NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय), वाराणसी में डार्क पैटर्न बस्टर हैकथॉन 2023 का ग्रैंड फिनाले, राउंड आयोजित

भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बनारस हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय में डार्क पैटर्न बस्टर हैकथॉन (डीपीबीएच-2023) के इंटर-कॉलेज प्रतियोगिता राउंड 3 ग्रैंड फिनाले का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम का आयोजन विभाग और संस्थान के सहयोग से किया गया।

यह कार्यक्रम एक अग्रणी पहल है, जिसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी अभियान सफलतापूर्वक तैयार किया है। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा 4 राउंड का हैकथॉन 26 अक्टूबर 2023 को भ्रामक ऑनलाइन प्रक्रियाओं पर कार्य करने की दिशा में लोगों को जागरुक करने के निरंतर प्रयास के रूप में लॉन्च किया गया था। हैकथॉन का उद्देश्य इनोवेटिव ऐप या सॉफ्टवेयर-आधारित समाधानों को डिजाइन और प्रोटोटाइप करना है जेसे कि ब्राउज़र एक्सटेंशन, प्लगइन्स, ऐड-ऑन, मोबाइल एप्लिकेशन आदि जो ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए डार्क पैटर्न के उपयोग, प्रकार और पैमाने की त्रुटियों का पता लगा सकते हैं।

उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव, श्री रोहित कुमार सिंह ने छात्रों को शुभकामना देते हुए कहा कि छात्रों प्रतिबद्धता और दृढ़संकल्‍प ने इस आयोजन को एक बड़ी सफलता बनाया है। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों द्वारा प्रदान किए गए समाधान न केवल डार्क पैटर्न का पता लगाने में सहायक होंगे, बल्कि फर्जी समीक्षा, ऑनलाइन जाल, भ्रामक विज्ञापनों जैसे अन्य ऑनलाइन भ्रामक प्रक्रियाओं को विनियमित करने में एक प्रमुख गेम चेंजर बनेंगे। अपनी समापन टिप्पणी में, उन्होंने कहा कि भ्रामक ऑनलाइन प्रक्रियाओं को कम करने में कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के महत्व पर जोर दिया और प्रतिभागियों को नैतिक मर्यादा का ध्यान रखते हुए विकसित प्रौद्योगिकी के महत्व से लाभान्वित होने के लिए प्रोत्साहित किया।

डीपीबीएच-2023 में देश भर से प्रतिभागिता रही। इसमें 150 से अधिक कॉलेजों ने हिस्‍सा लिया और डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए छात्रों में उत्साह देखा गया इस दौरान 40,000 से अधिक छात्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पंजीकरण किया। अंतर-कॉलेज प्रतियोगिता के दूसरे दौर में 380 से अधिक समूह बने। प्रतिस्पर्धी समूहों से 172 से अधिक समूह ग्रांड फिनाले में पहुंचे इन प्रतिभागियों को राउंड 3 में आगे बढ़ने के लिए चुना गया। यह आयोजन 17.02.2024 को बनारस हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान में किया गया।

डीपीबीएच-2023 में अंतर-कॉलेज प्रतियोगिता राउंड 3 ग्रैंड फिनाले में 500 से अधिक छात्रों, 150 से अधिक विषय-विशेषज्ञों और जूरी सदस्यों ने भाग लिया। प्रत्येक समूह ने भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 13 विभिन्न प्रकार के अवैध डार्क पैटर्न का पता लगाने के लिए वास्तविक समय में कार्य करने वाले मॉडल प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के दौरान अन्य प्रमुख नवाचारों पर चर्चा और डेमों प्रस्‍तुत किये गए।

डार्क पैटर्न का पता लगाने के लिए बड़े भाषा मॉडल: एक असाधारण परियोजना ने ई-कॉमर्स साइट्स पर डार्क पैटर्न का पता लगाने के लिए एक ब्राउज़र एक्सटेंशन का प्रस्ताव रखा। यह 7 बिलियन-पैरामीटर के स्वदेशी रूप से विकसित और डिज़ाइन किए गए बड़े भाषा मॉडलः (एलएआरए) पर जुड़ा हुआ है, जो एक अद्वितीय डेटासेट और लो-रैंक अडेपटेशन के साथ अनुकूलित है, जो रिसोर्स डिस्क्रिप्शन फ्रेमवर्क (आडीएफ) में संरचित एचटीएमएल सामग्री का विश्लेषण करके सटीक जानकारी पता लगाने में सक्षम बनाता है।

