मुझे उम्मीद है कि आईआईटी कर्मचारी नहीं, बल्कि नियोक्ता और उद्यमी तैयार करेंगे: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे परिसर में छात्रों के लिए एक नए आवास – “छात्रावास 17” का उद्घाटन किया। केंद्रीय मंत्री ने छात्रावास में पट्टिका का अनावरण भी किया और छात्रावास परिसर में एक पौधा लगाया।

छात्रावास के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि छात्रों की गुणवत्ता, पाठ्यक्रम और संकाय के अलावा, छात्रों को अच्छा अनुभव करने के लिए परिसर का माहौल महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि “यह माहौल सकारात्मकता पैदा करता है, जो छात्र जीवन का 50 प्रतिशत है। यदि आप सकारात्मक हैं, तो आप सहज रहेंगे। प्रत्येक व्यक्ति में नवप्रवर्तन और योगदान करने की क्षमता होती है। आज हमलोगों ने आईआईटी बॉम्बे जैसे इस महान संस्थान और परिसर में एक नया अध्याय जोड़ा है।”

नए छात्रावास में 1,115 कमरे हैं और इमारतों के पहले समूह में से एक है जिसे आईआईटी बॉम्बे ने पूरी तरह से उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (एचईएफए) से प्राप्त धन से बनाया है। इसकी अनुमानित लागत 117 करोड़ रुपये है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आईआईटी से नियोक्ता और उद्यमी निकलेंगे, कर्मचारी नहीं। आईआईटी बॉम्बे के कौशल में अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि संस्थान की प्रतिभाशाली मानव पूंजी रोजगार सृजनकर्ता के रूप में उभरेगी, वैश्विक कल्याण के लिए नवाचार और काम करेगी, और एक मजबूत तथा आत्म-निर्भर भारत के निर्माण की दिशा में भी काम करेगी।

आईआईटी के पूर्व छात्रों के योगदान की सराहना करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस योगदान का बेहतर तरीके से दस्तावेजीकरण करने और इसे बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छह पुराने आईआईटी ने मिलकर विश्व अर्थव्यवस्था में 300 से 400 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि “कोई व्यक्ति जो आईआईटी बॉम्बे के माहौल से निकलकर बाहर आता है, वह कभी स्वार्थी नहीं हो सकता। हमारे पूर्व छात्र वे हैं जो विश्व कल्याण के बारे में सोचते हैं। हमें अपने योगदान का बेहतर तरीके से दस्तावेजीकरण करने और अपनी क्षमता को बढ़ावा देने की जरूरत है।” केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी के पक्ष पर विचार करते हुए क्षमता की फिर से ब्रांडिंग करने की आवश्यकता है, इसमें यह भी देखना है कि प्रौद्योगिकी आईआईटी बॉम्बे की विशेषता है।

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शिक्षा मंत्री ने कहा कि तेजी से बदलती भू-राजनीतिक वास्तविकताओं और महामारी से प्रेरित वैश्विक चुनौतियों के इस युग में हमारे लिए ढेर सारे अवसर हैं। उन्होंने कहा कि “आज हम कई बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। महामारी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं ऐसी परिस्थितियां हैं जिनसे हमें निपटने की आवश्यकता है। हमने 2020 से शुरू होने वाले तीन वर्षों में महामारी की तीन लहरें देखी हैं।” इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने उम्मीद जताई की कि आईआईटी बॉम्बे यह सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा कि भारत को नई विश्व व्यवस्था में अपना सही स्थान मिले।

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान का युग होने जा रही है और उन्होंने इसमें प्रमुख भूमिका निभाने के लिए आईआईटी बॉम्बे का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि “मेरा दृढ़ विश्वास है कि देश में कुछ ही प्रमुख शिक्षण संस्थान हैं जिनके पास 21वीं सदी की समस्याओं का समाधान है और आईआईटी बॉम्बे उनमें से एक है।” केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत के पास ज्ञान की कोई कमी नहीं है और भारत ने दिखाया है कि उसके पास जटिल वैश्विक समस्याओं का समाधान है।

उन्होंने सुझाव दिया कि आईआईटी को आपदा प्रबंधन, स्वच्छ ऊर्जा और स्थायित्व के क्षेत्रों को शामिल करते हुए अगले 50 वर्षों के लिए भारत की जरूरतों का खाका तैयार करना चाहिए और उन जरूरतों को पूरा करने की दिशा में काम पर लग जाना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने आईआईटी बॉम्बे समुदाय को आने वाले दशकों में राष्ट्र की कार्य प्रणाली को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि “जब हम 5-10 वर्षों के बाद पीछे मुड़कर देखते हैं, तो हमें विश्वास के साथ यह कहने में सक्षम होना चाहिए कि आईआईटी बॉम्बे ने 21वीं सदी को अपने पाले में ले लिया है और इतिहास को आकार देने में योगदान दिया है।”