केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार में उपराष्ट्रपति के भाषण के प्रमुख अंश
हरियाणा राज्य के महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय जी, हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री कमल गुप्ता जी, केंद्रीय में कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी जी, संस्थान से जुड़े हुए डॉक्टर TK भट्टाचार्य जी, TK दत्ता जी, विद्यार्थियों, साइंटिस्ट,
देश की अर्थव्यवस्था में, देश के विकास में, देश के स्थायित्व में किसान का बहुत बड़ा योगदान है। किसान चुनौतीपूर्ण वातावरण में हमारा अन्नदाता है। एक जमाना था जब अन्न की कमी इतनी ज़्यादा थी कि अन्न बहार से आता था। जो लोग पुराने हैं, उनको पता है कि अमेरिका से कैसे गेहूं आता था। लाल बहादुर शास्त्री जी को नारा देना पड़ा ‘जय जवान जय किसान’। यहां तक हालात थे कि उन्होंने देश की खाद्य समस्या को पूर्ति करने के लिए कहा कि सप्ताह में एक दिन शाम का उपवास रखो। हम कहां थे, आज कहां आ गए हैं।
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किसान की ओर विशेष ध्यान दिया है, उन्होंने किसान के लिए जो नारा दिया वह फलीभूत हो रहा है – जय जवान जय किसान जय विज्ञान और जय अनुसंधान।
मेरा आपसे अनुग्रह है, एक बहुत बड़ा बदलाव हो सकता है यदि अगर इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च, किसान से जुड़े हुए संबंधित प्रतिनिधि, किसान के हित को ध्यान में रखने वाले उद्योग, यह ध्यान दें कि किसान जिस चीज को पैदा करता है- पशुधन है, कृषि धन है, उसमें किसान का रोल एक तरीके से खत्म हो जाता है, और बाकी लोग उसको टेक अप कर लेते हैं।
समय आ गया है कि जब किस को सोचना पड़ेगा, किसान परिवार के कृषक पुत्रों को सोचना पड़ेगा कि दुनिया में सबसे बड़ा व्यापार यदि अगर आज के दिन में कोई है, तो वह कृषि उत्पादन से जुड़ा हुआ है। आप गेहूं को ले लो, चावल को ले लो, बाजरे को ले लो, मिलेट को ले लो… चाहे तो सब्जी को ले लो, फल को ले लो, थोड़ा और आगे जाएं पशुधन में देख लो, दूध को ले लो। किसान को एक अच्छा मार्केटिंग मेकैनिज्म अपनाना पड़ेगा। किसान को अपने उत्पाद की मलाई खानी पड़ेगी, किसान पिसता रहे और फायदा कोई अन्य ले- जो ले रहे हैं, मेरा उनसे कोई विरोध नहीं है- पर किसान के परिवार में प्रतिभा है, किसान को तीन बातों पर खास ध्यान देना पड़ेगा।
जो मैं कहने आया हूं और मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं। किसान को कृषि मंडी के माध्यम से जो कृषि का व्यापार होता है, उसमें भागीदारी बढ़ानी चाहिए – The farmer must engage in marketing of its produce. जब यह होगा, तो किसान की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा बदलाव आएगा। दूसरा, किसान जो पैदा करता है, उसमें वैल्यू ऐड नहीं करता है। उसमें वैल्यू ऐड कोई और करता है। किसान को भी प्रेरित करना चाहिए, संगठित करने तरीके से करना चाहिए। In a structured manner, we must motivate our farmers that they should engage in value addition of their product.
किसान के यहां सरसों होती है, वह तेल नहीं बनाता है, किसान के यहां आलू होती है, वह चिप्स नहीं बनाता है, किसान के यहां सब्जियां होती हैं, मार्केटिंग नहीं कर पाता है। किसान का बेस्ट प्रोड्यूस ऑर्गेनिक होता है, वह बड़ी मेहनत से करता है, but he does not get real value for money.
