यदि एनईपी मार्गदर्शक सिद्धांत है, तो एनसीएफ मार्ग है और यह कार्यादेश ही विधान है: धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में आयोजित एक समारोह में ‘कार्यादेश दस्तावेज: राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (एनसीएफ) के विकास के लिए दिशा-निर्देश’ जारी किए।
इस अवसर पर राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन, कर्नाटक सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. अश्वतनारायण सी.एन., कर्नाटक सरकार में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. बी.सी. नागेश,भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग में सचिव अनीता करवालऔर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानीउपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक ‘सिद्धांत’ है, राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा उसका ‘मार्ग’ है और आज जारी किया गया कार्यादेश दस्तावेज 21वीं सदी की बदलती मांगों को पूरा करने और भविष्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाला ‘विधान’ है।
उन्होंने आगे कहा कि यह कार्य देश दस्तावेज़ बच्चों के समग्र विकास, कौशल पर जोर,शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका, मातृभाषा में सीखने, और सांस्कृतिक जुड़ाव पर ध्यान देते हुए एक आदर्श बदलाव लाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह भारतीय शिक्षा प्रणाली की राजनैतिक स्वतंत्रता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा- एनसीएफ की तैयारी को एक वैज्ञानिक तथा सततप्रक्रिया और एनसीएफ को समाज का एक दस्तावेज बताते हुएदेश के प्रत्येक नागरिक से एनसीएफ के लिए मिले सुझावों को लागू करने के लिए एक ऐप-आधारित प्रक्रिया बनाने का सुझाव दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हमारी भारतीय ज्ञान प्रणाली में इस ऐतिहासिक दिन को संभव बनाने के लिए विशेषज्ञों,शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों की सराहना करते हुए कहा कि एनईपी 2020 पर आधारित भारत का यह शिक्षा मॉडल दुनिया भर में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करेगा।