पेड़ के पत्ते के व्यवसाय से लाखों लोगों को रोजगार मिला, साल भर में 630 करोड़ रुपये की कमाई हुई

कोई भी काम या बिजनेस छोटा बड़ा नहीं होता। कहा जाता है कि किसी भी काम को अगर पूरी लगन और मेहनत के साथ किया जाये। तो वह काम एक दिन जरूर बड़ा बन जाता है। आत्मनिर्भरता ही आज के दौर की सबसे बड़ी सच्चाई है। इसी दौर में छत्तीसगढ़ राज्य के लोग भी किसी अन्य राज्य के लोगों से कम नहीं है।
हाल ही में रिपोर्ट सामने आई है, कि छत्तीसगढ़ राज्य में 2022 वर्ष में सबसे अधिक तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य के वनक्षेत्र के आसपास रहने वाले आदिवासी और वनवासी के द्वारा तेंदुपत्ता को बड़े पैमाने पर संग्रहित किया है। जिससे यहां के लोगों ने लाखों की कमाई कर ली है।
यह सोच कर आप को अजीब लग रहा होगा। पर यह सच है, कि राज्य छत्तीसगढ़ के लोगों ने पत्तों को बेचकर ही 630 करोड़ की कमाई कर ली है। आपको जानकारी के लिए बता दे कि हर राज्य में वनवासी लोग तेंदुपत्ता का संग्रहण करने का कार्य करते है। लेकिन राज्य छत्तीसगढ़ इसमें अग्रणी है। यहां के 12 लाख से अधिक लोग तेंन्दुपता का संग्रहण करने का कार्य करते है।
छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार का दावा है कि इस वर्ष उन्होंने 1578000 मानक बोरो में तेन्दुपत्ता को संग्रहित किया है। यह छत्तीसगढ़ राज्य के द्वारा रखे गये लक्ष्य का 94 फीसदी है। यह संग्रहण छत्तीसगढ़ राज्य ने पिछले साल की तुलना में 21 प्रतिशत ज्यादा किया है।
इस संग्रहण कार्य को 12 लाख तेन्तुपत्ता संग्राहकों के द्वारा किया गया है। जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई भी हुई है। कहा जा रहा है कि इस कार्य से तेंन्दुपत्ता संग्राहकों को 630 करोड़ रूपये की आमदानी हुई है। इस आमदानी का भुगतान छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार द्वारा ही किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की सरकार ने इस विषय में जानकारी देते हुए कहा कि 2020 में उनके राज्य में 953000 बोरों का तेन्दुपत्ता संग्रहण हुआ था। इसके साथ ही 2021 में उनके राज्य में 1306000 मानक बोरों में तन्दुपत्ता का संग्रहण किया गया था। इस वर्ष में पिछले वर्ष की तुलना में 21 प्रतिशत ज्यादा तेंदुपत्ता संग्रहित किये गये है।
भूपेश बघेल सरकार के द्वारा यह दावा भी किया गया है, कि इस कार्य को करने वाले सभी तेंन्तुपत्ता संग्राहको को उनकी सरकार के द्वारा बहुत ही तेजी से भुगतान किए जाने की प्रोसेस चल रही है। तेंन्दुपत्ता संग्रहण का कार्य आदिवासी और वन में निवास करने वाले लोग अधिक करते है। यही उनके रोजगार का साधन होता है। आज छत्तीसगढ़ राज्य के यह तेंन्दुपत्ता संग्राहक इस कार्य की मदद से बहुत लाभ कमा रहे है।
आपको जानकारी के लिए बात दे कि तेंन्दुपत्ता का उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है। बीड़ी हमारे देश भारत की पुरानी सिगरेट कही जाती है। हालांकि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है, पर इससे भी मुँह नहीं फेरा जा सकता कि इसकी वजह से लाखों लोगों की रोजी रोटी चलती है। चूँकि इसे लपेटने में आसानी होती है।
इसका इस्तेमाल बीड़ी बनाने में बहुतायत में किया जाता है। हालंकि कुछ क्षेत्रों में बीड़ी बनाने के लिए पलाश और साल के पत्तों को भी इस्तेमाल में लाया जाता है। तेंदुपत्ते में तम्बाकू को रखकर उसमें पत्ता लपेटा जाता है। जिसे बीड़ी कहा जाता है। बीड़ी शब्द की उत्पत्ति बीड़ा शब्द से हुई है। बीड़ा पान के पत्तों का उपयोग करके बनाया जाता है।