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भारत-यूएई आर्थिक साझेदारी समझौता भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए नए बाजार खोलेगा

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हस्ताक्षर किए गए भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते को एक ऐतिहासिक समझौता बताया है, जो भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए नए बाजार खोलेगा।

समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के एक दिन बाद मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा, “भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) एमएसएमई, स्टार्ट-अप, किसानों, व्यापारियों और व्यवसायों के सभी वर्गों के लिए अत्यधिक लाभप्रद होगा।”

क्षेत्रवार लाभों की चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़े के सामान तथा जूते और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग जैसे श्रम प्रधान उद्योग सबसे अधिक लाभान्वित होने वालों में शामिल होंगे।

गोयल ने जोर देकर कहा कि सीईपीए एक संतुलित, निष्पक्ष, व्यापक और न्यायसंगत साझेदारी समझौता है, जो वस्तुओं तथा सेवाओं दोनों में भारत के लिए बढ़ा हुआ बाजार उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा, “यह हमारे युवाओं के लिए रोजगार सृजित करेगा, हमारे स्टार्टअप के लिए नए बाजार खोलेगा, हमारे व्यवसायों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा और हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।”

मंत्री ने बताया कि क्षेत्रवार परामर्शों ने दर्शाया है कि यह समझौता भारतीय नागरिकों के लिए कम से कम 10 लाख रोजगार सृजित करेगा।

गोयल ने यह भी बताया कि सीईपीए जिसे केवल 88 दिनों के रिकॉर्ड समय में अंतिम रूप दिया गया था तथा हस्ताक्षर किया गया था, मई की शुरुआत तक, 90 दिनों से भी कम समय में प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने मीडिया को बताया कि “भारत से यूएई को निर्यात किए जाने वाले लगभग 90 प्रतिशत उत्पादों पर समझौते के कार्यान्वयन के साथ शून्य शुल्क लगेगा। व्यापार की 80 प्रतिशत लाइनों पर शून्य शुल्क लगेगा, शेष 20 प्रतिशत हमारे निर्यात को ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं, इसलिए यह सभी के लिए लाभप्रद समझौता है।”

किसी व्यापार समझौते में पहली बार सीईपीए में किसी भी विकसित देश में स्वीकृत होने के बाद, 90 दिनों में भारतीय जेनेरिक दवाओं के स्वचालित पंजीकरण और विपणन प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है। इससे भारतीय औषधियों को बड़े बाजार में पहुंच प्राप्त हो सकेगी।

भारतीय आभूषण निर्यातकों को यूएई में शुल्क-मुक्त सुविधा प्राप्त हो सकेगी, जबकि वर्तमान में ऐसे उत्पादों पर 5 प्रतिशत सीमा शुल्क लगता है। इससे आभूषण निर्यात में भारी वृद्धि होगी, क्योंकि भारत में डिजाइन किए गए आभूषणों की बाजार में बहुत अच्छी प्रतिष्ठा है। रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को 2023 तक अपने निर्यात के 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

सीईपीए न केवल भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करेगा, बल्कि भारत को कार्यनीतिक लाभ भी प्रदान करेगा। श्री गोयल ने कहा, “चूंकि संयुक्त अरब अमीरात एक व्यापारिक केंद्र के रूप में कार्य करता है, इसलिए यह समझौता हमें अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में बाजार में प्रवेश बिंदु प्रदान करने में मदद करेगा।”

पीयूष गोयल ने कहा कि सीईपीए के संपन्न होने के साथ भारत और यूएई का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक ले जाना है। उन्होंने कहा, “यद्यपि, मेरा विश्वास ​​है कि दोनों देशों के बीच व्यापार की संभावनाएं और भी बड़ी हैं, हम अपने लिए निर्धारित लक्ष्य को पार कर लेंगे।” संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार है।

2022 में ही जीसीसी के साथ समझौता

पीयूष गोयल ने यह भी जानकारी दी कि सरकार को इस वर्ष के दौरान ही खाड़ी सहयोग परिषद के देशों के साथ एक समान आर्थिक साझेदारी समझौते किए जाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि जीसीसी के महासचिव ने बातचीत में तेजी लाने की इच्छा व्यक्त की है और कहा, “हमें अपनी बातचीत करने की क्षमता पर भी भरोसा है, हमने यूएई के साथ त्वरित रूप से बातचीत की है, और हमें विश्वास है कि जीसीसी के साथ इसी वर्ष व्यापार पर इसी प्रकार का समझौता कर लिया जाएगा।”

जीसीसी 1.6 ट्रिलियन डॉलर के संयुक्त सांकेतिक जीडीपी के साथ खाड़ी क्षेत्र में छह देशों अर्थात् सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन का एक संघ है।