प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बढ़ी हुई धनराशि के प्रावधान से चंद्रयान-3 मिशन को बढ़ावा मिला है- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी दूरदर्शिता से चंद्रयान-3 मिशन को सक्षम बनाया और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए आवंटन बढ़ाया।
“जब उन्हें ज़रूरत होती है तो हम उन्हें धन मुहैया कराते हैं, उनके लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं, उन्हें वह आज़ादी देते हैं जिसकी उन्हें ज़रूरत होती है, वे समन्वय के साधन देते हैं जो वे चाहते हैं और पिछले नौ वर्षों में हमने उन्हें कई बाधाओं से मुक्त कर दिया है।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में ‘चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से भारत की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन कई गुना बढ़ा दिया और अंतरिक्ष क्षेत्र को खोल दिया, जिसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या 2014 में सिर्फ 4 से बढ़कर अब 150 हो गई है।
उन्होंने बताया कि पिछले नौ वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग जैसे संबंधित क्षेत्रों के बजट आवंटन में तीन गुना या उससे अधिक की वृद्धि की गई है, यह देखते हुए कि “अकेले अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बजट आवंटन में 142 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस सेक्टर को “अनलॉक” करने और “गोपनीयता खत्म करने” के साहसी निर्णय लेने के बाद ही संभव हो पाया है।
उन्होंने आगे कहा ”और इसके परिणाम भी मिले – अर्थात्, निवेश में कई गुना वृद्धि हुई, इसलिए अब अनुसंधान, शिक्षा, स्टार्ट-अप और उद्योग के बीच बहुत अच्छा तालमेल है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 1990 के बाद से इसरो द्वारा लॉन्च किए गए 424 विदेशी उपग्रहों में से 90 प्रतिशत यानी 389 से अधिक उपग्रह पिछले नौ वर्षों में लॉन्च किए गए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “अब तक हमने विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से 174 मिलियन अमेरिकी डॉलर कमाए हैं, इस 174 मिलियन अमेरिकी डॉलर में से लगभग 157 मिलियन अमेरिकी डॉलर अकेले पिछले नौ वर्षों में कमाए गए। पिछले 30 वर्षों या उससे अधिक समय में अब तक लॉन्च किए गए यूरोपीय उपग्रहों ने कुल 256 मिलियन यूरो का कुल राजस्व उत्पन्न किया है। इस राजस्व में से 223 मिलियन यूरो, या कुल राजस्व का लगभग 90 प्रतिशत, अकेले पिछले नौ वर्षों में आया है, जिसका अर्थ है कि पैमाना बढ़ गया है, काम की गति बढ़ गई है और यही कारण है कि हम ऐसा करने में सक्षम हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत की एयरोस्पेस अर्थव्यवस्था आज लगभग 8 बिलियन डॉलर है, लेकिन 2040 तक इसके 40 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है और एटीएल (आर्थर डी लिटिल) की रिपोर्ट के अनुसार, हमारे पास 2040 तक 100 बिलियन डॉलर की क्षमता हो सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत के अंतरिक्ष मिशन लागत प्रभावी होने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि असफल रूसी चंद्रमा परियोजना की लागत 16,000 करोड़ रुपये थी और हमारी चंद्रयान-3 परियोजना की लागत केवल लगभग 600 करोड़ रुपये थी। उन्होंने कहा, हमने अपने कौशल के माध्यम से लागत को कवर करना सीख लिया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भले ही नील आर्मस्ट्रांग 1969 में चंद्रमा पर उतरे थे, लेकिन यह हमारा चंद्रयान ही था जो चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति का साक्ष्य लेकर आया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत मौसम पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन, स्मार्ट सिटी परियोजना, बुनियादी ढांचे के विकास, रेलवे ट्रैक और मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग, सड़कों और भवनों , टेलीमेडिसिन, शासन और जीपीएस भूमि-मानचित्रण ‘स्वामित्व’ जैसे लगभग सभी क्षेत्रों में अंतरिक्ष अनुप्रयोगों का उपयोग कर रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नौ साल के कार्यकाल के दौरान भारत की आपदा क्षमताएं विश्व स्तरीय हो गई हैं और हम पड़ोसी देशों के लिए भी आपदा पूर्वानुमान प्रदान कर रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से विकास कार्यों में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिए “अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन” विधेयक लाए। इस माध्यम से अधिकांश धन गैर-सरकारी स्रोतों से जुटाया जाएगा। पांच वर्षों के लिए इसके 50,000 करोड़ रुपये के बजट में से 36,000 करोड़ रुपये, लगभग 80 प्रतिशत, उद्योगों, आंतरिक और बाहरी स्रोतों से आएंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज दुनिया भारत की ओर बड़ी उम्मीदों से देख रही है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत इस नेतृत्व को करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, ”भारत की इस बड़ी सफलता को आज दुनिया ने मान्यता दी है।’