जैक’, ‘जान’ और ‘अल्फा’ ने पहुंचाया था यासिन मलिक को जेल
टैरर फडिंग (terror funding) के मामले में दिल्ली स्थित अदालत से उम्रकैद की सजा पाने वाले यासिन मलिक (yasin malik) को सलाखों के पीछे भेजने में जैक, जान और अल्फा की अहम भूमिका थी। जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले यासीन मलिक को आजीवन जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में यदि एनआइए को बड़ी सफलता मिली है। आतंकी फंडिंग के इस मामले में यह तीनों NIA के विशेष गवाह थे, जिन्हें जैक, जान और अल्फा नाम के कोड दिए गए थे।
Court awarded Separatist Yasin Malik over terror funding case:
1. 2 life imprisonments
2. Rs 10 lakh penaltyAll punishments will run concurrently.
This is not the end. He's also on trial in another case i.e. killing of 4 unarmed IAF officials.
Eagerly waiting for the verdict
— Anshul Saxena (@AskAnshul) May 25, 2022
एनआइए ने ऐसा सुरक्षा के कारणों से किया था, ताकि उनकी असली पहचान उजागर ना हो पाए। इस अहम मामले की जांच करते हुए एनआइए ने 70 स्थानों पर छापे मारकर लगभग 600 इलेक्ट्रानिक डिवाइस कब्जे में ली थीं और आतंकी फंडिंग के आरोप स्वीकार करने के बाद दिल्ली की एक अदालत ने यासीन मलिक को बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
Terror Funding case | NIA court convicts separatist Yasin Malik after he pleaded guilty in the case.
(File photo) pic.twitter.com/6lYblegjiY
— ANI (@ANI) May 19, 2022
इस हाई प्रोफाइल मामले से जुड़े केस में यूं तो लगभग चार दर्जन गवाह थे, लेकिन कुछ ही लोगों को इस तरह के कोड वाले नाम दिए गए थे। मामले से परिचित अधिकारियों के अनुसार यह ऐसे गवाह थे जो इसे सुलझाने और आरोपित को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभा सकते थे। इस केस की पड़ताल एनआइए के महानिरीक्षक अनिल शुक्ला ने जांच एजेंसी के तत्कालीन निदेशक शरद कुमार के साथ की। अनिल शुक्ला अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1996 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं।
#WATCH | Terror funding case: Yasin Malik produced before NIA Court in Delhi. He was convicted by the NIA Court on May 19th. pic.twitter.com/0KVrcxHYV2
— ANI (@ANI) May 25, 2022
वहीं, गुरुग्राम में अपने निवास से अनिल शुक्ला ने कहा कि “अदालत का निर्णय केस की जांच करने वाली टीम के कडे़ काम का पुरस्कार है। मैं अदालत द्वारा सुनाई गई सजा से पूरी तरह संतुष्ट हूं। उसने (यासीन) दोष स्वीकार कर मृत्युदंड से बचने की शातिर चाल चली। फिर भी उसको मिली सजा देशविरोधी कार्य करने की सपना देखने वालों के लिए एक सबक है”।