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मासिक धर्म यानि पीरियड्स को जागरूक करना हुआ ज़रूरी, जानिए इसको विस्तार में

मासिक धर्म प्रजनन प्रणाली का प्राकृतिक हिस्सा है। मासिक धर्म लड़कियों को छोटी उम्र से होने लगता है। यह 11-14 साल की लड़कियों में शुरू हो जाता है।

शरीर में काफी बदलाव यौवन की वजह से भी होते है और इसमें कोई घबराने वाली बात नहीं है। यह प्राकृतिक हिस्सा है। इसके लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नाम के हार्मोन जिम्मेदार होते है। मासिक धर्म बिलकुल आम है जेसे बच्चे का दांत निकलना या पहली बार चलना। यह हर महीने के 28 दिन के भीतर आते है। रक्त निकलने की मात्रा हर दिन अलग होती है।

आपके पीरियड कब शुरू होते है और कब रुकते हैं, यह देखने का एक अच्छा तरीका यह है कि आप यह ध्यान रखे कि आपकी मासिक धर्म की साईकल का कोई प्रतिरूप है या नहीं।

अक्सर शहरी और ग्रामीण महिलाएं मासिक धर्म पर बात करने को झिझकती है। भारत में पुराने ज़माने से मासिक धर्म को गन्दा रक्त कहा गया है। जिससे आज तक महिलाए चुप रहना और खुद को लोगो से दूर कर लेती है। लोग इसको महिला में पाई जाने वाली बीमारी बोलते है। जो कि ऐसा कुछ नहीं है। अगर यह बीमारी होती तो महिलाए बच्चों को जन्म नहीं पाती।

और इसके बारे में जानकारी महिलाओं में कम देखने को मिलती है क्योकि वे आपस में भी बात करने को झिझकती है। गांवों और छोटे शहरों में बहुत सारी महिलाएं पीरियड्स में कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। इस कपड़े का दुबारा इस्तेमाल करने के लिए वे इन्हें धोने के बाद छिपाकर सुखाने के चक्कर में खुली हवा या धूप नहीं लगा पाती। ऐसे में इसके इस्तेमाल से गंभीर संक्रमण हो सकता है। भारतीय लोगो के अंदर डर है कि अगर वे उस महिला को छू लेगे तो उन्हें बीमारी हो जाएगी और इन सबके बीच महिलाए अपने घर के आदमियों से पैड्स नहीं माँगवा पाती। बाजार से पैड्स खरीदने में संकोच करती है क्योंकि दुकानदार उन् महिलाओ को ऐसे देखता है जेसे पता नहीं उंन्होने कौन सा अपराध कर दिया।

यदि किसी लड़की या महिला को सार्वजनिक स्थान पर पीरियड्स आ गये तो वे किसी से मदद भी नहीं ले पाती और लोग उसका मज़ाक बनाने लग जाते है। साथ ही दूसरी लड़की से पैड्स मांगने में भी संकोच करते हुए धीमी आवाज़ में पूछती है।

लड़कियों और महिलाओ को इसके लिए कितना कुछ झेलना पड़ता है और उसके साथ कोई नहीं होता। माना संस्कार और मर्यादा अपनी जगह है, लेकिन पीरियड्स को बीमारी बोलना और सही से बात नहीं करना गलत है। समय के साथ साथ चीज़े भी सुधरती है और सुधारी जा सकती है। जिसकी वजह से अब लोग इससे अवगत हो रहे है ताकि समय आने पर वे हर लड़की की मदद करे और उसका मज़ाक न बने। बहुत से जागरूकता शिविर शुरू हो गए है। लोग ग्रामीण महिलाओ को विस्तार से शिक्षा देते हुए कौनसी चीज़े इस्तेमाल की जाती है, उन सब की जानकारी देते है।

मासिक धर्म के समय पैड्स का इस्तेमाल करना सुरक्षित होता है। लंबे समय तक एक ही पैड को लगाने से पसीने के कारण पैड नम रहता है। देर तक ऐसा होने के कारण वेजाइना में संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए 6-8 घंटों में महिलाएं अपना पैड बदल दें, तो संक्रमण का खतरा नहीं रहता है। पहले पैड्स की शुरुवात हुई लेकिन अब समय के साथ कंपनियों ने बहुत से उत्पादों का निर्माण किया है, जैसे मासिक धर्म कप, टैम्पोन आदि चीज़े है जिन्हे आप इस्तेमाल कर सकते है।

पीरियड्स के दौरान आपको खाना नहीं छोड़ना चाहिए, शारीरिक तौर पर ज्यादा काम न करे।

आमतौर पर अब टीवी के विज्ञापन में मासिक धर्म को जागरूक करने के लिए सरकार ने अक्षय कुमार की सहायता से लोगो को जागरूक करने की कोशिश की है। अक्षय कुमार ने भी वास्तविक जीवन की कहानी पर एक फिल्म पैडमैन भी बनाई थी। बॉलीवुड के सितारों और हस्तियों इंस्टाग्राम पर लाइव आकर लोगो को जागरूक करने में साहियता की है।

मासिक धर्म गंभीर विषय बन चुका है जो जागरूक करने की ज़रूरत है। लड़कियों की आधे से ज्यादा परेशानी इसको छिपा कर रखने में है। यदि देश के सारे लोग समझ जाए तो यह समस्या खत्म हो जाएगी।