My very strong suggestion to Indian Council for Agriculture Research is that we must have a course, जिसमें किसानों के बच्चे-बच्चियां उस कोर्स का फायदा ले सकें – how to market agriculture produce? यह इतना बड़ा व्यापार है; the dimensions of it are very, very large, astronomical है। उसमें किसान को पड़ना चाहिए, किसान के बच्चे को पड़ना चाहिए।
आज आप नजर दौडाइए, IIT का बच्चा, IIM का बच्चा, दूध का व्यापार कर रहा है, सफलतापूर्वक कर रहा है; इज्जत से कर रहा है। इतनी बड़ी पढ़ाई करी, कितनी भी संस्थान में करोड़ों रुपए साल के ले सकता था, पर वह दूध का व्यापार कर रहा है, सब्जी का व्यापार कर जाए, वह दूध के अंदर वैल्यू ऐड कर रहा है। हमारे तो घर में बात है, कहते हैं, ‘घर जाये का दांत गिनत’, अपने तो घर में प्रतिभा है, बचपन में देखा है, हमें करना चाहिए।
हम उदाहरण देते हैं कि अमूल है, हम क्यों नहीं ऐसा कर पाए कि जो अमूल ने किया है, वह पूरे देश में बहुत जगह होना चाहिए।
प्रधानमंत्री जी ने बहुत दूर की सोचकर किसानों के लिए कॉपरेटिव डिपार्टमेंट जो नया खोला है, नया विभाग है, इसमें अगर आप समूह बनाएंगे तो आपको पता लगेगा कि आपको कितनी सहायता मिल सकती है। आप आपस में मिलकर ऐसी व्यवस्था करें कि तकनीकी का उपयोग करें, मार्केटिंग का करें, वैल्यू एडिशन का करें, और अगर बाहर से यदि कोई एग्रीकल्चर उत्पाद इंपोर्ट होता है, तो उसमें भी बढ़ना चाहिए, और एक्सपोर्ट में बढ़ना चाहिए।
हाल ही में प्रधानमंत्री जी ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है ड्रोन का, की गांव-गांव में महिला समूह को ड्रोन दिया जाएगा, और उस ड्रोन का वह उपयोग करेंगे ताकि फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड का छिड़काव ठीक हो जाए, जानकारी सही समय पर मिल जाए। अब इतने बड़े बदलाव में हम हिस्सा नहीं ले पाएंगे तो पीछे रह जाएंगे।
किसान भारत की अर्थव्यवस्था की असली रीढ़ की हड्डी है, किसान से ज्यादा मेहनत कोई भी उद्यमी नहीं कर पाता है, किसी भी व्यवसाय में, कोई कितना ही लगे चाहे, किसान के सामने जो चुनौती है, वह किसी और के सामने नहीं है।
प्रधानमंत्री जी ने इस बात को समझा और समझ कर उन्होंने कहा की किसान को साल में तीन बार मदद मिलनी चाहिए, ₹6000 किसान को साल में तीन बार मिलते हैं, आप जब देखोगे, यह कितना मिल गया तो अब तक 2,60,000 करोड़ रुपए अब तक मिल चुके हैं, इससे एक व्यवस्था बनी है, एक तरीके से किसान ऊपर आएगा।
तो सबसे पहले तो किसान अपने बच्चे बच्चियों को यह समझे कि जब आईआईटी वाले आईआईएम वाले, बहुत पढ़े लिखे लोग, बहुत प्रतिष्ठित लोग हमारे व्यापार में पड़े हुए हैं तो हमें क्यों नहीं करना चाहिए?
