कैसे बेपटरी हुई श्रीलंका की अर्थव्यवस्था और किस वजह से आया आर्थिक संकट
इन दिनो श्रीलंका में चल रहे राजनीतिक और आर्थिक संकट ने पूरी दुनिया का ध्यान इस ओर खींच लिया है। श्रीलंका की आर्थिक और राजनीतिक बदहाली पर भारत की भी नजर है। भारत इस बात पर भी चिंतित है कि कहीं चीन इसका फायदा न उठा ले। श्रीलंका में खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं लोगों में राजनीतिक हालातों को लेकर भी क्रोध है। इतनी मुश्किलों के से जूझ रहे इस देश की हालत ऐसी क्यों हुई, ये जानना बेहद जरूरी है।
श्रीलंका तरक्की की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा था। जानकारों ने बताया तो इसके लिए श्रीलंका खुद ही जिम्मेदार है। इस बदहाली की एक वजह विश्व में फैली कोरोना महामारी थी। जिसका असर पूरी दुनिया में ही देखने को मिला था।
दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पयर्टन पर टिकी है। दुनियाभर के लोग यहां का रुख करते हैं। यहां की जीडीपी में पर्यटन का हिस्सा करीब 12.5 फीसद तक है। कोरोना से पूर्व इसकी गति कम नहीं हुई थी। लेकिन विश्व व्यापी प्रतिबंधों ने इसको बेपटरी कर दिया। इसके बाद सरकार ने जो कदम उठाए उसने भी हालात और खराब कर दिए।
श्रीलंका लंबे समय तक गृहयुद्ध की चपेट में रहा है। इसके बाद भी इस देश ने कई देशों के मुकाबले अधिक तेजी से तरक्की की है। संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक में भी श्रीलंका का प्रदर्शन बेहतर रहा है। कृषि क्षेत्र में लागू की गई गलत नीतियों का भी खामियाजा देश को भुगतना पड़ा। सरकार ने सरासायनिक उर्वरकों के प्रयोग पर बैन लगा दिया। इसका असर सीधेतौर पर खेती और अनाज भंडारण पर पड़ा।
श्रीलंका की बदहाली की एक वजह राजपक्षे परिवार की चीन से जरूरत से अधिक नज़दीकियां भी रही हैं। श्रीलंका ने चीन के चलते भारत जैसे पुराने मित्र को खुद से दूर करने का काम किया। अब जबकि श्रीलंका बदहाली के मुहाने पर खड़ा है तो चीन ने उससे मुंह मोड़ रखा है। चीन फिलहाल दूर से ही इस स्थिति पर अफसोस जता रहा है। चीन ने श्रीलंका को दिए कर्ज पर कोई भी रियायत देने से साफ इनकार कर दिया है।