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आईआईसीए ने व्यवसायों के सामाजिक स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए ‘व्यवसाय और मानवाधिकार पेशेवर’ विषय पर सेमिनार आयोजित किया

भारत सरकार के कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में स्वायत्त संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) ने देश में व्यवसाय और मानवाधिकार (बीएचआर) पेशेवरों का एक नया कैडर शुरू किया है। व्यापार और मानवाधिकार पेशेवरों को तैयार और विकसित करने के कार्यक्रम के लिए आज आयोजित एक पूर्वावलोकन कार्यक्रम में, आईआईसीए ने औपचारिक रूप से देश में बीएचआर अग्रणी व्यक्तियों और पेशेवरों के महत्व और प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के महासचिव देवेंद्र कुमार सिंह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम को सीन क्रिस्टोफर लीस, बीएचआर विशेषज्ञ, यूएनडीपी एशिया-प्रशांत, बैंकॉक; प्रवीण कुमार, महानिदेशक और सीईओ, भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए); इंदरदीप सिंह धारीवाल, संयुक्त सचिव, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार; ज्ञानेश्वर कुमार सिंह, संयुक्त सचिव, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार; आर. मुकुंदन, प्रबंध निदेशक और सीईओ, टाटा केमिकल्स लिमिटेड; और डॉ. गरिमा दधीच, प्रमुख, सेंटर फॉर बिजनेस एंड ह्यूमन राइट्स, आईआईसीए ने भी संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के महासचिव देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज के लिए पहुंच, समानता, विविधता, भागीदारी और मानवाधिकार जैसे सामाजिक न्याय के सिद्धांत महत्वपूर्ण लक्ष्य होते हैं। हमारा संविधान और लोकतांत्रिक संरचना, सभी नागरिकों के लिए सामाजिक न्याय की प्रणाली को महत्वपूर्ण रूप से सुनिश्चित करती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे तथा व्यापार और मानव अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों का भी समर्थन किया था। चूंकि मानवाधिकारों का पूरा दायरा एक महत्वपूर्ण घटक है, उन्होंने भारत में बीएचआर पेशेवरों का एक कैडर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित जनशक्ति समय की मांग है और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के तहत आईआईसीए ने व्यवसाय और मानवाधिकारों में कॉरपोरेट पदाधिकारियों के क्षमता निर्माण के माध्यम से उद्योगों में परिवर्तन की जरूरतों को पूरा करने के लिए उचित समय पर पहल की है। उन्होंने साझा किया कि एनएचआरसी मानव केंद्रित दृष्टिकोण और ‘सभी खुश रहें’ के कार्यादेश का पालन करता है, जो जी-20 का लक्ष्य-वाक्य भी है। उन्होंने महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप सिद्धांत और लोगों के कल्याण पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बीएचआर से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में एनएचआरसी की कुछ पहलों की जानकारी दी, जैसे ट्रक चालकों, दिव्यांगजनों आदि के लिए एडवाइजरी। उन्होंने देश में बीएचआर एजेंडा को मजबूत करने के लिए एनएचआरसी और आईआईसीए के बीच अधिक तालमेल का पता लगाने पर बल दिया।

प्रवीण कुमार, डीजी और सीईओ, आईआईसीए ने कहा कि आईआईसीए एक प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान है, जो कॉरपोरेट कार्य के कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है। आईआईसीए के स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट ने व्यवसाय और मानवाधिकारों पर अपनी तरह का यह पहला कार्यक्रम शुरू किया है, ताकि मानव अधिकारों की आवश्यकताओं को ठोस रणनीतियों और व्यावहारिक कार्यों के रूप में तैयार करने के लिए कॉरपोरेट पेशेवरों को विशिष्ट ज्ञान और क्षमताओं के निर्माण में मदद की जा सके। उन्होंने कहा कि ‘लाभ से पहले के उद्देश्य’ व्यवसायों को दी गई एक नई दृष्टि है। व्यवसायों को यह देखना चाहिए कि उनकी नीतियां, कार्यप्रणालियां, इनपुट और आउटपुट विभिन्न हितधारकों के लिए फायदेमंद हैं। उन्होंने साझा किया कि स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट, आईआईसीए बीएचआर पर राष्ट्रीय कार्य योजना का मसौदा तैयार करने, जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण पर राष्ट्रीय दिशानिर्देश, व्यावसायिक उत्तरदायित्व और सतत विकास रिपोर्टिंग, सीएसआर पर उच्च स्तरीय समिति आदि में तकनीकी नीति इनपुट प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

सीन क्रिस्टोफर लीस, बीएचआर विशेषज्ञ, यूएनडीपी एशिया-प्रशांत क्षेत्र, ने जोर देकर कहा कि व्यापार हितधारकों, अंतरराष्ट्रीय संधियों और राष्ट्रीय नियमों की बढ़ती मांगों ने व्यवसायों को ऐसे तरीकों का पालन करने के लिए मजबूर किया है जो लाभ और पृथ्वी, दोनों के लिए स्थायी हों। उन्होंने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों में बीएचआर नीतियों और कार्यान्वयन के अपने अनुभव के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत आर्थिक लक्ष्यों के साथ-साथ सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रगति के चरण में है, इसलिए दोनों मोर्चों पर एक संतुलित दृष्टिकोण देश को एक स्थायी भविष्य की ओर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर और भारत में औद्योगीकरण ने तकनीकी और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इस तरह के विकास ने व्यापार के क्षेत्र में मानवाधिकारों को साकार करने में विभिन्न प्रकार की चिंताएँ पैदा की हैं।

