हिमाचल प्रदेश इस साल ‘हर घर जल’ बनने की राह पर
पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) की सचिव विनी महाजन ने एक समीक्षा बैठक के दौरान ग्रामीण घरों में नल के जल की आपूर्ति सुनिश्चित कराने में हिमाचल प्रदेश की प्रगति की सराहना की।
उन्होंने कहा, “हिमाचल प्रदेश 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल के जरिए स्वच्छ जल की आपूर्ति करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बेहतर तरीके से अपनी राह पर है और राज्य की लक्ष्य प्राप्ति में केंद्र पूरी सहायता प्रदान कर रहा है।”
इस समीक्षा बैठक में सचिव महाजन के साथ हिमाचल प्रदेश में हर घर जल और स्वच्छ भारत मिशन के कार्यान्वयन के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह भी उपस्थित थे। वहीं, ऑफलाइन समीक्षा बैठक के दौरान डीडीडब्ल्यूएस के अतिरिक्त सचिव अरुण बरोका, हिमाचल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) वित्त प्रबोध सक्सेना और हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग के सचिव विकास लबरू उपस्थित थे।
महाजन ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा, “जल जीवन मिशन एक विकेन्द्रीकृत, मांग-संचालित और समुदाय-प्रबंधित जल आपूर्ति योजना है, जिसका उद्देश्य हर घर में नल के जरिए स्वच्छ जल की आपूर्ति प्रदान करके ग्रामीण लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है।” उन्होंने इस हिमालयी राज्य में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की। श्रीमती महाजन ने आगे कहा, “राज्य समय-समय पर अभियानों को संचालित करता है, जिससे पर्याप्त दबाव के साथ इसकी नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सामुदायिक जुड़ाव और जल के विवेकपूर्ण उपयोग व इसके संरक्षण पर लोगों को संवेदनशील बनाने में सहायता मिलती है।”
स्वच्छ भारत मिशन के कार्यान्वयन पर श्रीमती महाजन ने कहा, “जिलों ने खुद को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया है, लेकिन यह केवल एक बार का प्रयास नहीं है। इस कार्यक्रम के तहत हर समय गांवों की ओडीएफ स्थिति को बनाए रखने के लिए सामाजिक व व्यावहारिक बदलाव लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।”
महाजन ने राज्य को विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों में 100 फीसदी नल जल कनेक्शन प्रदान करने पर बधाई दी।
उन्होंने कहा, “इससे बच्चों में जल से होने वाले रोगों को कम करने में सहायता मिलेगी, क्योंकि बच्चों को पीने और विद्यालय प्रशासन को मध्याह्न भोजन पकाने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जाता है। शिक्षण केंद्रों में जल उपलब्ध कराने से हाथ धोने और शौचालय के उपयोग में सहायता मिलती है, जो कि मौजूदा महामारी के दौरान बहुत महत्वपूर्ण है।”
हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने राज्य के प्रदर्शन को सामने रखा। उन्होंने कहा, “राज्य ने अच्छी प्रगति की है, क्योंकि यह ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन प्रदान करने के मामले में राज्य देश में 8वें स्थान पर है। बाकी नल जल कनेक्शन कुछ महीने के भीतर प्रदान करने के प्रयास किए जाएंगे.”
सिंह ने बताया, “15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के समय राज्य के कुल 17.27 लाख परिवारों में से केवल 7.62 लाख (44.19 फीसदी) परिवारों के पास ही नल के जरिए जल की आपूर्ति की सुविधा थी। लगभग 28 महीनों में 8.25 लाख घरों को स्वच्छ नल का जल उपलब्ध कराया गया है। राज्य की यह उपलब्धि कोविड-19, लॉकडाउन और कठिन इलाके के कारण उल्लेखनीय है।”
‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के अनुरूप काम करते हुए इस मिशन का आदर्श वाक्य ‘कोई भी छूटा नहीं’ है और इसका उद्देश्य नल के जरिए पेयजल की आपूर्ति की सार्वभौमिक पहुंच है। 2019 में इस मिशन की शुरुआत में देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 फीसदी) के पास नल के जल की आपूर्ति की सुविधा थी।
पिछले 28 महीनों के दौरान, कोविड- 19 महामारी और लॉकडाउन के चलते उत्पन्न बाधाओं के बावजूद जल जीवन मिशन को तेजी से लागू किया गया है और आज 5.60 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल के जरिए जल की आपूर्ति प्रदान की जा चुकी है। वर्तमान में, पूरे देश में 8.84 करोड़ (45.95 फीसदी) ग्रामीण परिवारों को नल के जरिए पीने योग्य जल मिल रहा है। गोवा, तेलंगाना, हरियाणा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, दादरा और नगर हवेली व दमन और दीव ने ग्रामीण क्षेत्रों में 100 फीसदी परिवारों को नल के जरिए जल की आपूर्ति सुनिश्चित की है। वर्तमान में, 91 जिलों और 1.32 लाख से अधिक गांवों के प्रत्येक घर में नल से जल की आपूर्ति हो रही है।
जल जीवन मिशन (जेजेएम) के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इसके बारे में सभी जानकारी सार्वजनिक डोमेन में है और जेजेएम डैशबोर्ड को https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx पर देखा जा सकता है।