दूसरी बात, गांव में जाता हूं मुझे कई बार बड़ा झटका लगता है। गांव के अंदर सब्जी बाहर से आती है, सब्जी शहर से आती है। हमें एक संस्कृति का विकास करना चाहिए कि गांव कम से कम कृषि उत्पादन की दृष्टि से Self Sufficient बने Agriculture Produce में self Sufficient बने।
मेरा आपको यही कहना है कि यह जो संस्थान है, इसका सीधा लगाव दूध से है। अब दूध के मार्केटिंग जब होती है तो किसान पूरी तरह से असहाय है। एक व्यवस्था है उसी के तहत दूध जाता है। आप सोच सकते हैं कि हम कुछ लोग मिलकर कुछ समूह मिलकर, कुछ गांव मिलकर एक साथ सरकारी सहायता को लेकर, सहकारिता का भाव जो सरकार ने दिया है, और उसमें बहुत ज्यादा व्यवस्था है, उसको करें।
सरकार की बहुत बड़ी नीति है वेयरहाउसिंग की, गोदाम बनाने की। ताकि हम कृषि उत्पादन का ध्यान रख सकें, ख्याल रख सकें। अच्छी खासी सरकारी मदद मिलती है उसमें पर मुझे किसान उसमें कहीं नजर नहीं आता है। तो मेरा तो मेरे अंन्नदाताओं से, किसान भाइयों से यह आग्रह करना है कि आप एक नई सोच के तहत ऐसी व्यवस्था करें कि यह नहीं सोचे कि हमारा बच्चा खेती में क्यों पड़े। आपको सोचना पड़ेगा कि खेती में ही ही क्यों नहीं पड़े, इससे ज्यादा आर्थिक व्यवस्था आपके सुधर ही नहीं सकती। इसके बहुत अच्छे परिणाम आएंगे, यह आवश्यक नहीं है कि जिसेने ज्यादा पढ़ाई करी वह खेती की तरफ आकर्षक ना हो, होना चाहिए।
जो किसान यहां पर आए हैं, उनकी एक लिस्ट बनाइये, उनको मैं भारत की संसद में आमंत्रित करता हूं। मेरे अधिकारी इसकी व्यवस्था करेंगे और वहां में आपसे खुलकर चर्चा करूंगा। मेरे मन की बात कहूंगा और आपको कहूंगा जो यहां उपस्थित हैं, तो यह बात एक तरीके से फैलेगी कि हम कितना मौका चूक रहे हैं और उसमें यदि आगे और चूका तो ग्रामीण विकास में वह बढ़ोतरी नहीं हो पाएगी जिसकी कल्पना प्रधानमंत्री जी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री की सोच में, चिंतन में किसान है, उन्होंने जब राज्यसभा में मेरा Introduction कराया तो कह सकते थे कि यह बहुत बड़ा वकील है, करा सकते थे बहुत बड़ा पढ़ा लिखा है। बहुत कुछ कह सकते थे कि पहले MP रहा है, MLA रहा है, केंद्र में मंत्री रहा है पश्चिम बंगाल का गवर्नर रहा है। उन्होंने नहीं कहा। यह मैं अन्नदाताओं से कह रहा हूँ, यह उन्होंने मेरा परिचय सिर्फ और सिर्फ कृषक पुत्र के नाते दिया और मैं इस उत्तरदायित्व को निभाने में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रखूंगा। आज के दिन मैं इतना ही कहना चाहता हूँ अगली बार जब मैं यहां आऊंगा, लंबे समय के लिए आऊंगा मुझे यह परिसर बदला हुआ नजर आना चाहिए।
किसान परिवारों को आज सामूहिक रूप से मेरी बातों पर चिंतन करना चाहिए, सोचना चाहिए कितनी भी चुनौतियां आए हम तो जन्म से चुनौती देखने वाले लोग हैं, जन्म से चुनौतियों को फेस करने वाले लोग हैं। जब बिजली मिलती है ना तब किसान को रात को दी जाती है। यह मैंने तब से देखा है जब से मैं बच्चा था और पहली बार बिजली आई थी और उद्योगों को दिन में भी मिलती है। अब हालात बदल गए हैं 10 साल के अंदर किसान प्रधानमंत्री जी की एक नंबर की Priority है वह किसी भी प्रकार यह नहीं चाहते कि किसान मजबूत ना हो। उनकी उम्मीद है आशा है और मुझे Confidence है की किसान के बारे में जो उनकी सोच है उसको हम सब मिलकर सार्थक करेंगे, मजबूती से करेंगे और एक बड़ा बदलाव लाएंगे। और जो सहकारिता विभाग नया बनाया है उसका सबसे ज्यादा फायदा किसान को मिलना चाहिए, यहां के विद्यार्थियों को जाकर यही करना है।