हाईकोर्ट ने छात्राओं की याचिका की खारिज, कहा- “स्कूल-कॉलेजों में स्टूडेंट्स के हिजाब पहनने पर लगी रहेगी रोक”
कर्नाटक के उडुपी से शुरू हुआ हिजाब विवाद अभी तक शांत नहीं हो पाया है। आज मंंगलवार को इस संबंध में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।
हिजाब मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और स्कूल छात्रा यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते हैं।
इसके साथ ही, हाइकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की तरफ से कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर इजाजत मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया। कर्नाटक हाईकोर्ट की तरफ से कई याचिकाओं को खारिज किया गया है, जो शैक्षिक संस्थाओं में इजाजत को लेकर दायर की गई थी।
इससे पहले, कर्नाटक के कई जिले में धारा 144 लगाई गई थी ताकि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो। गौरतलब है कि हिजाब विवाद के बीच एक बजरंग दल हर्ष कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी। इस मामले ने ऐसा तूल पकड़ा की पूरे देश में प्रदर्शन देखने को मिल रहा था।
हिजाब विवाद पर फैसले से पहले बेंगलुरु में कुछ चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बेंगुलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने कहा कि 15 मार्च से 21 मार्च तक एक सप्ताह के लिए बेंगलुरु में सार्वजनिक स्थानों पर सभी प्रकार की सभा, आंदोलन, विरोध या समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
हिजाब विवाद पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले से पहले दक्षिण कन्नड़ डीसी ने कल (15 मार्च) को सभी स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी का आदेश दिया। आदेश के मुताबिक बाहरी परीक्षाएं निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होंगी, लेकिन सभी स्कूलों और कॉलेजों की आंतरिक परीक्षाएं स्थगित कर दी जाएंगी।
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कलबुर्कगी के डीसी यशवंत वी गुरुकर ने कहा है कि कल हिजाब पंक्ति के फैसले के मद्देनजर जिला प्रशासन ने आज शाम 8 बजे से 19 मार्च की सुबह 6 बजे तक धारा 144 लागू कर दी है। जिले के सभी शैक्षणिक संस्थान कल बंद रहेंगे। कर्नाटक उडुपी के कुछ स्टूडेंट्स के ग्रुप ने अदालत में हिजाब पर प्रतिबंध के फैसले को लेकर चुनौती दी थी। स्टूडेंट्स ने तर्क दिया था कि हिजाब संविधान के द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के तहत आता है। ऐसे में कोई कॉलेज इस संबंध में प्रतिबंध को लेकर कोई फैसला नहीं दे सकता है।
कर्नाटक सरकार ने मामले में कोर्ट से कहा है कि सिर्फ संस्थागत अनुशासन से संबंधित लगाए गए प्रतिबंधों के अलावा देश में हिजाब पर कोई प्रतिबंध नहीं है। दरअसल विवाद उस वक्त शुरू हुआ था, जब उडुपी के कुछ छात्रों ने शिक्षकों के उस अनुरोध को दरकिनार करते हुए हिजाब का इस्तेमाल बंद करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद छात्र कोर्ट पहुंच गए थे।