आर्थिक कार्य विभाग (डीईए) के इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस सचिवालय ने केन्द्र सरकार और विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के सरकारों के 80 से अधिक प्रतिभागियों के साथ ‘सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) संरचनात्मक टूलकिट-ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम)’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया
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वित्त मंत्रालय (एमओएफ) के आर्थिक कार्य विभाग (डीईए) में इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस सचिवालय (आईएफएस) द्वारा हाइब्रिड मोड में आयोजित दो-दिवसीय कार्यशाला आज नई दिल्ली में संपन्न हुई। इस कार्यशाला का आयोजन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) क्षेत्र में पीपीपी परियोजनाओं के लिए पीपीपी के संरचनात्मक टूलकिट का उपयोग करने के तरीके के बारे में परियोजना प्रायोजक प्राधिकरणों (पीएसए) को संवेदनशील बनाने के लिए किया गया था। एसडब्ल्यूएम उन प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जहां पीपीपी अपनाए जा रहे हैं। इस कार्यशाला में केन्द्र सरकार और विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों की सरकारों के 80 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
‘पीपीपी संरचनात्मक टूलकिट’ उन पहलों में से एक है, जिसे आईएफएस ने परियोजना प्रायोजक प्राधिकरणों (पीएसए) को उनकी परियोजनाओं को निष्पक्षता के साथ विकसित करने और देश में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान करने हेतु शुरू की है।
इस कार्यशाला, जोकि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र से संबंधित श्रृंखला का दूसरा आयोजन था, का उद्घाटन वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट एंड डेवलपमेंट (आईएसडी) डिवीजन के संयुक्त सचिव श्री बलदेव पुरुषार्थ द्वारा किया गया। उन्होंने बुनियादी ढांचे के महत्व और भारत को उच्च विकास पथ पर ले जाने के लिए व्यवहारिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की एक श्रृंखला बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में टूलकिट का अवलोकन और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र के लिए विकसित उपकरणों का प्रदर्शन किया गया। श्री पुरुषार्थ ने प्रतिभागियों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में पीपीपी के तहत कुछ परियोजनाओं को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
डीईए की निदेशक सुश्री प्रीति जैन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे बुनियादी ढांचे का विकास सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में योगदान देता है। उन्होंने अंतर्निहित जटिलताओं के कारण पीपीपी परियोजनाओं को उचित रूप से व्यवस्थित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को व्यावहारिक समझ के लिए केस स्टडी के माध्यम से टूलकिट के अवलोकन और उद्देश्यों से परिचित कराया गया और इसके पांच अभिन्न उपकरणों के बारे में विस्तार से बताया गया: –
• उपयुक्तता फिल्टर
• परिवार संकेतक उपकरण
• मोड सत्यापन उपकरण
• वित्तीय व्यवहार्यता संकेतक, और
• पैसे का मूल्य संकेतक उपकरण
आईएफएस ने ‘आकस्मिक देयता टूलकिट’ का भी प्रदर्शन किया, जो विभिन्न आकस्मिकताओं के कारण पीएसए के संभावित भुगतान के बारे में अनुमान लगाने हेतु पीएसए को व्यावहारिक दृष्टिकोण देता है।
इस कार्यशाला में विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेश की सरकारों, विशेष रूप से शहरी स्थानीय निकायों के अधिकारियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई।