॉड्यूल के माध्यम से, किसानों को घोषित एमएसपी, निकटतम खरीद केंद्र और उस तारीख के बारे में नवीनतम / अद्यतन जानकारी मिलती है, जिस दिन किसान को अपनी उपज खरीद केंद्र पर लानी होती है। इसने न केवल किसानों के लिए स्टॉक की डिलीवरी की प्रतीक्षा अवधि को कम किया गया है, बल्कि यह किसान को नजदीकी मंडी में अपनी सुविधा के अनुसार स्टॉक वितरित करने में भी सक्षम बनाया है।

भुगतान का इलेक्ट्रॉनिक मोड यह सुनिश्चित करता है कि सभी मूल्य श्रृंखला के प्रतिभागी किसानों, आढ़तियों और मंडियों आदि को ऑनलाइन भुगतान मिले बजाय इसके कि उन्हें मूल्य श्रृंखला के अन्य प्रतिभागी (जैसे किसान को भुगतान करने वाले आढ़ती) के ज़रिये राशि प्राप्त हो। यह सभी के लिए पारदर्शिता और लाभ सुनिश्चित करता है। साथ ही यह वर्तमान एपीएमसी प्रणाली का प्रतिस्थापन नहीं है।

भारत सरकार जेएएम ट्रिनिटी के माध्यम से किसानों को प्रत्यक्ष लाभ सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिस तरह से यह पीएम किसान के जरिये किया गया है।


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