वास्तविक समय विश्लेषण के लिए सर्वर रहित आर्किटेक्चर: कुछ समाधानों में एडब्ल्यूएस लैम्ब्डा और क्रॉस-एनकोडर मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करके सर्वर रहित सेटअप की सुविधा है, जिसमें ट्रांसफार्मर.जेएस बहुभाषी विश्लेषण कर सकता है, जो “गलत दिशा” और “मजबूर कार्रवाई” की पहचान करने में दक्षता प्रदर्शित करता है।

व्यापक सुरक्षा के लिए मॉड्यूलर दृष्टिकोण: कुछ परियोजनाओं ने मॉड्यूलर दृष्टिकोण अपनाया है, टेक्स्ट और विज़ुअल विश्लेषण को यू ओनली लुक वन्स (योलो) तकनीक के साथ एकीकृत किया है और वास्तविक समय के उपयोग अलर्ट के लिए रिएक्ट किया है, डार्क पैटर्न की एक विस्तृत श्रृंखला से निपटने और उपयोगकर्ता की गोपनीयता को प्राथमिकता दी है।

वेब और मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म समाधान: रैंडम फ़ॉरेस्ट क्लासिफायर और गूगल के विज़न एपीआई का उपयोग करते हुए, कुछ समाधान फ्लास्क और रिएक्ट नेटिव के साथ विकसित एक उपयोगकर्ता-अनुकूल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से “छिपी हुई जानकारी” को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसे गोपनीयता नीतियों को सरल बनाने के लिए एक चैटबॉट द्वारा बढ़ाया गया है।

उन्नत पारदर्शिता के लिए ब्राउज़र एक्सटेंशन: “नकली समीक्षाओं” और “फाल्‍स अर्जेंसी” का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, कुछ ब्राउज़र एक्सटेंशन जावास्क्रिप्ट, एचटीएमएल, सीएसएस और पायथन जैसे तकनीकी स्टैक को नियोजित कर रहे हैं, डेटा विश्लेषण के लिए मशीन लर्निंग का लाभ उठा रहे हैं और एक सुव्यवस्थित उपयोगकर्ता अनुभव प्रदान कर रहे हैं।

ये समाधान प्रौद्योगिकियों और दृष्टिकोणों के व्यापक स्पेक्ट्रम का विस्तार करते हैं, जो उपभोक्ता विभाग द्वारा पहचाने गए 13 निर्दिष्ट डार्क पैटर्न से निपटने के लिए तैयार किए गए हैं। ये न केवल उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी – डार्क पैटर्न के बारे में सचेत करते हैं, बल्कि अन्य प्रकार के उभरते डार्क पैटर्न की पहचान करके वास्तविक समय में डाटा उपलब्‍ध कराकर सरकार को समाधान भी प्रदान करते हैं। इन परियोजनाओं को डिजिटल पारदर्शिता बढ़ाने, उपयोगकर्ताओं को सशक्त बनाने और एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो हैकथॉन के डार्क पैटर्न से निपटने के व्यापक लक्ष्य में सीधे योगदान देता है।

डीपीबीएच-2023 डार्क पैटर्न के महत्वपूर्ण मुद्दे से निपटने में छात्रों, शिक्षकों और उद्योग विशेषज्ञों के सहयोगात्मक प्रयासों के लिए विशिष्‍ट रूप में कार्य करता है। हैकथॉन न केवल नवाचार को बढ़ावा देता है बल्कि नैतिक डिजिटल प्रथाओं की संस्कृति को भी विकसित करता है। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा आयोजित हैकथॉन को दुनिया भर से व्यापक सराहना मिली है, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) द्वारा “एआई और डार्क पैटर्न” पर आयोजित एक वेबिनार में भी छात्रों के प्रयासों की सराहना की गई।

15 मार्च, 2024 को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर इस प्रभावशाली कार्यक्रम के विजेताओं को पुरस्‍कृत किया जाएगा। ये कार्यक्रम प्रतिभागियों की उपलब्धियों का जश्न मनाएगा और डिजिटल युग में उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरुकता बढ़ाएगा।

कार्यक्रम को विशिष्‍ट गणमान्य व्यक्तियों ने संबोधित किया। इनमें आईआईटी (बीएचयू) के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एमके मेश्राम, आईआईटी (बीएचयू) में अनुसंधान एवं विकास के डीन प्रोफेसर विकास कुमार दुबे, उपभोक्ता मामले विभाग में संयुक्त सचिव श्री अनुपम मिश्रा और डॉ. एन.एस. राजपूत, डीपीबीएच-2023 के संयोजक और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, आईआईटी (बीएचयू) में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एन.एस. राजपूत शामिल थे।