उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा हिंदी सलाहकार समिति की बैठक अयोजित

उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय, भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक 09 जनवरी, 2024, विज्ञान भवन, नई दिल्ली हिंदी सलाहकार समिति की बैठक उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री श्री बी. एल. वर्मा ने बैठक की अध्यक्षता की। समिति के सदस्यों में से संसद सदस्य श्री रेबती त्रीपुरा और श्री धर्मेंद्र कश्यप तथा अन्य नामित सदस्यों के साथ-साथ मंत्रालय तथा इसके अधीनस्थ कार्यालयों के अधिकारियों और राजभाषा विभाग के प्रतिनिधि ने बैठक में भाग लिया। इस अवसर पर राज्य मंत्री श्री बी. एल. वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हम सब अपने कामकाज औरव्यवहार में हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करें क्योंकि हिंदी ही वह भाषा है जिसेदेश के अधिकांश लोग बोलते और समझते हैं और जो लोगों में एकता का संचार करने में सफल रही है।

इसबैठक में उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय और इसके अधीनस्थ कार्यालयों में सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग में हो रही प्रगति की समीक्षा की गई और माननीय सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर परस्पर विचार-विमर्श किया गया। सदस्यों ने अपने सुझावों में मंत्रालय के अधीनस्थ कार्यालयों में हिंदी पुस्तकों की खरीद पर नियमानुसार व्यय करने, हिंदी प्रशिक्षण के लिए अधिक से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के नामित करने, हिंदी के रिक्त पदों को प्राथमिकता से भरने और सभी कार्यालयों की वेबसाइटों को पूरी तरह से द्विभाषी रूप से बनाने से संबंधित सुझाव प्रमुखता से दिए। माननीय राज्य मंत्री जी ने सदस्यों को अवगत कराया कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय का कार्यक्षेत्र देश के उत्तर पूर्वी राज्यों के अंतर्गत आता है जो राजभाषा अधिनियम, 1963 के अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत “ग” क्षेत्र में कवर होता है जहां देश की राजभाषा के प्रचार-प्रसार और सरकारी कामकाज में इसके प्रयोग में भले ही कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां और सीमाएं हैं, फिरभी उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग क्रमबद्ध रूप से बढ़ाने और हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु लगातार प्रभावी प्रयास कर रहा है।

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राज्य मंत्री जी ने कहा कि उन्हें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि समिति के सदस्यों द्वारा की जाने वाली समीक्षा और उनके बहुमूल्य सुझावों एवं विचार-विमर्श से मंत्रालय और इसके अधीनस्थ कार्यालयों के सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग की गति में और अधिक तेजी आएगी।