अफगानिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा ने नए टेरर कैम्प बनाए, ISIS-K भी कर रहा मदद
मुंबई हमलों के जिम्मेदार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) एक बार फिर सक्रिय हो गया है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद इस आतंकी संगठन के हौसले बुलंद हैं। न्यूज एजेंसी की माने तो, लश्कर ने हाल ही में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में नए आतंकी कैम्प तैयार किए हैं। इनमें सैकड़ों आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। माना जा रहा है कि लश्कर को इस काम में इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासान (ISIS-K) और हक्कानी नेटवर्क की सहायता भी मिल रही है।
नए आतंकियों की भर्ती
न्यूज एजेंसी ने डेली सिख वेबसाइट के हवाले से लश्कर की तरफ से बढ़ रहे खतरे पर खबर दी है। इसके मुताबिक, अफगानिस्तान के कुछ इलाको और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के इलाको में लश्कर ने अपने कई नए टेरर कैंप्स बनाए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आतंकी संगठन जैसे हक्कानी नेटवर्क और ISIS-K उनकी सहायता कर रहे हैं। लश्कर के आतंकियों ने ही 2008 के मुंबई में हुए आतंकी हमले को अंजाम दिया था, इस हमले में 160 लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में कुछ विदेशी नागरिक भी थे। इसके बाद पाकिस्तान पर इस आतंकी संगठन और इसके सरगना हाफिज सईद पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया था। हाफिज सईद को फिलहाल पाकिस्तान सरकार ने घर में नजरबंद कर दिया है।
तालिबान हुकूमत को मदद
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बात की पूरी संभावना है कि अफगानिस्तान पर कब्जे की लड़ाई में लश्कर-ए-तैयबा ने अफगान तालिबान की मदद की हो। इस दौरान उसकी हक्कानी नेटवर्क से भी नजदीकियां बढ़ गईं। हालांकि, ये साफ नहीं है कि पाकिस्तान तालिबान और लश्कर के रिश्ते आपस में कैसे हैं, क्योंकि पाकिस्तान तालिबान शरिया कानून की मांग को लेकर पाकिस्तान में हमले करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, लश्कर अपने ग्रुप में आतंकियों के भर्ती के लिए पाकिस्तान-अफगान बॉर्डर पर मौजूद मदरसों पर पूरी तरह से निर्भर है। बाद में भर्ती किए गए युवाओ को अफगानिस्तान के कुनार और नांगरहार प्रांत में मौजूद ट्रेनिंग कैंप्स में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है।
दुनिया की आंखों में धूल
पाकिस्तान सरकार पर मुंबई हमलों के बाद जबरदस्त दबाव था कि वो लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करे। दिखावे के लिए पाकिस्तान सरकार द्वारा कुछ एक्शन भी लिए गए, लेकिन इन एक्शन्स का कोई नतीजा नहीं निकला क्यूंकि लश्कर को पाकिस्तान सरकार, फौज और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का साथ मिला हुआ है।
कुछ दिनों पहले भी एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां कुछ आतंकी संगठन फिर एकजुट हो रहे हैं। हालांकि, तालिबान हुकूमत ने बार-बार दावा किया है कि किसी दूसरे देश पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।