केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में मामलों में बढ़त दर्ज करने वाले 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ उच्चस्तरीय बैठक
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने आज कोविड 19 की वजह से बढ़ती मृत्यु दर और बढ़ते मामलों से सबसे ज्यादा प्रभावित 12 राज्यों के अतिरिक्त प्रमुख सचिवों, प्रधान सचिवों और सचिवों (एचएंडएफडब्लू) और 46 जिलों के नगर आयुक्तों और जिला कलेक्टर के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। ये राज्य हैं महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, जम्मू एंड कश्मीर, कर्नाटक, पंजाब और बिहार। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉल भी समीक्षा बैठक में उपस्थित थे।
विस्तृत प्रस्तुतिकरण के जरिए राज्यों को जानकारी दी गई कि मई 2020 के बाद देश में कोविड मामलों और मृत्युदर में सबसे तेज साप्ताहिक बढ़त (क्रमश: 7.7% और 5.1%) दर्ज हुई है। 46 जिलों पर ध्यान केंद्रित रहा जिनकी इस माह कुल मामलों में 71 प्रतिशत और मृत्यु में 69 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। महाराष्ट्र के कुल 36 जिलों में, 25 सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां पिछले एक सप्ताह के दौरान देश के कुल मामलों में 59.8 प्रतिशत मामले दर्ज हुए।
इन राज्यों और यूटी के प्रभावित जिलों का बारीक विश्लेषण कुछ अहम आंकड़ों के साथ पेश किया गया। कोविड 19 से मृत्यु की 90 प्रतिशत उसी श्रेणी में हो रही हैं जिसमें 45 वर्ष से अधिक के आयुवर्ग वाले हैं। अध्ययन के निष्कर्षों को विशेष रूप से दर्शाया गया, जो दिखाती हैं कि जबकि 90 प्रतिशत लोग जागरूक हैं, लेकिन वास्तव में सिर्फ 44 प्रतिशत फेस मास्क पहनते हैं। एक संक्रमित व्यक्ति बिना किसी प्रतिबंध के एक माह के समय में औसतन 406 अन्य व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है जिसे कि शारीरिक एक्सपोजर को 50 प्रतिशत कम करने पर 15 तक घटाया जा सकता है और आगे शारीरिक एक्सपोजर को 75 प्रतिशत कम करने पर 2.5 (औसत) तक लाया जा सकता है। इसे भी रेखांकित किया गया कि ‘दूसरी लहर’ की अवधारणा से सभी के बीच कोविड के लिए उपयुक्त व्यवहार और कोविड कंटेनमेंट और जमीनी स्तर पर प्रबंधन की रणनीति में ढिलाई देखने को मिली। इसलिए संचरण की कड़ी तोड़ने और पिछले साल के सामूहिक प्रयासों से मिली बढ़त न गंवाने के लिए सख्त कार्यवाही जिसमें कम से कम लगातार 14 दिन के लिए प्रभावी कंटेनमेंट और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए दृढ़ता से सिफारिश की गई।
कोविड 19 के प्रभावी नियंत्रण और प्रबंधन के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा लागू करने के लिए 5 स्तरीय रणनीति दी गई:
टेस्टिंग में तीव्र बढ़त
राज्यों को सभी जिलों में उनके पॉजिटिविटी दर के आधार पर टेस्टिंग में कारगर बढ़ोतरी करने की दृढ़तापूर्वक सिफारिश की गई, जिसमें आरटी पीसीआर टेस्ट का हिस्सा कुल टेस्ट के 70 प्रतिशत या उससे ज्यादा हो। रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) को ज्यादातर घनी आबादी क्षेत्र में क्लस्टर मामलों को बाहर निकालने के लिए स्क्रीनिंग उपकरण के रुप में इस्तेमाल किया जाए।
2- संक्रमित लोगो का प्रभावी आइसोलेशन और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग
