अगर डोर टू डोर जाकर टीकाकरण किया गया होता तो बच जाती कइयों की जान: बॉम्बे हाईकोर्ट
कोरोना महामारी को लेकर मचे हहाकार के बीच देश में टीकाकरण अभियान पर ब्रेक लग गया है। कई राज्यों में टीके का स्टॉक ख़त्म हो गया है तो कई राज्यों में कुछ ही दिनों का स्टॉक बचा हुआ है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक देश एक बड़े हिस्सें को वैक्सिनेशनेट नही की जाती, तब तक हालात ऐसे बने रहेंगे।
इसी मसले को लेकर बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में वैक्सीन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की। इस कड़ी में कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया होता, तो मौजूदा वक्त में कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी। जिनमें प्रमुख व्यक्ति भी शामिल थे।
मालूम हो कि कोर्ट पीठ वकील ध्रुति कपाड़िया और वकील कुणाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दायर याचिका में अनुरोध किया गया था कि 75 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, विशिष्ट जनों और बिस्तर या व्हीलचेयर तक सीमित लोगों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
इतना ही नहीं कोर्ट ने आगे कहा कि तीन हफ्ते का वक्त हो गया है, लेकिन केंद्र के तरफ़ से हमें कोई सूचना नहीं दी गई। क्या हमें सरकार के विरोध में दूसरे तरीके से फैसला लेना चाहिए था। कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार को 19 मई तक एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इसके बाद आगे की सुनवाई की जाएगी।
जस्टिस कुलकर्णी ने कहा कि यदि घर-घर जाकर वैक्सिनेशन किया गया होता तो तस्वीरें कुछ और होती। तो वहीं जाने-माने लोगों सहित अनेक वरिष्ठ नागरिकों की जान बचाई जा सकती थी। आगे अदालत ने कहा कि हमने टीकाकरण केंद्रों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में लगे बुजुर्ग नागरिकों और व्हीलचेयर पर बैठे लोगों की तस्वीरें देखी हैं जो हमारी संवेदना पर कड़ी प्रहार करती है।