NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
अफगानिस्तान को बर्बाद करने वाली ताकत तालिबान के बारे में जानिए — वह क्या है, कहां से करता है कमाई?

अफगानिस्तान से तालिबानी शासन का अंत करीब 20 साल पहले हो चुका था। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी विदेश भाग चुके हैं। काबुल में तालिबान का प्रवेश हो चुका है। तालिबान के वापस आते ही दमन और अत्याचारों का दौर शुरू हो गया है। अमेरिका और उसकी साथी सेनाओं का अफगानिस्तान पर पूरा नियंत्रण कभी था ही नहीं। हिंसा लगातार जारी रही… नतीजा आज हम सबके सामने है।

क्या है तालिबान?

पश्तून में तालिबान का मतलब ‘छात्र’ होता है। उत्तरी पाकिस्तान में सुन्नी इस्लाम का कट्टरपंथी रूप सिखाने वाले एक मदरसे में तालिबान का जन्म हुआ। सोवियत काल के बाद जो गृहयुद्ध छिड़ा, उन शुरुआती सालों में तालिबान मजबूत हुआ। शुरुआत में लोग उन्हें बाकी मुजाहिदीनों के मुकाबले इसलिए ज्यादा पसंद करते थे क्योंकि तालिबान का वादा था कि भ्रष्टाचार और अराजकता खत्म कर देंगे। मगर तालिबान के हिंसक रवैये और इस्लामिक कानून वाली क्रूर सजाओं ने जनता में आतंक फैला दिया।

संगीत, टीवी और सिनेमा पर रोक लगा दी गई। मर्दों को दाढ़ी रखना जरूरी हो गया था, महिलाएं बिना सिर से पैर तक खुद को ढके बाहर नहीं निकल सकती थीं। तालिबान ने 1995 में हेरात और 1996 में काबुल पर कब्जा कर लिया था। 1998 आते-आते लगभग पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत हो चुकी थी।

तालिबान की कमाई कहां से होती है?

तालिबान को पैसों की कोई कमी नहीं। हर साल एक बिलियन डॉलर से ज्यादा की कमाई होती है। एक अनुमान के मुताबिक, उन्होंने 2019-20 में 1.6 बिलियन डॉलर कमाए। तालिबान की इनकम के मुख्य जरिए इस प्रकार हैं:

ड्रग्स: हर साल 416 मिलियन डॉलर

खनन: पिछले साल 464 मिलियन डॉलर

रंगदारी: 160 मिलियन डॉलर

चंदा: 2020 में 240 मिलियन डॉलर

निर्यात: हर साल 240 मिलियन डॉलर

रियल एस्टेट: हर साल 80 मिलियन डॉलर

रूस, ईरान, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों से 100 मिलियन डॉलर से 500 मिलियन डॉलर के बीच सहायता

तालिबान को कौन चलाता है? दुनिया में आतंक कब-कब फैलाया?

तालिबान का नेतृत्व क्वेटा शूरा नाम की काउंसिल करती है। यह काउंसिल क्वेटा से काम करती है। 2013 में तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर की मौत हुई और उसके उत्तराधिकारी मुल्ला अख्तर मंसूर को 2016 की ड्रोन स्ट्राइक में मार गिराया गया। तबसे मावलावी हैबतुल्ला अखुंदजादा तालिबान का कमांडर है। उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब भी हैबतुल्ला के साथ है। इसके अलावा तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और हक्कानी नेटवर्क का मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी भी तालिबान का हिस्सा है।

साल 2001 में तालिबान ने बामियान में स्थित महात्मा बुद्ध की दो मूर्तियों को बम से उड़ा दिया था।

2012 में तालिबान ने एक स्कूली छात्रा मलाला युसूफजई को निशाना बनाया। मलाला को बाद में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इतनी तेजी से कब्जा कैसे कर रहा तालिबान?

2014 से ही अमेरिका यहां पर सैनिकों की संख्या में कटौती कर रहा है। तालिबान इस बीच अपनी पकड़ मजबूत करता रहा। इस साल जब अमेरिका ने वापसी में जल्दबाजी दिखाई तो तालिबान को मौका मिल गया। अफगानिस्तान में अमेरिका का एक भी लड़ाकू विमान नहीं है। वहां के लिए खाड़ी और एयरक्राफ्ट कैरियर्स से विमान उड़ान भरते हैं। जिन मैकेनिक्स ने अफगान एयरफोर्स के विमान ठीक किए थे, वे भी चले गए हैं। दूसरी तरफ, तालिबान के पास करीब 85,000 लड़ाके हैं और वे पिछले 20 सालों की सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं।

सिर्फ 10 दिन में 20 साल की कोशिशें बेकार

अप्रैल में अमेरिका ने कहा था कि वह अफगानिस्तान से सेना हटाएगा। उसके बाद से तालिबान ने उन-उन इलाकों पर कब्जा कर लिया है, जहां सालों से उसकी हुकूमत नहीं थी। लगभग हर राज्य की राजधानी पर तालिबान का शासन हो गया है ।

दशक से अस्थिर है अफगानिस्तान

अफगानिस्तान में अस्थिरता का आलम दो-तीन नहीं, पांच दशक से भी पुराना है।

1933 में जाहिर शाह को गद्दी मिली। इसके बाद चार दशक तक शांति रही।

1950 के दशक में प्रधानमंत्री मोहम्मद दाऊद ने सोवियत संघ से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी।
तख्तापलट के बाद 1973 में दाऊद ने सत्ता हासिल की। अफगानिस्तान एक गणतंत्र घोषित हुआ।

1979 में सोनियत आर्मी ने हमला बोल दिया। दाऊद की हत्या के बाद एक कम्युनिस्ट सरकार का गठन किया गया । 1985 में उन्होंने एक गठबंधन बना लिया।

1989 में सोवियत ने पूरी तरह अफगानिस्तान खाली कर दिया, लेकिन शांति के बजाय हिंसा शुरू हो गई। मुजाहिदीन सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते थे।

1996 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। नजीबुल्लाह को पकड़ने के बाद बेरहमी से मार दिया गया। पाकिस्तान और सऊदी अरब ने तालिबानी सरकार को मान्यता दी।

9/11 हमलों के बाद अफगानिस्तान ने तालिबान के खिलाफ तेजी से ऐक्शन लिया। तालिबान ने ओसामा बिन लादेन को हैंडओवर करने से मना कर दिया था।

2002 में नाटो ने अफगानिस्तान की सुरक्षा अपने हाथ में ले ली। हामिद करजई को पहला राष्ट्रपति चुना गया।

2004 में अफगानिस्तान का नया संविधान बना। करजई पहले राष्ट्रपति चुने गए।

2009 में अमेरिका ने कहा कि वह 1,40,000 सैनिक और भेजेगा।

2011 में अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में मार गिराया।

2013 में तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर की कराची में मौत हुई।

2014 से अमेरिकी सैनिकों में कमी शुरू की गई। अफगान सुरक्षा बलों ने जिम्मा संभालना शुरू किया। उग्रवाद बढ़ने लगा।

2020 आते-आते तालिबान की पकड़ मजबूत हो चुकी थी। अमेरिका ने 29 फरवरी को उनके साथ शांति समझौता किया कि 14 महीनों के भीतर देश छोड़ देंगे।

9 सितंबर 2021: वह आखिरी तारीख जिससे पहले अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ देंगे।