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हिमाचल: हॉकी के नेशनल खिलाड़ी दो भाई तल रहे मछली, तीसरा चला रहा ढाबा

टोक्यो ओलंपिक में पुरुष और महिला हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है। देश के लिए गर्व की बात है। आज भी कई ऐसे कई खिलाड़ी है जो नज़र अंदाज़ है। हिमाचल प्रदेश के चंबा के हॉकी टीम के विश्वजीत मेहरा और संजीव मेहरा नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। इनकी ज़िन्दगी में अँधेरा आ गया है। यह दोनों भाई मछली तल रहे है। साथ ही एक खिलाड़ी और है, स्टेट चैंपियन महरा, वे ढाबा चला रहा है।

खिलाड़ियों को नज़र अंदाज़ किया जा रहा है। वे मछली बेचकर, ढाबा चला कर गुजारा कर रहे हैं। जिला हमीरपुर से एक और हॉकी खिलाड़ी, आठ बार हॉकी का नेशनल खेल चुके, सुभाष जूते सीलकर गुजारा कर रहे हैं। सरकार की नज़र अंदाज़ में रह चुके है सुभाष चंद। सुभाष ने अमरउजाला को बताया है कि ‘अनुराग ठाकुर अब खेल मंत्री बने हैं तो उन्हें थोड़ी उम्मीद जागी है।’ 

वही दूसरी और विश्वजीत मेहरा ने अमरउजाला को बताया है कि वह पांच बार नेशनल टीम में रहे। दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, मद्रास और जम्मू में 1987 से लेकर 1991 तक टीम में शामिल रहे। इस दौरान सबसे खास पल धनराज पिल्ले और परगट सिंह के खिलाफ खेलने का रहा। 

मेहरा ने अमरउजाला को बताया कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम का प्रदर्शन देखकर खुशी का ठिकाना नहीं है। ऐसा ही उत्साह उन्हें 1983 में खेले गए एक मैच में दिल्ली के खिलाफ आया था। संजीव मेहरा ने अमरउजाला को बताया है कि हॉकी का सबसे पहला हॉस्टल चंबा में वर्ष 1986-87 में खुला था। 1988 में वह नेशनल टीम में रहे। फिलहाल मछली बेचकर गुजारा कर रहे हैं।