भारत और केएफडब्ल्यू ने सूरत मेट्रो रेल परियोजना के लिए 442.26 मिलियन यूरो के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए
भारत सरकार और जर्मनी के विकास बैंक ‘केएफडब्ल्यू (क्रेडिटनस्टाल्ट फर विडेराउफबौ)’ ने सूरत मेट्रो रेल परियोजना के लिए 442.26 मिलियरन यूरो के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
रजत कुमार मिश्रा, अपर सचिव, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय ने भारत सरकार की ओर से सूरत मेट्रो रेल परियोजना से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जबकि क्लाउडिया श्मेरलर, प्रभाग प्रमुख, जलवायु वित्त और शहरी गतिशीलता ने केएफडब्ल्यू की ओर से हस्ताक्षर किए।
इस परियोजना की कुल लागत 1.50 अरब यूरो है, जिनमें से 442.26 मिलियन यूरो का वित्तपोषण केएफडब्ल्यू कर रहा है। इस परियोजना को फ्रांस की विकास एजेंसी ‘एएफडी (एजेंस फ्रैन्साइज डी डेवेलपमेट)’ द्वारा सह-वित्तपोषित किया जा रहा है। 250 मिलियन यूरो के लिए एएफडी के साथ समझौते पर 28.01.2021 को हस्ताक्षर किए गए थे।
40.35 किमी लंबी सूरत मेट्रो परियोजना का उद्देश्य सूरत शहरी संकुलन या समूह के परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचे या अवसंरचना को मजबूत करना और इसके साथ ही विस्तार करना है।
इस परियोजना से यातायात में भीड़ काफी हद तक कम होगी और पारगमन उन्मुख विकास के जरिए एकीकृत शहर एवं भूमि उपयोग नियोजन सुनिश्चित होगा। इस परियोजना का उद्देश्य मेट्रो कॉरिडोर से जुड़े क्षेत्र में एकीकृत मल्टी मोडल परिवहन प्रणाली भी सुनिश्चित करना है, ताकि पहली एवं अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी और मेट्रो प्रणाली तक बेहतर पहुंच संभव हो सके। इसके अलावा, सूरत मेट्रो के दोनों ही डिपो में सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा।
इस परियोजना की परिकल्पना कुछ इस तरह से की गई है जिससे कि एकीकृत जन परिवहन प्रणाली प्रदान करते हुए सूरत शहर के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में भी विश्वसनीय एवं सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन सुनिश्चित करके, यातायात में भीड़ को काफी हद तक कम करके और प्रमुख यात्रा गलियारों पर होने वाली देरी में व्यापक कमी करके प्रणालीगत और परिवर्तनकारी प्रभाव या बदलाव संभव किया जा सके। इस परियोजना का सूरत शहर के लोगों के जीवन स्तर के साथ-साथ इसके आसपास के परिवेश पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।