भारत-बांग्लादेश: ब्रह्मपुत्र नदी से यात्रा करने के बाद सबसे लंबे जहाज ने पांडु बंदरगाह पर लंगर डाला
बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने उस वक्त एक उपलब्धि हासिल की जब एमवी राम प्रसाद बिस्मिल ब्रह्मपुत्र पर जाने वाला अब तक का सबसे लंबा जहाज बन गया। 90 मीटर लंबा बेड़ा 26 मीटर चौड़ा और 2.1 मीटर गहरा है। इसके साथ ही इसने गुवाहाटी के पांडु बंदरगाह पर लंगर डालने के बाद कोलकाता में हल्दिया गोदी से भारी माल ढुलाई के महत्वाकांक्षी परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया।
केन्द्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग (पीएसडब्ल्यू) और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हल्दिया में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह से दो जहाजों – डीबी कल्पना चावला और डीबी एपीजे अब्दुल कलाम के साथ हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
This historic cargo movement joining Maa Ganga (NW 1) to Pita Brahmaputra (NW 2) is made possible due to the vision of PM Shri @narendramodi ji. Both @IWAI_ShipMin and Bangladesh Inland Water Transport Authority worked together to achieve this feat. pic.twitter.com/F2J5ZUC9Bc
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) March 15, 2022
इस प्रारंभिक कार्य का महत्व इसलिए है क्योंकि यह भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग (आईबीआरपी) के रास्ते कोलकाता से गुवाहाटी तक माल लादने का कार्य शुरू करने के लिए मार्ग बताता है। जमशेदपुर में टाटा स्टील से 1,793 मीट्रिक टन स्टील रॉड से लदी इस खेप को 2.0 मीटर की गहराई की आवश्यकता थी। इस ऐतिहासिक खेप के डिजाइन और मशीनरी को तैयार करते समय कम-से-कम 2.0 मीटर की गहराई दी गई, इसके लिए खासतौर से आईबीपीआर के सिराजगंज-दाइकोवा खंड जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को ध्यान में रखा गया।
भारत सरकार ने बांग्लादेश की सरकार के साथ इस खंड के तलकर्षण को – क्रमशः 80:20 अनुपात के साथ – निर्बाध नेविगेशन के लिए वित्त पोषित किया है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के साथ-साथ बांग्लादेश अंतर्देशीय जल परिवहन प्राधिकरण (बीआईडब्ल्यूटीए) ने मिलकर काम किया ताकि यह ऐतिहासिक माल ढुलाई का कार्य सुचारू रूप से चल सके।
‘परिवहन के माध्यम से परिवर्तन’ लाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को पुनर्जीवित करने और उसमें नई जान डालने के लिए, सरकार ने तलकर्षण का कार्य कराया और नाली को जहाजों के लिए सुरक्षित और सुचारू बनाने का काम किया। सर्बानंद सोनोवाल ने सभी घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखी और इस खंड में विभिन्न क्षेत्रों में आईडब्ल्यूएआई द्वारा किए गए तलकर्षण कार्य की व्यक्तिगत रूप से निगरानी की ताकि एनडब्ल्यू1 और एनडब्ल्यू2 के बीच आवाजाही प्राथमिकता के आधार पर शुरू हो सके।
दिल्ली से अपनी बात कहते हुए, केन्द्रीय मंत्री श्री सोनोवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना भारत के विकास इंजन को शक्ति प्रदान करने के लिए पूर्वोत्तर की अष्टलक्ष्मी क्षमता को सक्रिय करना है। ‘परिवहन के माध्यम से परिवर्तन’ की उनकी परिकल्पना के तहत, हमने क्षेत्र में जल परिवहन को फिर से जीवंत करने के लिए अथक प्रयास किया। यह न केवल परिवहन का सबसे सस्ता और पर्यावरण की दृष्टि से सबसे अनुकूल तरीका है, यह पूर्वोत्तर के व्यापार को समुद्री नेटवर्क के रास्ते शेष दुनिया से जोड़ने की भी अनुमति देता है। चूंकि ब्रह्मपुत्र पर चलने वाले इस सबसे लंबे जहाज का परीक्षण आज पांडु में सफल रहा है, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि टीम ने कई हिस्सों में चुनौतीपूर्ण गहराई तैयार करने के दौरान काम में आने लायक एक मार्ग तैयार किया। हम असम में जल परिवहन की व्यावसायिक व्यवहार्यता लाने और पूर्वोत्तर भारत के आर्थिक भविष्य के रूप में ब्रह्मपुत्र की जीवन शक्ति को फिर से जीवंत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि पिछले दो वित्तीय वर्षों यानी वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2020-21 के लिए धुबरी और पांडु के बीच ब्रह्मपुत्र में न्यूनतम उपलब्ध गहराई 2.2 मीटर थी। हाल की एलएडी रिपोर्ट के अनुसार, यह गहराई जनवरी, 2022 में और कम होकर 1.5 मीटर तक आ गई। चिलमारी से दाइखावा तक, बिटवा ने 2.2 मीटर की आवश्यक गहराई की पुष्टि की।
असम के आर्थिक इतिहास के इस महत्वपूर्ण क्षण पर आभार व्यक्त करते हुए, श्री सोनोवाल ने कहा, “असम के लोगों के लिए, ब्रह्मपुत्र जीवन रेखा है। प्रधानमंत्री ने इस बात को समझा जिसके कारण उन्होंने पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र के विकास को एक ऐसे माध्यम से आकार देने की कल्पना की जो व्यापक, आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल हो। इस पहल का तहे दिल से समर्थन करने के लिए मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं। हमें बांग्लादेश सरकार का भी तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहिए जिसके समर्थन के बिना यह संभव नहीं होता। मैं परिवहन के सर्वोत्तम साधनों में से एक को पुनर्जीवित करने और पारस्परिक लाभ और आर्थिक विकास के अवसर पैदा करने के लिए हमारे साथ साझेदारी करने के लिए लोगों की ओर से आभार व्यक्त करना चाहता हूं। चुनौतियों को देखते हुए, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के समर्थन के बिना यह सफल नहीं होता और इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। मैं पश्चिम बंगाल सरकार और बिहार सरकार को इस आरंभिक कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रदान किए गए हर प्रकार के सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं इंजीनियरों, टेक्नोक्रेट और इस चुनौती से निपटने और समाधान खोजने में शामिल सभी लोगों की टीम द्वारा किए गए अग्रणी कार्य की भी सराहना करता हूं। हम आपके समर्थन के लिए तत्पर हैं क्योंकि हम उत्कृष्ट और अंतर्देशीय जलमार्गों को असम और पूर्वोत्तर भारत के आर्थिक पुनरुत्थान के लिए जीवन रेखा बनाने की दिशा में अपना प्रयास जारी रखे हुए हैं।
इससे पहले एमवी लाल बहादुर शास्त्री ने पटना से पांडु तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न की एक खेप को गंगा, राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (एनडब्ल्यू 1) और ब्रह्मपुत्र राष्ट्रीय जलमार्ग 2 (एनडब्ल्यू2) के बीच माल की ढुलाई के परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया था। इसके अलावा, नुमालीगढ़ रिफाइनरी के लिए एक ओवर डायमेंशनल कार्गो (ओडीसी) को भी पहले आईबीपीआर के माध्यम से एनडब्ल्यू2 पर ले जाया गया था।