टेस्टिंग के द्वारा पॉजिटिव मामलों की पहचान के बाद करीबी संपर्क में आने वालों की जल्द पहचान और तेज आइसोलेशन हो। करीबी संपर्क में आने वाले औसतन 30 की पहचान, टेस्टिंग और पहले 72 घंटे के आइसोलेशन की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य सचिव ने प्रभावी कंटेनमेंट के लिए कारगर और सख्त कदमों पर जोर दिया है, जिसमें छोटे कंटेनमेंट क्षेत्र के दृष्टिकोण पर जोर है।
3- सरकारी और निजी स्वास्थ्य स्रोत को फिर से ताकत देना
सरकारी और निजी अस्पतालों के बुनियादे ढांचे को मजबूत करने और स्वास्थ्य कर्मियों को थकान और आत्मसंतोष की कमी की स्थिति में फिर से जोश भरने पर जोर दिया गया। मृत्यु दर और मौतों की संख्या कम करने के लिए लक्षित दृष्टिकोण लागू करने को कहा गया। इस संबंध में राज्यों को आईसीयू में गंभीर मामलों के प्रभावी प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना होगा। इस बारे में बताया गया कि पंजाब और छत्तीसगढ़ जनसंख्या में कर्नाटक और केरल के मुकाबले छोटे होने के बावजूद ऊंची मृत्यु दर दर्ज कर रहे हैं।
4- कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) को सुनिश्चित करना
भीड वाली जगहों जैसे बाजार, अंतरराज्यीय बस स्टैंड, स्कूल, कॉलेज, रेलवे स्टेशन आदि पर कोविड उपयुक्त व्यवहार को सुनिश्चित करने पर फिर से ध्यान देना होगा। सेनेटाइजेशन और स्थानीय सामाजिक नेताओं, समाज के धार्मिक नेताओं और अन्य प्रभावी लोगों की स्रक्रिय भागीदारी के साथ जन जागरुकता कार्यक्रम के जरिए कोविड उपयुक्त व्यवहार का प्रचार की सलाह दी गई।
राज्यों को भारी जुर्माने जैसे दंडात्मक उपायों से सीएबी को लागू करने की सलाह दी गई, जिससे लोगों के बीच कड़ा अनुकरणीय संदेश जाता हो। होली, शब-ए-बारात और ईस्टर जैसे उत्सवों के सादे समारोह जिसमें घरों की सीमाओं में रहकर पर्व मनाने पर जोर। राज्यों को जानकारी दी गई है कि 70 प्रतिशत मामले सिर्फ सीएबी को मानने पर ही नियंत्रण में आ जाएंगे।
5- ज्यादा संख्या दर्ज करने वाले जिलों में टीकाकरण के लिए लक्षित दृष्टिकोण
राज्यों को सलाह दी गई है कि वो अधिकतम संख्या दर्ज करने वाले जिलों में कंटेनमेंट रणनीति को मदद करने के लिए खास प्राथमिकता वाले आयु वर्ग में टीकाकरण के सार्वभौमिकरण की मदद लें। इस बात को फिर से दोहराया गया कि वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। राज्य सभी जिलों में मौजूद सरकारी और निजी टीकाकरण सुविधाओं का पूरा उपयोग करें और कमी की आशंका को लेकर बफर स्टॉक रखने की जगह उपलब्ध वैक्सीन का पूरा इस्तेमाल करें। चेन्नई,मुंबई, कोलकाता और करनाल के 4 जीएमसीडी डिपो में जरूरी बफर स्टॉक मौजूद है, और राज्यों की जरूरतों को उनके दैनिक इस्तेमाल और उपलब्ध स्टॉक के आधार पर पूरा किया जा रहा है।
राज्यों से ये भी कहा गया है कि वो 1 से 1.5 महीने के लिए लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे के प्रबंधन को लेकर अग्रिम योजना बना लें, क्योंकि समुदाय में किसी भी अनियंत्रित प्रसार से स्थानीय प्रशासन पर दबाव बन सकता है। दबाव वाले जिलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किसी जिलें में इस्तेमाल न होने वाली वैक्सीन स्टॉक को फिर से विनियोजित करने की सलाह भी दी गई है।