केजरीवाल जी ये पानी नहीं जहर है जहर…
देश की राजधानी दिल्ली के सीएम केजरीवाल अपनी योजनाओं की तारीफ करते नहीं थकते… चाहे वह फ्री बिजली की योजना हो, फ्री में बस का सफर हो या फ्री में दिल्ली की जनता को पानी पिलाना… लेकिन जरा रुकिए… क्या वाकई दिल्ली को स्वच्छ जल मिल रहा है ???
दरअसल दिल्ली में पानी की बढ़ती डिमांड के कारण अभी भी दिल्ली में हजारों अवैध बोरवेल चल रही हैं। इतना ही नहीं कई जगह पर इन बोरवेल का पानी बोतल में भरकर बेचा जा रहा है, जबकि ये पानी पीने लायक है ही नहीं। जिसकी वजह से बूढ़े और बच्चे गंभीर बिमारियों का शिकार हो रहे हैं।
दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में डीपीसीसी ने 19,661 अवैध बोरवेल की लिस्ट तैयार की थी जिनमें से अभी तक केवल 11,364 बोरवेल को ही सील किया जा सका है। बाकि को सील करने की जगह पर दिल्ली सरकार अपनी जेब भरने के लिए सिर्फ जुर्माना लगा रही है। लेकिन 70 करोड़ से ज्यादा जुर्माना लगाने के बावजूद सिर्फ 54.30 लाख रुपये ही वसूले जा सके हैं।
यह रिपोर्ट मार्च की है जिसे डीपीसीसी ने 21 अप्रैल को जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को भेज दिया है। अवैध बोरवेल और भूजल दोहन का मामला सीधे एनजीटी देख रहा है। रेवेन्यू डिपार्टमेंट को इन अवैध बोरवेल को सील करना है। वहीं, डीपीसीसी को इन पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए सीपीसीबी के नए फॉर्म्युले के अनुसार एनवायरमेंट कंपनसेशन लगाना है।
मार्च 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक अवैध बोरवेल को सील करने की यह कार्रवाई 25 अक्टूबर 2021 तक की गई। वहीं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए सभी डीपीसीसी ने 70.658 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, लेकिन इसमें से भी महज 54.30 लाख रुपये ही वसूल हो पाए हैं। अधिकारियों ने अपना पल्लू झाड़ते हुए कहा कि कोविड की वजह से भी इस काम में देरी हो रही है।
सेंट्रल ग्राउंडवॉटर बोर्ड (CGWB) की अगस्त 2021 की जारी रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में भूजल पीने लायक नहीं है। अधिकारी खुद इस बात को कहते हैं कि कुछ जगहों पर अवैध तरीके से लगी बोरवेल के पानी का कर्मशल इस्तेमाल हो रहा है। लोग इसे बोतलों में भरकर पीने के पानी की तरह बेच रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली में केजरीवाल अपने दिल्ली मॉडल की तारीफ करते नहीं थकते।