आईआईसीए के बिजनेस एनवायरनमेंट स्कूल की प्रमुख डॉ. गरिमा दधीच ने कहा कि व्यावसायिक नीतियों और तौर-तरीकों में व्यापार और मानवाधिकारों को एकीकृत करके, एक व्यावसायिक घराने को आज की जिम्मेदारी में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त होता है और यह सामाजिक स्थायित्व के लिए जोखिमों को रोकने और कम करने में भी मदद करता है। उन्होंने कहा कि ‘आईआईसीए प्रमाणित बीएचआर प्रोफेशनल कार्यक्रम’ भारत में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। कार्यक्रम के विभिन्न उद्देश्यों के बारे में उन्होंने कहा कि बीएचआर न केवल सतत विकास के पेशेवरों के लिए है, बल्कि मानव संसाधन पेशेवरों, खरीद और आपूर्ति श्रृंखला पेशेवर, सतर्कता और नैतिकता आदि के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। व्यापार के साथ-साथ इसकी मूल्य श्रृंखला में भी बीएचआर का एकीकरण समान रूप से महत्वपूर्ण है। निवेशकों, खरीदारों, उपभोक्ताओं, शेयरधारकों समेत कई हितधारकों के बढ़ते दबाव ने व्यवसायों पर व्यवसाय और मानवाधिकार सिद्धांतों तथा तौर-तरीकों को अपनाने के लिए एक अलिखित कार्यादेश दिया है। बीएचआर अपनाकर व्यवसाय विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत वांछित आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकते हैं। उन्होंने व्यवसायों के लिए विश्व स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार और मानवाधिकारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे इस कार्यक्रम को बीएचआर तौर-तरीकों को लागू करने के अंतर को समाप्त करने के लिए, विशिष्ट रूप से डिजाइन और विकसित किया जा रहा है।

इंदरदीप सिंह धारीवाल, संयुक्त सचिव, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की हैं कि व्यवसाय मानव अधिकारों के सन्दर्भ में काम करें। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय कॉरपोरेट्स का नियामक प्राधिकरण है और भारत में “व्यवसाय और मानवाधिकार” को बढ़ावा देता है। एमसीए हमेशा स्थायी व्यवसाय और समावेशी विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता रहा है। जिम्मेदार शासन सुनिश्चित करने के लिए, एमसीए वर्तमान कॉर्पोरेट परिदृश्यों तथा कॉर्पोरेट्स से अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर कंपनी अधिनियम में संशोधन करता रहा है, जिनमें पर्यावरण और समाज का सम्मान करने की उनकी जिम्मेदारी शामिल हैं। सरकार ने व्यवसाय और मानवाधिकारों पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी-बीएचआर) का मसौदा तैयार किया है और जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश (एनजीआरबीसी) को भी लॉन्च किया है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट की औसत जीवन अवधि, कई आंतरिक और बाहरी कारकों के कारण कम हो रही है और इन कारकों में से एक है – व्यवसाय और मानवाधिकार। उन्होंने सभी मनुष्यों के साथ समान व्यवहार करने के संदर्भ में व्यवसायों के लिए ‘मानवाधिकारों का दर्शन’ पर प्रकाश डाला।

आर मुकुंदन, प्रबंध निदेशक और सीईओ, टाटा केमिकल्स लिमिटेड, ने व्यापार नीतियों और तौर-तरीकों में बीएचआर को एकीकृत करके व्यापार जोखिम कम करने पर बात की, उन्होंने मुख्य रूप से विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय अनिवार्य और स्वैच्छिक अनुपालन आवश्यकताओं पर चर्चा करते हुए कॉरपोरेट कार्यकारी के क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया। यूएनजीसी, जीआरआई, एनजीआरबीसी, और बीआरएसआर आदि के तहत व्यापार और मानवाधिकार संबंधी खुलासे किसी व्यवसाय के लिए न केवल अपने हितधारकों के बीच एक जिम्मेदार व्यवसाय की छवि स्थापित करने के लिए, बल्कि सामाजिक स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आज, व्यवसाय के विभिन्न हितधारक जैसे निवेशक, उपभोक्ता, समुदाय, शेयरधारक आदि व्यवसाय को जिम्मेदार होने और मानवाधिकारों के उल्लंघन से बचने तथा मानवाधिकारों की रक्षा और सम्मान के लिए उपाय करने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि केवल खुलासे करने को ही पारदर्शिता नहीं माना जा सकता, खुलासा करना पारदर्शिता के घटकों में से केवल एक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यवसाय भले ही आज अपनी पहल में निपुण न हों, लेकिन उन्हें सामूहिक रूप से निरंतर सुधार के दौर से गुजरना होगा। आईआईसीए द्वारा इस तरह की पहल; व्यवसायों को बीएचआर के अभ्यास में मदद करने और अधिक जिम्मेदार बनने के लिए तैयार की गई है।

कार्यक्रम के लिए नामांकित लगभग 150 वरिष्ठ कॉरपोरेट अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ डॉ. रवि राज अत्रे, मुख्य कार्यक्रम कार्यकारी, आईआईसीए और सुधा राजगोपालन भी उपस्थित थीं। नुसरत खान, बीएचआर राष्ट्रीय विशेषज्ञ, यूएनडीपी इंडिया द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया, उन्होंने कॉरपोरेट क्षमता निर्माण पहल के माध्यम से बीएचआर को बढ़ावा देने के लिए यूएनडीपी, यूरोपीय संघ और भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान के बीच सहयोग पर प्रकाश डाला।